कांग्रेस विधायक दल की बैठक : नेता प्रतिपक्ष पर फैसला हाईकमान पर छोड़ा, चुनाव हारने पर उठे सवाल

कांग्रेस विधायक दल की बैठक : नेता प्रतिपक्ष पर फैसला हाईकमान पर छोड़ा, चुनाव हारने पर उठे सवाल
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कांग्रेस विधायक दल की बैठक : नेता प्रतिपक्ष पर फैसला हाईकमान पर छोड़ा, चुनाव हारने पर उठे सवाल


जयपुर, 5 दिसंबर (हि.स.)। विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस विधायक दल की पहली बैठक मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में हुई। इसमें नेता प्रतिपक्ष का फैसला आलाकमान पर छोड़ने का प्रस्ताव पारित किया गया।

बैठक में पार्टी के निर्वाचित विधायक शामिल हुए। बैठक में एआईसीसी के पर्यवेक्षक मधुसूदन मिस्त्री, भूपेन्द्रसिंह हुड्डा, मुकुल वासनिक, राजस्थान प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, सचिन पायलट और कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक उपस्थित रहे। बैठक में पार्टी की अगली रणनीति पर मंथन होने के साथ हार से जुडे़ मुद्दों पर चर्चा हुई। चुनाव में भीतरघात का मुद्दा भी उठा। हार के लिए वरिष्ठ नेताओं की जिम्मेदारी तय करने की मांग की गई। बैठक के बाद पर्यवेक्षकों ने विधायकों से वन टू वन फीडबैक लिया।

बैठक के बाद निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को लेकर एक सिंगल लाइन का प्रस्ताव पारित किया गया है। हमने फैसला हाईकमान पर छोड़ा है। हमारे यहां यह परिपाटी रही है। हमारा वोट शेयर कम नहीं हुआ। पहले जो वोट शेयर था, वही आया है। लेकिन, हमारे जो निर्दलीय जीते हुए थे, उनका वोट शेयर बीजेपी की तरफ चला गया। हमने विकास और स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा। बीजेपी ने यह चुनाव अलग तरीके से लड़ा। उन्होंने विकास की बात नहीं की। कन्हैया लाल को लेकर चुनाव लड़ा। राजस्थान में तरह-तरह की अफवाह फैलाई गई। गहलोत ने कहा कि मेरा मानना था कि सरकार बन जाएगी। प्रदेश में सरकार के खिलाफ लहर नहीं थी। राजस्थान वह राज्य था, जहां सरकार के खिलाफ माहौल नहीं था। जबकि होता यह है कि जहां सरकार होती है, वहां बहुत कुछ सरकार के खिलाफ हो जाता है। भाजपा ध्रुवीकरण करने में सफल हुई।

उन्होंने कहा कि हमें हारने की उतनी चिंता नहीं, जितनी इस बात की है कि देश में क्या होगा। देश में ज्यूडिशियरी की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। देश का लोकतंत्र किस दिशा में जा रहा है, यह सोचने की आवश्यकता है। कांग्रेस में अपनी भूमिका पर गहलोत ने कहा कि मेरी भूमिका पार्टी के साधारण कार्यकर्ता के रूप में रहेगी। मैंने सुझाव दिया है कि लोकसभा के लिए उम्मीदवार की तलाश अभी से हो। मेरा कार्यकर्ताओं से आह्वान है कि वे लोकसभा चुनाव की तैयारी करें।

विधायक दल की बैठक के बाद सचिन पायलट ने कहा कि हमें कमियों को स्वीकार कर सुधार करना होगा। युवाओं को आगे लाना चाहिए। भूतकाल की बातें छोड़कर भविष्य की बात करनी है। लोकसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारी करनी होगी। हमें उम्मीद थी कि राजस्थान में इस बार सरकार दोबारा बनेगी, सब लोगों ने मेहनत की। इसके बावजूद कुछ कमियां रही। इन कमियों को स्वीकार करना पड़ेगा। क्या कमियां रही और कामयाबी के लिए क्या सुधार हो, इस पर लंबी चर्चा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कांग्रेस मजबूती के साथ कैसे विकल्प बन सकती है। इस बारे में रणनीति तय करनी है। कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता अगर जनता का मन जीत लेते तो चुनाव जीत पाते। राजस्थान की परंपरा पुरानी परंपरा है कि सत्ता बदलती है, हमारा प्रयास था कि हम सत्ता में वापसी करें। अभी भी हम मजबूती से जनता की आवाज बनकर जनता के बीच में रहेंगे और मेहनत करेंगे। पार्टी जल्दी निर्णय लेगी कि आगे किस तरह से रास्ता तय किया जाएगा। मैं हमेशा से युवाओं के पक्ष मे रहा हूं। युवाओं को आगे लाना चाहिए और मुझे खुशी हैं, पार्टी ने इस चुनाव में ऐसा किया हैं।

रामगढ़ से कांग्रेस विधायक और पूर्व राष्ट्रीय सचिव जुबैर खान ने कहा कि हमारी योजनाओं को हम नीचे के स्तर पर नहीं पहुंचा पाए, इसलिए चुनाव हारे। पार्टी की असली मजबूती होता है कार्यकर्ता। अगर कार्यकर्ता की जगह एजेंसियों को महत्व दिया जाएगा तो उसका नुकसान होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित /ईश्वर

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