मतदान से पहले टीटी को मंत्री बनाने की कांग्रेस ने की चुनाव आयोग से शिकायत

मतदान से पहले टीटी को मंत्री बनाने की कांग्रेस ने की चुनाव आयोग से शिकायत
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मतदान से पहले टीटी को मंत्री बनाने की कांग्रेस ने की चुनाव आयोग से शिकायत


जयपुर, 31 दिसंबर (हि.स.)। श्रीकरणपुर से भाजपा के उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को वोटिंग से पहले मंत्री बनाए जाने पर विवाद हो गया है। कांग्रेस ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग में शिकायत करने का फैसला किया है। कांग्रेस ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी और गंगानगर कलेक्टर को शिकायत भेजी है। कांग्रेस नेता राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से भी मिलेंगे।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और कांग्रेस नेता संयम लोढ़ा ने इसे लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। श्रीकरणपुर सीट पर पांच जनवरी को वोटिंग है। कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन की वजह से इस सीट पर चुनाव रद्द हो गया था। भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को चुनाव के बीच ही मंत्री बना दिया है। राजस्थान के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी नेता को चलते चुनाव के बीच मंत्री पद की शपथ दिलाई है।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि श्रीकरणपुर में पांच जनवरी को वोटिंग है, इससे पहले ही भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र पाल टीटी को मंत्री पद की शपथ दिलाकर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया है। भाजपा न संविधान को मानती है, न चुनाव आयोग को मानती है। केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग को कमजोर करने का बिल पास करवाया था, ताकि मनमर्जी कर सकें। इसीलिए यह आशंका पैदा हो रही है कि आने वाले समय में चुनाव होंगे भी या नहीं। ये सभी लोकतांत्रिक परंपराओं और नियम कायदों को ताक पर रख रहे हैं।

कांग्रेस नेता संयम लोढ़ा ने कहा है कि श्रीकरणपुर चुनाव के बीच ही सुरेंद्र पाल टीटी को मंत्री पद की शपथ दिलाना यह साबित करता है कि भाजपा को हार का डर सता रहा है। बीच चुनाव उम्मीदवार को मंत्री बनाना आचार संहिता का खुला उल्लंघन हैं। उन्होंने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता से फोन पर बातचीत कर तत्काल एक्शन की मांग की है। श्रीगंगानगर कलेक्टर को भी शिकायत दी है।

कांग्रेस नेता संयम लोढ़ा के मुद्दा उठाने के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पलटवार किया। राठौड़ ने लोढ़ा को जवाब देते हुए लिखा है कि संविधान के आर्टिकल 164 (4) के प्रावधानों के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना निर्वाचित हुए छह महीने तक मंत्री पद पर रहने का अधिकार है। इस संवैधानिक प्रावधान के अनुसार मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल से किसी भी व्यक्ति को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। उसके बाद छह महीने के अंदर उसे विधानसभा का चुनाव जीतना जरूरी है। संविधान की तीसरी अनुसूची के अनुसार ली गई शपथ किसी प्रकार की आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। पूर्ववर्ती सरकार में भी मंत्री पद पर रहते हुए दर्जनों मंत्रियों ने चुनाव लड़ा है, इसलिए सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी की राज्यमंत्री के रूप में ली गई शपथ संविधान के प्रावधानों के अनुरुप ही है।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर

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