ब्रह्माकुमारी संस्थान में चार दिवसीय शताब्दी महोत्सव का सम्पन्न
सिरोही, 26 मार्च (हि.स.)। ब्रह्माकुमारी संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में चल रहे चार दिवसीय शताब्दी महोत्सव का मंगलवार को समापन हो गया। समापन समारोह में होली उत्सव भी मनाया गया। शाम को सांस्कृतिक संध्या में भोपाल की गुलमोहर कॉलोनी और मुंबई से आए कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया। इस मौके पर डायमंड हाल में महाराष्ट्र से आए पांच हजार से अधिक लोग मौजूद रहे। महोत्सव में सभी अतिथियों ने दादी के 100वें जन्मोत्सव पर उन्हें शुभकामनाएं देते हुए लंबी उम्र की कामना की। साथ ही दादी द्वारा जीवनभर की गई विश्व सेवाओं को याद किया। सभी को तिलक लगाकर मिठाई बांटी गई।
समापन समारोह में मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने सभी को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि होली पर हम एक-दूसरे को प्रेम, शांति, खुशी, आनंद, सद्भाव, सौहार्द्र और एकता का रंग लगाएं। रंगों का त्योहार होली से हमें शिक्षा मिलती है कि जो बात बीत गई उसे भूल जाओ। बीती बातों को बिंदी लगाओ तो हम व्यर्थ की तनाव, चिंता से बचे रहते हैं। जिस आत्मा को परमात्मा के प्रेम का रंग लग जाता है उसे सारे रंग फीके लगने लगते हैं। जीवन का सार है परमात्मा के प्रेम में रंगना, उसका हो जाना। आत्मा में मूल स्वरूप में खुशी, शांति, प्रेम, सुख, पवित्रता, आनंद और शक्ति यह सात विशेषताएं हैं। इन सातों बातों को अपने जीवन में शामिल कर लें और परमात्मा के रंग में रंग जाएं। परमात्मा के प्रेम का रंग ऐसा रंग है जो आत्मा में एक बार लग जाए तो वह छूटता नहीं है। होली अर्थात् मैं आत्मा परमात्मा की हो ली।
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मोहिनी दीदी ने कहा कि होली माना पवित्रता। पवित्रता दुनिया का सबसे बड़ा बल है। परमात्मा हमें शिक्षा देते हैं कि मेरे बच्चों तुम एक जन्म पवित्र रहो। पवित्रता दुनिया में जाने के लिए मन-वचन-कर्म की पवित्रता जरूरी है। पवित्रता ही सुख-शांति की जननी है। अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी ने कहा कि होली उत्सव हमें संदेश देता है कि जीवन रंगों की तरह होना चाहिए। किसी से लंबे समय से बात नहीं हुई है, रिश्तों में गांठें पड़ गई हैं तो अपनी ओर से पहल करते हुए उसे होली की शुभकामनाएं दें। रिश्तों में जमें मैल को होली के रंग से धो डालें। इससे आपको जो आनंद और खुशी मिलेगी उसे बयां नहीं कर सकते हैं।
संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि त्योहार हमें यही सिखाते हैं कि रिश्तों में आपस में जो दूरियां बन गईं हैं, संवाद की कमी से जो गलतफहमियां हो गईं हैं उन्हें त्योहार के माध्यम से दूर कर दें। आपकी छोटी से पहल से बिगड़े हुए रिश्तों फिर से जीवंत हो उठेंगे। जब होलिका दहन करने जाएं तो होलिका की अग्नि के समक्ष मन ही मन संकल्प करें कि मेरे जीवन की बुराई, गलत विचार, मेरी कमजोरी इस पवित्र अग्नि में जलकर नष्ट हो रही है। साथ ही कागज पर लिखकर जीवन की कोई एक बुराई आज होलिका में स्वाहा कर दें। इससे आपको मन में हल्कापन महसूस होगा। जो अतीत में घटनाएं हो चुकी हैं उन्हें भूल जाएं और आज से जीवन में नई शुरुआत करें। जीवन हमें आनंद के साथ जीने के लिए मिला है।
महासचिव बीके निर्वैर भाई ने कहा कि दादीजी का जीवन आदर्श जीवन रहा है। वह सभी ब्रह्माकुमारियों के लिए आदर्श और मिसाल हैं। मीडिया निदेशक बीके करुणा भाई ने कहा कि दादीजी को यूथ दादी कहा जाता है क्योंकि आपमें आज भी युवाओं जैसी ऊर्जा है। 90 की उम्र तक आप हर तरह से एक्टिव रहकर सेवा करती रही हैं। बिजली विभाग के प्रमुख बीके सुधीर भाई ने कहा कि दादी को देखकर हम सभी को योग-साधना की प्रेरणा मिलती है। महोत्सव के दौरान चार दिन तक रात में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। इसमें खासकर भोपाल ब्लैसिंग हाउस से आए कलाकारों ने डॉ. बीके रीना दीदी के मार्गदर्शन में एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया। कलाकारों की कला देखकर चरित्र और पात्र जीवंत हो उठे। डायमंड हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। वहीं मुंबई घाटकोपर सबजोन से आए कलाकारों ने भी सुंदर प्रस्तुतियां देकर वाहवाही बटोरी। शांतिवन की ब्रह्माकुमारी बहनों ने दादी के जीवन पर आधारित नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी। श्रीकृष्ण-श्रीराधा के वेश में कलाकारों ने होली उत्सव मनाया।
संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके सुदेश दीदी, कार्यकारी सचिव बीके डॉ. मृत्युंजय भाई, वैज्ञानिक प्रभाग के अध्यक्ष बीके मोहन सिंघल, ग्लोबल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. प्रताप मिड्ढा, डॉ. सतीश गुप्ता, बीके ऊषा दीदी, बीके गीता दीदी, डॉ. सविता दीदी, दादी की निज सचिव बीके लीला दीदी सहित खासकर महाराष्ट्र से आए पांच हजार से अधिक लोग मौजूद रहे। संचालन बीके श्रीनिधि भाई ने किया। आभार पीआरओ बीके कोमल ने माना।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर
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