पहली बार सभी श्रेणियों में विद्युत शुल्क कम करने का प्रस्ताव, आमजन काे मिल सकती महंगे बिल से राहत
जयपुर, 11 अप्रैल (हि.स.)। राजस्थान डिस्कॉम्स ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राजस्थान विद्युत नियामक आयोग के समक्ष प्रस्तुत अपनी टैरिफ याचिका में सभी श्रेणियों में विद्युत शुल्क (एनर्जी चार्ज) कम करने का प्रस्ताव दिया है।
याचिका में डिस्कॉम्स ने यह सुनिश्चित किया है कि उपभोक्ताओं को अपनी बिजली खपत के लिए अधिक भुगतान न करना पड़े। ऐसे में सभी श्रेणियों में विद्युत शुल्क (एनर्जी चार्ज) कम किया जाए। यह पहली बार है कि लगभग सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए विद्युत शुल्क में कम किया जाना प्रस्तावित किया गया है। राजस्थान डिस्कॉम्स की प्राथमिकता है कि राज्य के बिजली उपभोक्ताओं को मौजूदा जीवन स्तर और राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए हर अवसर प्रदान किया जाना चाहिए और ऐसा करते समय बिजली की खपत बाधक नहीं होनी चाहिए। मौजूदा टैरिफ संरचना में संशोधन का प्रस्ताव करते समय डिस्कॉम ने कुछ श्रेणियों में कुछ स्लैबों का विलय किया है। इस कदम का उद्देश्य मौजूदा जटिल टैरिफ संरचना को सरल बनाना है, जिससे भविष्य में अधिक सुव्यवस्थित और उपयोगकर्ता के अनुकूल टैरिफ प्रणाली बन सके।
- प्रदेश में घरेलू श्रेणी के लगभग 1 करोड़ 35 लाख उपभोक्ता हैं, जिनमें से 1 करोड़ 4 लाख घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को राजस्थान सरकार सब्सिडी प्रदान करती है। इन 1 करोड़ 4 लाख उपभोक्ताओं में से 62 लाख उपभोक्ताओं को अपनी बिजली खपत के लिए कुछ भी भुगतान नहीं करना होता है, यानी उनका बिजली बिल शून्य है।
- घरेलू श्रेणी के संबंध में स्लैब का विलय नियामक आयोग के निर्देशों के अनुरूप है। लगभग 17 लाख बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) और आस्था कार्डधारक उपभोक्ता हैं। चूंकि विलय किए गए घरेलू स्लैब पर सरकार पहले से ही सब्सिडी दे रही है, इसलिए इनके बिलों पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
-इसके अलावा, घरेलू श्रेणी के 51 से 150 यूनिट स्लैब में लगभग 37 लाख उपभोक्ता हैं। इन उपभोक्ताओं के लिए विद्युत शुल्क 6.50 रुपये प्रति यूनिट से घटाकर 6.00 रुपये प्रति यूनिट कर दिया गया है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर कम से कम असर पड़े।
-याचिका में लघु, मध्यम और वृहद औद्योगिक श्रेणी के लिए विद्युत शुल्क की दरों को एकरूपता प्रदान करने का प्रयास किया गया है। अब औद्योगिक श्रेणी में मल्टीपल एनर्जी चार्ज के स्थान पर विद्युत शुल्क की एक ही दर रखी है। वृहद् औद्योगिक श्रेणी में पहले 7 रुपये 30 पैसे विद्युत शुल्क था जिसे 6 रूपए 50 पैसे प्रति यूनिट कर दिया गया है। मध्यम श्रेणी में विद्युत श्रेणी दर 7 रुपये प्रति यूनिट थीं। जिसे अब कम करते हुए 6.50 रुपये कर दिया है। इसी प्रकार स्मॉल औद्योगिक श्रेणी में दो रेट्स थी, 6 रूपए और 6. 45 रुपये प्रति यूनिट, इसको एकीकृत करते हुए 6 रुपये प्रति यूनिट कर दिया है। इससे औद्योगिक श्रेणी में समान टैरिफ दर को प्रोत्साहन मिलेगा।
-कृषि उपभोक्ताओं के लिए विद्युत शुल्क 5 रुपये 55 पैसे प्रति यूनिट है। उसे भी घटाते हुए 5.25 रुपये प्रति यूनिट का प्रस्ताव किया है।
- डिस्कॉम्स ने फिक्स चार्जेज में रिविजन प्रपोज किया है जिससे कि विद्युत तंत्र को मजबूत रखा जा सके।
-पीटिशन में रेगुलेटरी सरचार्ज प्रस्तावित किया गया है, जिससे डिस्कॉम्स के बकाया रेगुलेटरी असेट्स भी लिक्विडेट होंगे। इसका फायदा यह होगा कि रेगुलेटरी असेट्स का कैरिंग कॉस्ट, जो कि टैरिफ का भार है, कम होता जाएगा। इससे भविष्य में उपभोक्ताओं पर टैरिफ का भार भी कम होगा।
-डिस्कॉम्स के बकाया रेगुलेटरी असेट्स की वजह से टैरिफ में कैरिंग कॉस्ट जुड़ता जाता है। जिससे टैरिफ में बढ़ोतरी होती है। जितना कम रेगुलेटरी असेट् होगा, उतना कम कैरिंग कॉस्ट होगा और उतना ही कम डिस्कॉम की एनुअल रेवेन्यू रिक्वायरमेंट होगी।
-राज्य सरकार ने हाल ही में पीएम सूर्यघर योजना से जोड़ते हुए 150 यूनिट निशुल्क बिजली योजना प्रस्तावित की है। जिससे आने वाले वर्शों में प्रदेश में विकेन्द्रित सौर उर्जा क्षमता में बढ़ोतरी होगी। इसके अतिरिकत कुसुम योजना में 12 हजार मेगावाट उर्जा क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है। इनसे आने वाले समय में डिस्कॉम्स के लॉसेज एवं पावर परचेज कॉस्ट में कमी आएगी। जिसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश

