सीएम गहलोत ने खोली झूठी गारंटियों की दुकान, कांग्रेस सरकार की विदाई तय : नारायण पंचारिया
जयपुर, 27 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नारायण पंचारिया ने कहा कि देश में राहुल गांधी जहां मोहब्बत की झूठी दुकान लगाकर घूम रहे है वहीं उनकी तर्ज पर राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने झूठी गारंटियों की दुकान खोल ली है। गहलोत और उनकी सरकार के मंत्री अगर पांच वर्षों तक आम जनता की भलाई के लिए कार्य करते तो आज उन्हेंं यूं झूठी गारंटी देने की जरूरत नहीं पडती लेकिन सत्ता के अहंकार में चूर गहलोत ने अपना पूरा कार्यकाल कुर्सी बचाने में ही बिता दिया। अब चुनावों में जब जनता के सामने कामकाज का हिसाब देने की बारी आई तो वे इन झूठी गारंटियों की दुकान लगाकर बैठ गए है।
पंचारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री को ये झूठी गारंटी देने से जनता के बीच अपने चुनाव घोषणा पत्र मेंं किए गए वादोंं का हिसाब भी देना होगा। अभी वे सरकारी कॉलेजों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को लैपटॉप देने की गारंटी दे रहे हैं लेकिन वे यह तो बता दें कि इस वर्ष फरवरी में पेश किए गए बजट के दौरान उन्होंने जिस-जिस वर्ग को लैपटॉप, टेबलेट देने की घोषणा की थी उसका क्या हुआ। चुनावी लाभ के लिए आचार संहिता लागू होने से एक दिन पहले पत्रकारों को लेपटॉप देने के आदेश जारी किए लेकिन राज्य में एक भी पत्रकार को लेपटॉप नहीं मिल पाया।
पंचारिया ने यह भी कहा कि गोवंश पालकों से गोबर खरीदने की गारंटी दे रहे हैं लेकिन यह नहीं बताते कि लंपी के दौरान जिन पशुपालकों ने सरकार की लापरवाही के कारण अपना पशुधन खोया उनमें से कितने पशुपालकों को मुआवजा दिया गया है। सरकार ने लंपी से प्रभावित 20 फीसदी पशुपालकों को भी मुआवजा नहीं दिया है। वहीं हर विद्यार्थी को अंग्रेजी शिक्षा की गारंटी देने वाले गहलोत नहीं जानते की हमारी शिक्षा व्यवस्था में 12वीं कक्षा तक अंग्रेजी अनिवार्य विषय है। कांग्रेस सरकार ने अब तक जो अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोले हैं उनका हश्र देखने के बाद भी नई गारंटी देनी चाहिए थी। इन अंग्रेजी स्कूलों में अध्यापक ही नहीं है फिर पढाई कैसे होगी।
उन्होंने कहा कि यही हाल ओपीएस का है, गहलोत ने चुनावी लाभ लेने के लिए ओपीएस तो लागू कर दी लेकिन इसका लाभ किसी कर्मचारी को नहीं मिल पा रहा है। सरकार की पोस्टर वीमेन बनी राजकुमारी जैन को सेवानिवृत्ति के बाद 13 हजार 500 रुपये पेंशन स्वीकृत की गई है जबकि उनकी मासिक सैलरी 70 हजार रुपये थी। अब चुनाव देखकर जनता के बीच जाने के डर से बौखलाएं मुख्यमंत्री गहलोत इन झूठी गारंटियों के माध्यम से सत्ता वापसी का सपना देख रहे हैंं जबकि राज्य की जनता पहले ही कांग्रेस सरकार की विदाई तय कर चुकी है। अब तो मुख्यमंत्री को सम्माजनक विदाई के संघर्ष करना चाहिए ताकि वे अपनी पार्टी के आलाकमान को अपना चेहरा दिखा सकें।
हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप
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