इस बार मानसून खूब भरेगा प्रदेश की झोली, अलनीनो का असर समाप्त होने की संभावना

इस बार मानसून खूब भरेगा प्रदेश की झोली, अलनीनो का असर समाप्त होने की संभावना
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इस बार मानसून खूब भरेगा प्रदेश की झोली, अलनीनो का असर समाप्त होने की संभावना


जयपुर, 16 मार्च (हि.स.)। प्रदेश वासियों के लिए एक अच्छी खबर है। इस बार मानसून प्रदेश पर जमकर मेहरबान रहेगा। इससे प्रदेश में खाली पड़े बांध, तालाब सहित अन्य जलाशय लबालब हो जाएंगे। ऐसा हम इसलिए कह रहे है कि अप्रेल माह में अलनीनो का असर खत्म हो जाएगा। इस तरह के मौसम से संकेत मिल रहे है। अलनीनो का असर खत्म होने पर प्रदेश में अच्छी बारिश की उम्मीद है। अलनीनो के जाने से फसलों की पैदावार गिरने की आशंका भी खत्म हो जाएगी। अल नीनो में मौसम गर्म होने और बारिश घटने से पैदावार गिरने का डर रहता है।

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि अल नीनो के कमजोर होने की संभावना है, जो 2024 में अच्छे मानसून का संकेत दे रहा है। अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है जो तीव्र मौसम का कारण बन सकता है, जिससे अक्सर गर्म, शुष्क स्थिति पैदा हो सकती है। इस साल बेहतर बारिश की उम्मीद की जा रही है।

मौसम विभाग के अनुसार दुनिया के सात वैश्विक मॉडल में चार मॉडल ने एक साथ अल नीनो के अप्रैल में विदा होने के संकेत दिए हैं। कुछ मॉडल ने मई में अल नीनो के जाने की बात कही है। हालांकि अधिकांश मॉडल में अप्रैल तक अल नीनो के जाने का संकेत दिया गया है। यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने बताया है कि अप्रैल अंत में अल नीनो के जाने की संभावना 79 परसेंट तक है। मौजूदा अल नीनो जून 2023 में शुरू हुआ थी जिसके बारे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि अप्रैल अंत तक इसका प्रभाव खत्म हो जाएगा। इसका सबसे अधिक प्रभाव नवंबर से जनवरी के बीच देखा गया। पिछले कुछ सालों का यह सबसे खतरनाक अल नीनो रहा है। हालांकि इससे भी खतरनाक अल नीनो 1997-98 और 2015-16 में देखा गया था।

क्या है अलनीनो

अल नीनो प्रशांत महासागर की एक गतिविधि है जिसमें महासागर की सतह गर्म होती है और उसके प्रभाव में हवाएं गर्म होकर मैदानी इलाकों की तरफ बढ़ती हैं। इससे मैदानी इलाकों में गर्मी बढ़ती है और बारिश घटती है। इससे फसलों के मारे जाने की आशंका होती है। औसतन दो से सात साल के दौरान अल नीनो का प्रभाव देखा जाता है जो 9 से 12 महीने तक चलता है। अल नीनो के चलते अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका में तगड़ी बारिश होती है जबकि दक्षिणपूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में गर्मी बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अल नीनो की वजह से क्लामेट चेंज को बल मिल रहा है और दिनोंदिन तापमान में वृद्धि दर्ज की जा रही है.

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश मीणा/संदीप

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