चारागाह भूमि का वर्गीकरण-परिवर्तन गौशाला प्रयोजनार्थ करने पर राेक

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चारागाह भूमि का वर्गीकरण-परिवर्तन गौशाला प्रयोजनार्थ करने पर राेक


जयपुर, 12 मार्च (हि.स.)। राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि गौशाला के लिए भूमि का आवंटन राजस्थान भू-राजस्व नियम 1957 के तहत सिवायचक भूमि उपलब्‍ध नही होने तथा संबंधित गांव में पशुओ की चराई के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध रहने की स्थिति में चारागाह भूमि का आवंटन गौशाला के लिए करने के प्रावधान है। उन्होंने कहा कि न्यायालय के निर्देशानुसार चारागाह भूमि का वर्गीकरण व्यापक जनहित में होने पर किया जा सकता है।

राजस्व मंत्री प्रश्नकाल में पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि भू-राजस्व नियम 1957 के तहत सिवायचक भूमि के आंवटन के लिए जिला कलेक्टर को अधिकृत किया गया हैं। चारागाह भूमि को गाय के साथ साथ अन्य पशुओं के लिए भी संरक्षित किया जाना आवश्यक है।

मीणा ने कहा कि 24 फरवरी 2022 को अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा गौशाला के लिए चारागाह भूमि का आंवटन व्यापक जनहित में नहीं मानने की राय दी गई थी। इसलिए वर्तमान में चारागाह भूमि का आवंटन गौशाला के लिए नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि गौशाला के लिए चारागाह भूमि आवंटन के सम्बन्ध में प्रस्ताव का पुनः परीक्षण करवा कर कार्यवाही की जाएगी।

विधायक गोरधन के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में राजस्व मंत्री ने बताया कि राजस्व रिकॉर्ड में भूमि की किस्म गैर मुमकिन गाेचर में दर्ज की जाती है। गौशाला के लिए चारागाह भूमि का वर्गीकरण परिवर्तन कर आवंटन करने के संबंध में गुलाब कोठारी प्रकरण में उच्च न्यायालय के ऑब्जरवेशन के दृष्टिगत गौशाला प्रयोजनार्थ भूमि आवंटन को व्यापक जनहित की श्रेणी में शामिल नही माना गया है। न्यायालय के आदेशों के दृष्टिगत वर्तमान में चारागाह भूमि का वर्गीकरण व परिवर्तन गौशाला प्रयोजनार्थ नही किया जा रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

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