राज विस चुनाव : बागियों और निर्दलीय की मान- मनव्वल में जुटे केन्द्रीय नेता, नहीं माने तो कई जगह बिगड़ेंगे समीकरण
जयपुर, 8 नवंबर (हि.स.)। राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के मुकाबले की असल तस्वीर गुरुवार को नामांकन वापसी का आख़िरी दिन बीत जाने के बाद साफ हो पाएगी। कौन-किसे किस तरह से मनाकर 'बिठाने' में कामयाब होता है, देखना दिलचस्प रहेगा। फिलहाल, नाम वापसी के इस काउंटडाउन के बीच कांग्रेस और भाजपा सहित अन्य प्रमुख दल नामांकन भर चुके बागियों और निर्दलीय की मान-मनव्वल में जुटे हैं।
बागियों और निर्दलीय आवेदकों को नामांकन वापस लेने के लिए मनाने की कमान वरिष्ठ नेताओं ने संभाली हुई है। ऐसा नहीं है कि बागियों की संख्या और उन्हें मनाने का ज़ोर किसी एक पार्टी में ही लग रहा है। जितने बागी नेता कांग्रेस में हैं, लगभग उतने ही भाजपा में हैं। एक आंकलन के अनुसार पूरे प्रदेश में ऐसी करीब 30 से ज्यादा सीटें हैं जहां बागी भाजपा-कांग्रेस का गणित बिगाड़ रहे हैं। यही कारण है कि इन रूठे बागियों को मनाने के लिए दोनों दलों ने अपने 'चाणक्य’ मैदान में उतारे हैं। दोनों दलों के नेताओं ने मंगलवार को प्रत्याशियों से यही फीडबैक लिया कि कौन सा बागी उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है और किस बागी के जातिगत समीकरणों से फायदा है।
भाजपा में चंद्रभान सिंह आक्या चित्तौड़गढ़, जीवाराम चौधरी सांचौर, राजपाल सिंह शेखावत झोटवाड़ा, आशुसिंह सुरपुरा झोटवाड़ा, मुकेश गोयल कोटपूतली, रविन्द्र सिंह शिव, कैलाश मेघवाल शाहपुरा, बंशीधर बाजिया खंडेला, यूनुस खान डीडवाना, भवानी सिंह राजावत लाडपुरा भाजपा उम्मीदवारों के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। भाजपा ने राजेन्द्र राठौड़ को चित्तौडगढ़ सीट, भूपेन्द्र यादव को तिजारा, वसुंधरा राजे को झोटवाड़ा की जिम्मेदारी दे रखी है। प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर, वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी भी जुटे हैं। ये उन बागी नेताओं को मनाने में जुटे हैं जो पार्टी और उसके अधिकृत प्रत्याशी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके लिए डैमेज कन्ट्रोल की रणनीति पर काम हो रहा है।
अभी तक बागियों के तीखे तेवर प्रयासों की सफलता में बाधक बने हुए हैं। कई बागियों ने तो सभा और रैलियों के जरिए दमखम दिखाना शुरू कर दिया है। दोनों पार्टियों के प्रदेश स्तरीय नेता भी इन प्रयासों में लगे बताए जा रहे हैं, लेकिन कहीं से किसी सफलता की कोई बड़ी सूचना नहीं है। जो बागी पार्टी से इस्तीफा देकर अन्य दल के टिकट पर मैदान में उतर चुके हैं, उनको लेकर तो किसी सफलता की कोई उम्मीद नहीं बची है, लेकिन जो असंतुष्ट अभी पार्टी में बने हुए हैं उनको मनाने की कोशिश की जा रही है। कुछ असंतुष्टों ने आश्वस्त भी किया है कि वे पार्टी प्रत्याशी के लिए काम करेंगे, लेकिन वे पार्टी में रहते हुए भितरघात नहीं करेंगे। इसको लेकर दोनों पार्टियों के डैमेज कंट्रोलर पूरी तरह आश्वस्त नहीं दिखाई दे रहे है।
डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी ने 10 अक्टूबर को केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के नेतृत्व में कमेटी बनाई थी। इसमें चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नारायण पंचारिया और सांसद राजेन्द्र गहलोत भी हैं। लेकिन कमेटी ज्यादा कुछ नहीं कर पाई। प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रल्हाद जोशी भी टिकट कटने से नाराज नेताओं को मनाने में जुटे रहे। मंगलवार को जोशी ने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी व अरुण चतुर्वेदी से मंत्रणा की। जोशी ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी लम्बी मंत्रणा की। पार्टी ने दोनों पूर्व प्रदेशाध्यक्षों का टिकट काट दिया था।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर
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