बढ़ती उम्र में 52 प्रतिशत नेत्र रोगियों में अंधापन मोतियाबिंद के कारण— डॉ गोपाल दमानी
अजमेर, 19 अक्टूबर(हि.स)। केंद्र सरकार पेंशनर्स एसोसिएशन एवं मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के संयुक्त तत्ववाधान में शनिवार को अजमेर के राजीव गांधी सभागार में नेत्र रोग जागरुकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। मित्तल हॉस्पिटल के सीनियर नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल दमानी ने बढ़ती उम्र में होने वाली आँखों से संबंधित बीमारियां उनके उपचार और रोकथाम पर श्रोताओं के साथ मंच से खुला संवाद किया। डॉ दमानी ने कहा कि बढ़ती आयु में 52 प्रतिशत लोगों को अंधापन मोतियाबिंद के कारण होता है। प्रत्येक पीड़ित की जरूरत और स्थिति के आधार पर उसकी आँखों में लैंस लगाया जाता है।
इससे पहले केंद्र सरकार पेंशनर्स एसोसिएशन की ओर से संयोजक देवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने सीनियर नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल दमानी का परिचय कराया। डॉ दमानी ने एसोसिएशन की ओर से सीनियर सिटीजन के लिए आँखों के रोग, कारण और निवारण विषय पर जागरुकता अभियान शुरू करने पर एसोसिएशन के अध्यक्ष आत्माराम शर्मा के योगदान को सराहा।
डॉ दमानी ने कहा कि लगभग 7 लाख 81 हजार की आबादी वाले अजमेर शहर में लगभग 54 हजार से अधिक बुजुर्ग हैं। इनमें ग्रामीण क्षेत्र में प्रति एक हजार पर 64 बुजुर्ग हैं तो शहर में यह आंकड़ा 55 का है। डॉ दमानी ने कहा कि मोटे तौर पर ग्रामीण क्षेत्र के बुजुर्गों में अंधापन 1.7 प्रतिशत है उसकी तुलना में शहरी क्षेत्र के बुजुर्गों में अंधापन मात्र 1 प्रतिशत है।
डॉ दमानी ने बताया कि 52 प्रतिशत में अंधापन मोतियाबिंद के कारण होता है। बढ़ती उम्र में मोतियाबिंद होने के कारण अन्य भी हैं। इनमें मधुमेह होना, पीड़ित का धूम्रपान करना, शराब का सेवन करना, धूप से वंचित रहना वगैरहा शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आंखों को सुरक्षित रखने के लिए धूप का चश्मा लगाने, स्वस्थ भोजन लेने की सलाह दी जाती है।
एक प्रश्न के जवाब में डॉ दमानी ने कहा कि मोतियाबिंद होने पर सामान्य रूप से रोगी की आँखों में लैंस लगाने की बात सामने आती है। रोगी जब भी चिकित्सक के पास जाता है तो वह अच्छा लैंस लगाने की बात करता है। उन्होंने कहा कि लैंस का चयन नेत्र रोगी की जरूरत और स्थिति के अनुसार होता है। प्रत्येक रोगी में अलग—अलग स्थिति होती है। मोनोफोकल लैंस लगाने पर दूर का अच्छा दिखाई देता है। मल्टी फोकल लैंस लगाने पर दूर का व नजदीक का अच्छा दिखेगा किन्तु चश्मा तो लगाना ही पड़ता है वहीं ट्राई फोकल लैंस दूर का नजदीक का और बीच का अच्छा दिखने के लिए लगाया जाता है।
डॉ दमानी ने सीनियर सिटीजन को ग्लोकोमा एवं रेटीनोपैथी के बारे में भी पीपीटी के जरिए समझाया। उम्र के साथ होने वाली आँखों के परदे की खराबी से बचाव(एआरएमडी), उम्र के साथ होने वाले पलकों के बदलाव जैसे पलकों का अंदर की तरफ और बाहर की तरफ मुड़ना, पलकों का ढीला पड़ना जिसकी वजह से आँखों में पानी आने की समस्या शुरू हो जाती है की जानकारी दी। मित्तल हॉस्पिटल के सीनियर मैनेजर जनसम्पर्क युवराज पाराशर ने अंत में सभी का आभार व्यक्त किया।
हिन्दुस्थान समाचार / संतोष
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