जीवन शैली को संतुलित कर कम उम्र में हार्ट अटैक से बचें- डॉ.साकेत

जीवन शैली को संतुलित कर कम उम्र में हार्ट अटैक से बचें- डॉ.साकेत
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जीवन शैली को संतुलित कर कम उम्र में हार्ट अटैक से बचें- डॉ.साकेत


कोटा, 29 दिसंबर (हि.स.)। सर्दी के मौसम में तापमान में गिरावट के साथ ही कम उम्र के लोगों में आकस्मिक हार्ट अटैक की घटनायें तेजी से बढ़ रही है। जिसमें युवा चिकित्सक एवं नियमित व्यायाम करने वालों की भी हार्ट अटैक से मौत हो जाने से नागरिकों में डर पैदा हो गया है। कोटा में 40 वर्षीय कोचिंग शिक्षक सौरभ सक्सेना की गुरुवार को बाइक पर भी अचानक अटैक आ जाने से मौत हो गई है। एसएमएस अस्पताल, जयपुर के 48 वर्षीय चिकित्सक डॉ.नितिन पांडे की हार्ट अटैक से मौत हो जाने से चिकित्सक वर्ग भी चिंतित है। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.साकेत गोयल ने बताया कि इन घटनाओं को कोविड या वैक्सीन से जोडना भ्रांति है। नागरिकों को अचानक हार्ट अटैक से बचाव के लिए अपनी जीवन शैली को संतुलित करना होगा। उन्होंने सलाह दी कि इसके लिये हम अपनी गलतियों में कुछ सुधार करें -

उम्र के साथ व्यायाम में बदलाव करें - उम्र बढने के साथ स्पोर्ट्स की तीव्रता और निरंतरता में कुछ बदलाव जरूरी है। आप कितने भी फिट हों, शरीर के सब अंगों की जैविक उम्र होती है। क्षमता के विपरीत व्यायाम नहीं करें- कई लोग 50 की उम्र के बाद भी मैराथन रनर या स्पोर्ट्स की प्रतिस्पर्धा के लिए तत्पर हो जाते हैं। जबकि उनकी शारीरिक प्रणाली इसके अनुकूल नहीं होती है।

लक्षणों की उपेक्षा नहीं करें - बैचेनी, दर्द या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण होने पर तुरंत चिकित्सक से मदद लें। साथियों के साथ खेल या व्यायाम जारी नहीं रखें। ये कुछ मिनट जीवन रक्षक हो सकते हैं। एक तिहाई लोगों में यह बीमारी मूक होती है और लक्षण उत्पन्न नहीं होते। अपने स्ट्रेस फैक्टर्स को अवश्य पहचान लें।

अपना लेवल याद रखें - उम्र के अनुसार ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, शुगर आदि का लेवल हमें पता होनी चाहिए। कभी-कभी डॉक्टर भी लिपोप्रोटीन (ए) या होमोसिस्टीन जैसे नए जोखिम वाले कारकों के लिए जांच की उपेक्षा करते हैं। इनसे टीएमटी या कोरोनरी कैल्शियम स्कोरिंग की जा सकती है।

फिटनेस के लिये संयम बरतें- स्पोर्ट्स से सेहत को फायदे मिलते है लेकिन कई लोग रनिंग या जिम को अनावश्यक पीड़ा बना लेते हैं। कुछ लोग स्पोर्ट्स या रनिंग जल्दी कर काम पर जाने की तैयारी में होते हैं। यह मानसिक बेचैनी घातक हो सकती है। नींद की कमी से न केवल फिटनेस बिगड़ती है अपितु शरीर में स्ट्रेस हार्मोन्स भी ज्यादा निकलते हैं।

आहार में बदलाव करें- सुबह की सैर के बाद कचौरी व जलेबी के लिये भीड़ उमडती है। अपने भोजन में शुगर और वसा की मात्रा को संतुलित रखना होगा। 28-30 की उम्र के बाद वजन बड रहा है तो वह अनावश्यक विस्सरल वसा है, जो गंभीर बीमारी का कारण है।

हिन्दुस्थान समाचार/अरविंद/संदीप

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