इको-टूरिज्म को लेकर आगे बढ़ रहा उष्ट्र अनुसंधा केंद्र, दूध के अलावा पर्यटन से भी मिले आमदनी पशुपालकों को : डॉ. साहू

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इको-टूरिज्म को लेकर आगे बढ़ रहा उष्ट्र अनुसंधा केंद्र, दूध के अलावा पर्यटन से भी मिले आमदनी पशुपालकों को : डॉ. साहू


बीकानेर, 19 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र (एनआरसीसी) के निदेशक डॉ. आर्तबंधु साहू ने कहा कि ऊंट को ‘रेगिस्तान का जहाज’ कहा जाता है। इस प्रजाति ने मानव के क्रमिक विकास में महत्ती योगदान दिया है। बदलते परिवेश में इसकी पारंपरिक उपयोगिता प्रभावित हुई है, ऐस में केन्द्र द्वारा पशु की उपादेयता को खोजने के लिए ऊंटनी के दूध को एक वैकल्पिक स्रोत के रूप में चुना गया। केन्द्र में अनुसंधान से यह ज्ञात हुआ है कि इसका दूध अपने औषधीय गुणधर्मों के कारण मधुमेह, टी.बी., ऑटिज्म आदि के प्रबंधन में कारगर पाया गया है वहीं केन्द्र कैमल इको-टूरिज्म को लेकर भी आगे बढ़ रहा है ताकि पशुपालकों को दूध के अलावा पर्यटन से भी अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो सकें।

डॉ. साहू एनआरसीसी में गारबदेसर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र-छात्राओं, अध्यापकगणों द्वारा किए गए शैक्षणिक भ्रण के बाद परिचर्चा में बोल रहे थे। उन्होंने विद्यार्थियों को एनआरसीसी में प्राप्त अनुसंधानिक जानकारी को प्रसारित करने हेतु प्रोत्साहित किया।

इस अवसर पर केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी राजभाषा डॉ.आर.के.सावल ने कहा कि अब ऊंट अपनी बहुआयामी उपयोगिता के लिए जाना जाने लगा है। केन्द्र लगातार ऐसे अवसरों की तलाश में रहता है जिनके माध्यम से ऊंटपालकों तक अद्यतन जानकारी पहुंच सके साथ ही अनुसंधानकर्त्ताओं, विद्यार्थियों आदि के लिए भी विषयगत महत्वपूर्ण जानकारी उनके कॅरियर की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस मौके पर विद्यालय में संचालित एसपीसी योजना की इनडोर एवं आउटडोर प्रतियोगिताओं के तहत बच्चों को अनुसंधान आदि विभिन्न पहलुओं संबंधित जानकारी उपलब्ध करवाने के प्रयोजनार्थ इस भ्रमण को दृष्टिगत रखते हुए केन्द्र में चल रहे हिन्दी चेतना मास के तहत विद्यार्थियों हेतु एक परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें उन्हें केन्द्र के उष्ट्र संरक्षण एवं विकास के क्षेत्र में किए जा रहे अनुसंधान कार्यों एवं व्यावहारिक प्रयासों के तहत पर्यटन गतिविधियों आदि के बारे में वैज्ञानिकों द्वारा जानकारी संप्रेषित की गई एवं उन्हें उष्ट्र संग्रहालय, उष्ट्र बाड़ों, उष्ट्र डेयरी फार्म आदि का व्यावहारिक भ्रमण भी करवाया गया।

विद्यालय के प्रधानाचार्य हाशम खान ने एनआरसीसी में हिन्दी चेतना मास के तहत आयोजित परिचर्चा व शैक्षणिक भ्रमण को महत्वपूर्ण बताते हुए एनआरसीसी का आभार व्यक्त किया वहीं एसपीसी प्रभारी हरिराम सारण एवं कार्यक्रम समन्वयक कमल किशोर पीपलश ने विद्यार्थियों के लिए इसे एक सुअवसर बताया।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर

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