देश के किसी भी कोने में भेजा जा सकेगा 4200 रुपए प्रति किलो ऊंटनी के दूध का पाऊडर
बीकानेर, 31 दिसम्बर (हि.स.)। एक कूबड़ वाले ऊंटों पर आधारभूत एवं व्यावहारिक अनुसंधान के साथ-साथ लद्दाख की नूब्रा घाटी के ठंडे रेगिस्तान मेें पाए जाने वाले दो कूबड़ीय ऊंटों पर भी अनुसंधान के लिए ध्यान केंद्रित करने वाले बीकानेर स्थित राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र में जल्द ही 50 लाख रुपए की 'फ्रीज ड्राईड पाऊडर' बनाने की मशीन आएगी। इस मशीन से बनने वाले ऊंटनी के दूध के पाऊडर को देश के किसी भी कोने में भेजा जा सकेगा।
यह जानकारी रविवार को केंद्र के निदेशक डॉ. आर्तबंधु साहू व डॉ. आर.के. सावल ने संयुक्त रुप से पत्रकारों को दी। स्वच्छता पखवाड़े के समापन आयोजित पत्रकार सम्मेलन में डॉ. साहू व डॉ. सावल ने बताया कि वर्तमान में फ्रीज ड्राईड पाऊडर बनाने के लिए निजी डेयरी कम्पनी के साथ केंद्र ने एमओयू किया हुआ है लेकिन मार्च-2024 में फ्रीज ड्राईड पाऊडर बनाने की मशीन केंद्र में आने के बाद यहीं पर पाऊडर तैयार होगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देशभर के कोने-कोने में यह पाऊडर 4200 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है और पाऊडर केंद्र के वैज्ञानिकों की राय के साथ छह महीने तक यदि सही ढंग से रखा जाए तो खराब भी नहीं होगा। प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया प्रकोष्ठ से जुड़े नेमीचंद भी मौजूद थे।
प्रमुख पर्यटन स्थल है उष्ट्र अनुसंधान केंद्र, जहां आते हैं प्रतिवर्ष हजारों देशी-विदेशी पर्यटक
केंद्र के निदेशक डॉ. आर्तबंधु साहू व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आर.के.सावल ने बताया कि केंद्र बीकानेर के प्रमुख पर्यटन-स्थल के रूप में जाना जाता है तथा इसे पर्यटन मानचित्र में विशेष स्थान दिया गया है। पर्यटक इस केन्द्र में विभिन्न नस्लों के ऊंट तथा इनकी स्वभावगत आदतों का अनुभव कर सकते हैं। उष्ट्र संग्रहालय में पर्यटकों का भ्रमण उन्हें रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र के ऊंट की विकास यात्रा एवं अनुसंधान विषयक जानकारी देता है। केन्द्र में उष्ट्र सवारी, सफारी, वीडियो तथा फोटोग्राफी करने की सुविधाएं उपलब्ध हैं। उष्ट्र मिल्क पार्लर का विशेष आकर्षण है क्योंकि यहां पर अनूठे मूल्य संवर्धित दुग्ध उत्पाद जैसे आइसक्रीम, गरम तथा ठण्डे पेय पदार्थों का विपणन किया जाता है। प्रतिवर्ष हजारों विदेशी एवं भारतीय पर्यटक केन्द्र का भ्रमण करने आते हैं।
विशेष स्वच्छता अभियान का समापन
भारत सरकार के निर्देशानुसार स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत पर्यटन स्थल की दृष्टि से महत्व को ध्यान में रखते हुए उष्ट्र अनुसंधान केंद्र को और अधिक व साफ-सुथरा, आकर्षक बनाया गया ताकि स्वच्छता के माध्यम से पर्यटन विकास गतिविधियों को और अधिक बढ़ावा मिल सके। डॉ. साहू व डॉ. सावल ने बताया कि कार्यालयीन व बाहरी क्षेत्र में भी स्वच्छता सम्बन्धी कार्यक्रम आयोजित किए गए।
हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर
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