रामकथा के पोस्टर का विमोचन कर प्रथम पूज्य को दिया रामकथा का निमंत्रण

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रामकथा के पोस्टर का विमोचन कर प्रथम पूज्य को दिया रामकथा का निमंत्रण


जयपुर, 4 सितंबर (हि.स.)। श्री बालाजी गौशाला संस्थान सालासर के सानिध्य में और विद्याधर नगर स्टेडियम आयोजन समिति जयपुर के तत्वावधान में विद्याधर नगर स्टेडियम में सात से पन्द्रह नवंबर तक नौ दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन किया जाएगा। पद्म विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज श्रोताओं को राम कथा का रसास्वादन करवाएंगे। विद्याधर नगर स्टेडियम आयोजन समिति के सचिव एडवोकेट अनिल संत ने बताया कि बुधवार को प्रथम पूज्य को आयोजन का निमंत्रण दिया गया। इस अवसर पर समारोह के पोस्टर का विमोचन भी किया गया।

इस अवसर पर अनिल संत, पंकज ओझा, जितेन्द्र मित्रुका, डॉ. सुनील शर्मा, सुधीर जैन गोधा, गब्बर कटारा, दुर्गालाल माली पुष्पेन्द्र भारद्वाज, सचिन रावत, गोपेश शर्मा, बजरंग शर्मा (नेता), राजेन्द्र कासलीवाल, विवेक पोद्दार, कमल अग्रवाल, गोपाल शर्मा, दीपक गर्ग, टिंकु राठौड़, जितेश पारीक उपस्थित रहे। श्री बालाजी गौशाला संस्थान, सालासर के अध्यक्ष रविशंकर पुजारी ने बताया कि जयपुर पहुंचने पर महाराज का एयरपोर्ट से कथा स्थल तक भव्य स्वागत किया जएगा। पुजारी ने बताया कि एयरपोर्ट से विद्याधर नगर तक के मार्ग में सौ तोरण-द्वार बनाए जाएंगे। मार्ग में महाराज से हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जाएगी।शाही लवाजमे के साथ निकलेगी कलश यात्रा

विद्याधर नगर स्टेडियम आयोजन समिति के सचिव एडवोकेट अनिल संत ने बताया कि छह नवंबर को शाही लवाजमे और बेंडबाजे के साथ भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी। कलश यात्रा में 51 सौ महिलाएं पारंपरिक परिधान में सिर पर कलश धारण किए चलेंगी। कलश यात्रा क्षेत्र के मुख्य मार्गों से होते हुए कथा स्थल पहुंचेगी । कलश यात्रा का मार्ग में अनेक स्थानों पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया जाएगा।

स्टेज होगा श्री राम मंदिर का प्रतिरूप

कार्यक्रम संयोजक राजन शर्मा ने बताया कि महाराज की कथा के लिए बनने वाला स्टेज अयोध्या के श्री राम मंदिर का प्रतिरूप होगा। स्टेज को बंगाल के कारीगर तैयार करेंगे। संपूर्ण भारत के साधु-संतों को कथा में आने का निमंत्रण दिया जा रहा है। प्रतिदिन करीब 50 हजार लोगों के कथा में आने की उम्मीद है। गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में रहते हैं। उनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है। वे एक विद्वान, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द संप्रदाय के मौजूदा चार जगद्गुरुओं में से एक हैं और इस पद पर 1988 से आसीन हैं। महाराज चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति भी हैं। चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्थापना का श्रेय भी इन्हें ही जाता है। इन्होंने दो संस्कृत और दो हिंदी में मिलाकर कुल चार महाकाव्यों की रचना की है। उन्हें भारत में तुलसीदास पर सबसे बेहतरीन विशेषज्ञों में गिना जाता है। साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।

उल्लेखनीय है कि पद्म विभूषण रामभद्राचार्य महाराज ने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद-पुराण के उदाहरण देकर गवाही दी थी। जब श्रीराम जन्मभूमी के पक्ष में वे वादी के रूप में शीर्ष कोर्ट में उपस्थित थे। उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना प्रारंभ किया जिसमें सरयू नदी के स्थान विशेष से दिशा और दूरी का सटीक ब्यौरा देते हुए श्री राम जन्मभूमि की दूरी बताई गई है। कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगवाई गई और उसमें जगद्गुरु द्वारा बताई गई पृष्ठ संख्या को खोल कर देखा गया तो समस्त विवरण सही पाए गए। इस प्रकार जगद्गुरु के वक्तव्य ने फैसले का रुख मोड़ दिया। जज ने भी कहा कि आज मैंने सनातनी प्रज्ञा का चमत्कार देखा है। एक व्यक्ति जो भौतिक रूप से आंखों से रहित है वो भारतीय वांग्मय और वेद-पुराणों के उद्धरण दे रहा है जो बिना ईश्वरीय कृपा के संभव नहीं है।

दिव्यांगता को हरा कर जगद्गुरु सिर्फ

दो माह की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। लेकिन आज इन्हें 22 भाषाएं आती हैं और ये 80 ग्रंथों की रचना कर चुके हैं। न तो ये पढ़ सकते हैं और न लिख सकते हैं और न ही ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं। केवल सुन कर सीखते हैं और बोल कर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं। पद्मविभूषण रामभद्राचार्य एक ऐसे संन्यासी है जो अपनी दिव्यांगता को हरा कर जगद्गुरु बने हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

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