अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में पशुओं की खरीद-फरोख्त ने तोड़ा 10 साल का रिकॉर्ड, 125 करोड़ का कारोबार

अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में पशुओं की खरीद-फरोख्त ने तोड़ा 10 साल का रिकॉर्ड, 125 करोड़ का कारोबार
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अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में पशुओं की खरीद-फरोख्त ने तोड़ा 10 साल का रिकॉर्ड, 125 करोड़ का कारोबार


अजमेर, 30 नवंबर (हि.स.)। विश्व प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में पशुओं की खरीद-फरोख्त ने दस साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस दौरान सवा सौ करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले के दौरान बड़ी संख्या में देसी और विदेशी पर्यटकों की भी आवक काफी अच्छी रही है। हालांकि इजरायली पर्यटकों की संख्या इस बार युद्ध के कारण काफी कम रही है। इस साल अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड, जर्मनी, समेत विभिन्न यूरोपीय देशों के अलावा जापान से भी काफी संख्या में पर्यटक आए हैं।

पर्यटन विभाग ने विदेशी पर्यटकों की संख्या के आंकड़े साझा नहीं किए हैं, लेकिन जानकार बताते हैं कि इस साल करीब तीन हजार विदेशी पर्यटक आए हैं। दरअसल, देशी-विदेशी पर्यटकों का यह आंकड़ा पुष्कर पशु मेले के कारण बढ़ा है। खास बात यह है कि पुष्कर पशु मेले की अवधि को इस बार चुनाव के मद्देनजर कम किया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा और दीपावली के बाद भाईदूज से एकादशी तक पुष्कर पशु मेला भरा। पर्यटन की दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले की जान पशु मेला रहता है। पुष्कर मेले में हजारों की संख्या में रेगिस्तान के जहाज ऊंट को एक साथ एक ही जगह पर देखने का अनुभव लिया जा सकता है। साथ ही, मिट्टी के धोरों पर सतरंगी संस्कृति की झलक भी देखने को मिलती है। मसलन, पशुओं के साथ राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से पशुपालक भी आते हैं। खुले आसमान के नीचे पशुओं के साथ उनका रहन-सहन, पहनावा, ज्वैलरी आदि विदेशियों को आकर्षित करती आई है। गत पांच वर्षों में इस बार देसी-विदेशी पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है। यह संख्या बेहतर हो सकती थी, लेकिन रूस और यूक्रेन एवं इजरायल और फिलिस्तीन की जंग के कारण पर्यटन पर भी इसका असर पड़ा है।

पुष्कर स्थित पशुपालन विभाग के आंकड़े देखें तो इस बार 8087 पशु मेले में आए। इनमें ऊंट वंश की संख्या 3639, अश्व वंश 4152, गोवंश 102, भैंस वंश 32 का आंकड़ा रहा है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ नवीन परिहार ने बताया कि गत पांच वर्षों में कोरोना, लंपी और ग्लेंडर बीमारियों के कारण मेला प्रभावित रहा है, लेकिन इस बार मेले में पशुओं की आवक काफी अच्छी रही है। उन्होंने बताया कि 88 लाख 10 हजार 650 ऊंट और अश्व पालकों में 7 करोड़ 39 लाख दो हजार 260 का क्रय-विक्रय हुआ है। कुल 8 करोड़ 27 लाख 12 हजार 910 रुपये का व्यापार हुआ है। इसमें विभाग को 10618 रुपए का रवन्ना प्राप्त हुआ है। यह विभाग के आंकड़े थे मगर मेले में अश्व की खरीद-फरोख्त विभाग के आंकड़ों से भी दुगनी और तिगुनी हुई है। डॉ परिहार ने बताया कि मेले में घोड़े की आवक पिछले मेलों की तुलना में अधिक रही है। गोवंश और भैंस वंश काफी कम मेले में आता था। इस बार इनकी संख्या भी पहले की तुलना में बढ़ी है।

पुष्कर मेले में देशी-विदेशी पर्यटकों की आवक अच्छी होने से पर्यटन उद्योग से जुड़े हुए होटल, रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस, गारमेंट्स, टूर एंड ट्रेवल्स, तीर्थ, पुरोहित और अन्य व्यवसायों को इस बार राहत मिली है। गत पांच वर्षों से पर्यटन उद्योग से जुड़े कारोबार में गिरावट आ रही थी, लेकिन इस बार देशी और विदेशी पर्यटकों की आवक अच्छी रहने से मेले में लगभग 100 करोड़ का कारोबार पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यवसाय को हुआ है। पुष्कर होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष रघु शर्मा बताते हैं कि कोरोना के बाद गायों में लम्पी और घोड़ों में ग्लेंडर बीमारी के कारण पुष्कर पशु मेला प्रभावित रहा। इसका असर पर्यटकों की आवक पर भी पड़ा।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

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