राज विस चुनाव: धौलपुर विधान सभा सीट पर जीजा और साली आमने सामने

राज विस चुनाव: धौलपुर विधान सभा सीट पर जीजा और साली आमने सामने
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राज विस चुनाव: धौलपुर विधान सभा सीट पर जीजा और साली आमने सामने


राज विस चुनाव: धौलपुर विधान सभा सीट पर जीजा और साली आमने सामने


धौलपुर, 22 नवंबर (हि.स.)। कहते हैं कि जंग और राजनीति में सब कुछ जायज होता है। राजस्थान विधान सभा चुनाव में धौलपुर जिले में राजनीति की ऐसी ही जंग देखने को मिल रही है। जिले में कहीं बागियों की चुनौती सामने है, तो कहीं नजदीक के रिश्ते ही राजनीति की कसौटी पर कसे जा रहे हैं। राजस्थान में सोलहवीं विधान सभा के गठन के लिए हो रहे चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा धौलपुर विधान सभा सीट पर चुनावी समर में जीजा और साली आमने सामने होने के कारण है। यह दोनों ही रिश्तेदार और प्रत्याशी परम्परागत रूप से धुर विरोधी कही जाने वाली कांग्रेस और भाजपा से प्रत्याशी हैं, जिसके बाद में मुकाबला और भी ज्यादा दिलचस्प हो गया है।

धौलपुर विधान सभा सीट पर सूबे की सत्ता पर काबिज कांग्रेस ने भाजपा से निष्कासित धौलपुर की वर्तमान विधायक शोभारानी कुशवाहा को कांग्रेस का टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है। इसके जवाब में भाजपा ने पेशे से सर्जन डा. शिवचरण सिंह कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाया है। डा. शिवचरण सिंह कुशवाहा और शोभारानी कुशवाहा के बीच में जीजा और साली का रिश्ता है। यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा के परस्पर विरोध और विकास के दावों के बजाय चर्चा जीजा और साली के बीच में चुनाव को लेकर चल रही है।

राजस्थान का पूर्वी सिंहद्वार कही जाने वाली धौलपुर विधानसभा सीट पर चुनाव के ऐलान से पहले पाला बदल हुआ। धौलपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक शोभारानी कुशवाहा द्वारा राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने के बाद में भाजपा ने उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। भाजपा से निष्कासन के बाद शोभारानी कुशवाहा को इनाम के बतौर कांग्रेस ने धौलपुर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बना दिया। उधर, बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शोभारानी कुशवाहा को बतौर कांग्रेस प्रत्याशी टक्कर देने वाले डा. शिवचरण कुशवाहा भी कांग्रेस को बाय-बाय करके भाजपा में शामिल हो गए। जिसके बाद में भाजपा ने डा. शिवचरण सिंह कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतार दिया है। इसके बाद में एक बार फिर से जीजा और साली चुनावी समर में आमने सामने हो गए हैं।

धौलपुर विधानसभा सीट पर वर्ष 2018 के चुनावी नतीजों पर गौर करें, तो तब भाजपा प्रत्याशी रहीं शोभारानी कुशवाहा ने कांग्रेस प्रत्याशी रहे डा. शिवचरण सिंह कुशवाहा को 19 हजार 360 वोटों से हराया था। वर्ष 1018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शोभारानी कुशवाहा को 67 हजार 349 वोट मिले थे,जबकि कांग्रेस प्रत्याशी डा. शिवचरण सिंह कुशवाहा को 47 हजार 989 वोट ही मिल सके। धौलपुर विधानसभा सीट के चुनावी मिजाज की बात करें, तो 15 अप्रेल 1982 को भरतपुर से अलग होकर स्वतंत्र जिला बनने के बाद से विगत चालीस सालों से धौलपुर में भाजपा का ही दबदबा रहा है। धौलपुर विधानसभा सीट से ही भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और देश के पूर्व उपराष्ट्रपति भैंरोसिंह शेखावत धौलपुर से जीत कर विधानसभा में पहुंचे हैं।

धौलपुर से कांग्रेस प्रत्याशी शोभारानी कुशवाहा के राजनीतिक अतीत पर गौर करें, तो जिले के चर्चित नरेश कुशवाह हत्याकांड में सजा मिलने के बाद में धौलपुर से बसपा विधायक बीएल कुशवाहा की विधायकी चली गई। तब पूर्व विधायक बीएल कुशवाहा की पत्नी शोभारानी कुशवाहा ने वर्ष 2017 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में धौलपुर विधान सभा सीट पर हुए उप चुनाव से राजनीति में कदम रखा था। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में शोभारानी कुशवाह जीतकर धौलपुर विधायक बनीं। इस प्रकार शोभारानी कुशवाह अपने पति और बसपा विधायक बीएल कुशवाह की राजनीतिक विरासत को संभाल रहीं हैं। इस बार वह पाला बदल कर कांग्रेस की टिकट पर एक बार फिर से धौलपुर से ही चुनाव मैदान में हैं।

वहीं, वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जिले के कई कांग्रेसी दिग्गजों के टिकट काटकर प्रख्यात सर्जन डा. शिवचरण कुशवाहा को धौलपुर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। तब वह अपना पहला चुनाव हार गए थे। कांग्रेस की टिकट पाकर धौलपुर की राजनीति में कई समीकरणों को बदलने वाले डा. शिवचरण कुशवाहा का यह दूसरा चुनाव है। इससे पूर्व डा. कुशवाहा अपने रिश्तेदारों के लिए राजनीति में मार्गदर्शक और समर्थक की भूमिका निभाते रहे हैं। इस लिहाज से डा. कुशवाहा भी राजनीति के बेहतर खिलाडी हैं। इस चुनाव में डा. शिवचरण कुशवाहा भाजपा की टिकिट पर चुनावी समर में उतरे हैं।

इस विधानसभा चुनाव में अपने पति डा. शिवचरण कुशवाहा के प्रचार की कमान संभालने वाली रजनीकांता कुशवाहा ने वर्ष 2017 के उप चुनाव में अपनी छोटी बहिन शोभारानी कुशवाहा का ही समर्थन किया था। लेकिन बीते सालों में बदले हालातों में अब मामला आमने सामने का बन गया है। दोनों की सक्रियता के कारण कई बार तो ऐसा लगता है कि यह चुनाव दोनों बहनों के बीच में ही है। एक ही विधान सभा सीट पर जीजा और साली के बीच में हो रहे चुनावी घमासान के कारण चुनावी चर्चा दिलचस्प होने के साथ ही अपने चरम पर है।

हिन्दुस्थान समाचार/ प्रदीप/संदीप

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