जवाहर कला केन्द्र : ब्रज की होरी ने मोहा मन, कृष्णमय हुए कला अनुरागी
जयपुर, 22 मार्च (हि.स.)। 'फिजा में घुलता श्याम रंग, फूलों की बौछार, ब्रज भाषा के मधुर गीत, राधा नाम की रसधार', कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला शुक्रवार को जवाहर कला केन्द्र में। होली के अवसर को ध्यान में रखते हुए केंद्र की ओर से फागोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें भारतीय कला संस्थान की ओर से अशोक शर्मा व समूह ने फूलों के साथ ब्रजहोरी की प्रस्तुति दी।
मंच पर पहुंचे कलाकारों ने श्री कृष्ण और राधा रानी की मनमोहक छवि को मंच पर साकार किया। 'चंद्र मिटे, सूरज मिटे, मिटे त्रिगुण विश्वास, मिटे ना हरिवंश चंद्र को, मिटे ना नित्य विहार', श्री कृष्ण की वंदना के साथ प्रस्तुति की शुरुआत हुई। इसके बाद कलाकारों ने किशोरी जी की वंदना की। 'चारों धामों से निराला ब्रज धाम है, कृष्ण को गांव है', पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुति के साथ ब्रज यात्रा के सौंदर्य को साकार किया गया। रंगायन में मौजूद दर्शकगण कृष्ण रंग में रंगे दिखायी दिए। इसी बीच मयूर नृत्य ने सभी को रोमांचित कर दिया।
'आयो रसिया, मोर बण आयो रसिया' गीत पर मयूर नृत्य कर कलाकारों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्री कृष्ण की मनमोहक छवि ने दर्शकों का मन मोह लिया। 'आज ब्रज में होरी रे रसिया' गीत पर फूलों की होली से जब समां बंधा तो सभी झूम उठे।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप
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