मल्टी लेयर फार्मिंग से बढेगी किसानों की आमदनी

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मल्टी लेयर फार्मिंग से बढेगी किसानों की आमदनी


गुलाब बत्रा

जयपुर, 1 जुलाई (हि.स.)। पिछले दशकों में भरतपुर जिले में विकसित एग्रो पशुपालन मॉडल पर आधारित शोध पत्र को देश के किसानों, पशुपालकों से साझा किया जायेगा। उच्चैन बयाना सड़क मार्ग पर पना गांव में मल्टीलेयर फार्मिंग सहित नवाचारों के लिए लोहागढ़ जैविक फार्म को परीक्षण केन्द्र बनाने की दिशा में पहल हो गई।

अर्थशास्त्री एवं स्वच्छ भारत मिशन रिसर्च कमेटी के चेयरमैन डॉ.अमिताभ कुन्डू और कृषि सुधार एवं एमएसपी पर गठित प्रधानमंत्री उच्चाधिकार समिति के सदस्य डॉ. विनोद आनंद ने हाल ही में फार्म का अवलोकन करते हुए यह राय व्यक्त की। फार्म संचालक डिप्लोमा इंजीनियर कमल मीणा तथा लूपिन के पूर्व अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता ने 16 बीघा क्षेत्र फैले फार्म पर कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र में किए गये नवाचारों से उन्हें अवगत कराया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 सितम्बर, 2022 को मन की बात कार्यक्रम में कमल मीणा की उपलब्धियों का उल्लेख किया था। प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में राजस्थान से कमल मीणा सहित चित्तौडगढ़ सवाई माधोपुर के तीन किसान सम्मिलित हुए थे।

लगभग सात हजार वृक्षों से आच्छादित इस फार्म पर स्थानीय संसाधनों से तीन बिस्वा भूमि पर छायादार मल्टीलेयर फार्मिंग मॉडल तैयार किया गया है। जमीन से ढाई ईंच नीचे सामान्य तथा काली हल्दी बोयी गयी। औषधीय गुण कुकुरमिन होने से काली हल्दी कैंसर चिकित्सा में काम आती है। ऊपर दो माह में तैयार होने वाली पालक, धनिया, मैथी की बुवाई की गई। इनकी कटाई से हल्दी पौधों की निराई गुड़ाई हो जाती है। बांसों पर बेल वाली फसलें तोरई, करैला, घीया इत्यादि लगाई गई। पन्द्रह-पन्द्रह फिट पर देषी पपीता लगाया गया। गन्ना चूंकि पांच वर्ष में तैयार होता है। इसके साथ लगाई गई अरहर दाल प्रत्येक छः माह मे मिल जाती है। मल्टीलेयर फार्मिंग से किसान दो बीघा भूमि में विविध फसले लेकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते है।

कृषि तथा पशुपालन में किए नवाचारों के संदर्भ में कमल मीणा ने बताया कि जैविक खेती और नेचुरल फार्मिंग का समन्वित रूप अधिक लाभप्रद रहा। रासायानिक खाद कीटनाशक के उपयोग से खेती की भूमि में कार्बन कम हो रहा है। ऐसी जमीन को पुनः उपजाऊ बनाने में तीन से चार साल लग जाते है। गाय के गोबर, मूत्र सहित गुड़ और बेसन के घोल से तैयार जीवामृत खाद एवं वर्मी या कम्पोस्ट खाद फसल के लिए अत्यंत उपयोगी होती है। भारत सरकार ने गाय के उत्पादों तथा खेती के कूड़ा करकट एवं पेड़ पौधों की पत्तियों को लीप क्रेशर मशीन की सहायता से दो माह में तैयार होने वाली खाद खरीदने की योजना शुरू की है। कमल मीणा ने जैविक खाद और खेती को पंचायत स्तर पर बढ़ावा देने रासायनिक खाद की तरह जैविक खाद पर सब्सिडी देने का सुझाव दिया।

इस दौरान भरतपुर जिले में सरसों की फसल के बारे में चर्चा हुई। सरसों की तूड़ी को जलाने अथवा वर्मी खाद बनाने की अपेक्षा विमान के ईंधन में इस्तेमाल एथेनोल बनाने को प्राथमिकता देने की आवश्यकता बताई गई। इसके संयंत्र स्थापित करने में सरकार सहयोग दे रही है। भरतपुर में एग्रो पशुपालन मॉडल के बारे में सीताराम गुप्ता ने बताया कि कामां के निकट इन्द्रोली में एक पशुपालक को दूध उत्पाद संयत्र के लिए पांच छह बरस पहले बैंक ऋण सहायता दिलाई गई। संयत्र से घी मावा पनीर तैयार करने के साथ मिठाईयां भी बनायी जा रही है। हरियाणा के फरीदाबाद तक इसकी मांग है। इस पहल से किसान पषुपालकों ने संयत्र के लिए दूध हेतु लगभग चार सौ भैंसों की खरीद की है जिससे गांवों की अर्थव्यवस्था सुधरी है।

फार्म की दर्शक पंजिका में डॉ.विनोद आनंद ने लिखा है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं कृषि विस्तार प्रणाली से जुड़े लोगो को पना गांव के इस फार्म को परीक्षण फार्म का रूप देकर कमल मीणा से फार्मर प्रोसेसर के नाते उनके अनुभवों का लाभ लेने की पहल करनी चाहिए। डॉ.अमिताभ कुण्डू ने एग्रो पशुपालन मॉडल पर रिसर्च रिपोर्ट तैयार करके उसके प्रचार-प्रसार की बात कही। प्रधानमंत्री के निर्देश पर अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने भी इस फार्म का अवलोकन किया था। इस फार्म पर गेहूं की विविध महंगी किस्मे सौर ऊर्जा तथा गाय के गोबर से विभिन्न उत्पाद तैयार किये जा रहे है। लगभग सात हजार वृक्षों से आच्छादित इस फार्म का तापमान बाहर से करीब तीन डिग्री कम रहता है।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर

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