बिसलपुर छलकने के कगार पर, अधिकारी अलर्ट मोड पर

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बिसलपुर छलकने के कगार पर, अधिकारी अलर्ट मोड पर


जयपुर, 16 अगस्त (हि.स.)। गुलाबीनगर के बाशिंदों को सालभर पीने का पानी उपलब्ध कराने का प्रमुख स्त्रोत बिसलपुर बांध अब तेजी से छलकने के कगार पर पहुंच गया है। बांध का पिछले 24 घंटे में 20 सेंटीमीटर तक बढ़कर 313 आरएल मीटर के करीब पहुंच गया है। सिंचाई विभाग के अधिकारी बांध में कुल जलभराव लेवल छूने पर बांध के गेट खोलने की कवायद में जुट गए हैं। बांध के सभी 18 गेटों की पिछले दिनों मेंटीनेंस हो चुकी है और विभाग ने बांध पर चौबीस घंटे निगरानी बढ़ा दी है।

जयपुर की लाइफलाइन कहे जाने वाले बिसलपुर बांध में पानी की आवक लगातार जारी है। शुक्रवार को बीसलपुर बांध में 20 सेंटीमीटर पानी की आवक हुई। इससे बीसलपुर बांध का गेज 312.85 से बढ़कर 313.05 आरएल मीटर पहुंच गया। गुरुवार के मुकाबले त्रिवेणी के गेज में भी बढ़ोतरी हुई है। त्रिवेणी का जलस्तर बढ़कर तीन मीटर पहुंच गया है। अगर इसी गति से पानी की आवक जारी रहती है तो इस माह के अंत तक बिसलपुर बांध छलक सकता है। बिसलपुर बांध की ऊंचाई 315.50 आरएलमीटर है। लगातार बढ़ रही पानी की आवक के बाद सिंचाई विभाग भी मुस्तैद हो गया है।

सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता मनीष बंसल ने बताया कि बांध की कुल जलभराव क्षमता 3215.50 आरएल मीटर है और त्रिवेणी से होकर बांध में पानी की आवक तेजी से हो रही है। बांध में पानी उच्चतम स्तर छूने के बाद ही बांध के गेट खोलकर पानी की निकासी का निर्णय किया जाएगा। इसके अलावा त्रिवेणी से होकर बांध तक पहुंच रहे पानी की आवक की रफ्तार का देखते हुए बांध के गेट खोले जाएंगे। त्रिवेणी से यदि पानी की आवक धीमी होती है तो गेट खोलने की बजाय बांध में पानी के उच्चतम स्तर को मेंटेन रखा जाएगा।

विभाग के अनुसार बांध में हो रही पानी की आवक बढ़ने पर सिंचाई विभाग के कर्मचारी गेट खोलने की कवायद को लेकर रिहर्सल कर चुके हैं। बांध पर लगाए गए सायरन के साथ बांध के गेट, मोटर आदि की चैकिंग मानसून पूर्व की गई है वहीं डेम पर सुरक्षा को लेकर चौबीस घंटे निगरानी के लिए सुरक्षाकर्मी और कर्मचारी तैनात किए गए हैं।

बांध के ओवरफ्लो होने की स्थिति पर सिंचाई विभाग जिला कलक्टर, तहसीलदार, पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी समेत ग्रामीणों को अलर्ट की सूचना देता है। बांध के गेट खोलने से पूर्व बांध पर बाकायदा सायरन बजाकर और नहर के किनारे बसे गांवों में मौखिक तौर पर माइक के जरिए सिंचाई विभाग ग्रामीणों को अलर्ट करता है। डेम के आस पास मौजूद लोगों और वाहनों को हटाने के बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में डेम के गेट खोलने की रस्म अदायगी की जाती है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित / ईश्वर

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