सार्वभौम और विज्ञान सम्मत है भारतीय नवववर्ष - प्रो. शर्मा
उदयपुर, 27 मार्च (हि.स.)। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाने वाला भारतीय नववर्ष न केवल वैज्ञानिक आधार पर खरा है, अपितु यह सार्वभौम है, क्योंकि प्रतिपदा की अवधि पृथ्वी के हर स्थान पर समान रहती है, जबकि अन्य कैलेंडर में पृथ्वी के अलग-अलग भाग में समान समय में भी तारीखें बदल जाती हैं।
यह बात भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति उदयपुर के अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा ने बुधवार को यहां नववर्ष पर होने वाली विशाल शोभायात्रा व धर्मसभा के निमित्त आयोजित प्रेसवार्ता में कही। शोभागपुरा सौ फीट रोड स्थित होटल रॉयल हिस्टिरिया में आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने भारतीय कालगणना और संवत के आधार पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर मनाए जाने वाले नववर्ष का महत्व और उसकी वैज्ञानिकता की जानकारी भी दी।
उन्होंने कहा कि विक्रम संवत 2081 की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा इस वर्ष 8 अप्रैल रात्रि 11.50 बजे शुरू होकर 9 अप्रैल रात्रि 8.30 तक रहेगी और पूरे विश्व में हर स्थान पर यह तिथि लागू होगी। विश्व में प्रचलित विविध काल गणनाओं में भारतीय तिथियां ही सार्वभौम सन्दर्भ योग्य दिनक्रम प्रदान करती हैं। इन तिथियों का आरम्भ व समाप्ति काल पृथ्वी पर सभी स्थानों पर एक सामान होने से उनका सार्वभौम सन्दर्भ सरलतापूर्वक दिया जा सकता है। अंग्रेजी तारीखें मध्य रात्रि से बदलती हैं और मध्य रात्रि का समय भिन्न-भिन्न स्थानों पर अलग-अलग होता है जिसमें 24 घण्टे तक का अंतर आ जाता है। उदाहरणतः भारत व अमरीका में मध्य रात्रि में साढ़े बारह घण्टे तक का अंतर होने पर भी हिन्दू तिथियों में परिवर्तन तो एक ही समय होता है, लेकिन तारीख बदलने के समय में सदैव 12 घण्टे 30 मिनट तक का अंतर आ जाता है। ‘अंतरराष्ट्रीय तारीख रेखा’ अर्थात इंटरनेशनल डेट लाइन के पूर्व एवं पश्चिम में तो तारीखों में सदैव ही एक दिन का अन्तर रहता है। पृथ्वी पर न्यूजीलैण्ड में मध्यरात्रि सबसे पहले प्रारम्भ होने से अंग्रेजी तारीख से नए साल का समारोह सर्वप्रथम वहीं प्रारम्भ होता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दिनांक रेखा की उल्टी दिशा में कुक द्वीप पर जाकर 23 घण्टे बाद पुनः नए साल की पूर्व संध्या मनाई जा सकती है। इसी प्रकार समोआ व अमेरिकी समोआ एक दूसरे से मात्र 165 किलोमीटर दूरी पर हैं, लेकिन समोआ विश्व में सबसे पहले नया साल मनाता है और उससे 165 किमी दूर अमेरिकी सामोआ में एक दिन बाद एक जनवरी की तारीख आती है।
समिति के संयोजक रविकांत त्रिपाठी ने बताया कि गत दो वर्ष से जारी नववर्ष विशाल शोभायात्रा और धर्मसभा का आयोजन इस बार भी भव्य स्वरूप लिए होगा। कार्यक्रम भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति एवं नगर निगम, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में होगा। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत 2081 भारतीय नववर्ष 9 अप्रैल को उदयपुर में शंख ध्वनि के साथ मंगलाचार गूंजेगे। कलश यात्रा के साथ निकलने वाली भव्य शोभयात्रा में महिलाएं मंगलगीत गातीं चलेंगी। इस बार कलश यात्रा तीन स्थानों के बजाय एक ही स्थान से रखी गई है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा संवत 2081 तदनुसार 9 अप्रैल को कलश यात्रा फतह स्कूल से दोपहर 3 बजे शुरू होगी। कलश यात्रा के लिए 41 हजार कलश का लक्ष्य रखा गया है जिसके कूपन वितरण का क्रम जारी है। मातृशक्ति में कलश यात्रा को लेकर उत्साह है।
उन्होंने बताया कि मुख्य शोभायात्रा भी टाउन हॉल से दोपहर 3 बजे रवाना होगी। विभिन्न झांकियों के साथ हाथी-घोड़े, बुलेट सवार, डांडिया नृत्य करती युवा शक्ति, अखाड़ा प्रदर्शन आदि शामिल होंगे। शोभायात्रा में विभिन्न समाजों की 100 से अधिक झांकियां शामिल होंगी। समिति को हर समाज का सहयोग प्राप्त हो रहा है। नववर्ष समारोह को व्यापक स्वरूप प्रदान करने के लिए उदयपुर को 11 भागों में बांटा गया है। इनमें घरों में पुष्पांकन, रंगोली के लिए समितियां अलग से बनाई गई हैं। इसी प्रकार, मंदिरों की साज-सज्जा के लिए तथा मार्गों की साज-सज्जा के लिए भी समितियां बनाई गई हैं। पूरे समारोह में संत समाज का भी आशीर्वाद रहेगा। उनके आशीर्वाद व मार्गदर्शन के लिए गत दिनों ही संत सम्मेलन का भी आयोजन किया गया था।
त्रिपाठी ने बताया कि धर्मसभा सायंकाल 6 बजे भण्डारी दर्शक मण्डप, गांधी ग्राउंड में शुरू होगी। इस बार धर्मसभा में अंतरराष्ट्रीय शिव कथा मर्मज्ञ पं. प्रदीप मिश्रा तथा महामण्डलेश्वर ईश्वरानंद (उत्तम स्वामी) महाराज का सान्निध्य रहेगा। उल्लेखनीय है कि गत दो वर्षों से हो रहे इस आयोजन में वर्ष 2022 में साध्वी दीदी मां साध्वी ऋतंभरा, 2023 में बागेश्वर धाम के महंत पं. धीरेन्द्र शास्त्री, कथावाचक पं. देवक़ीनन्दन ठाकुर का सान्निध्य मिला है।
समारोह की स्वागत समिति के सदस्य उप महापौर पारस सिंघवी ने आभार प्रकट करते हुए बताया कि इस समाजोत्सव में उदयपुर के हर समाज की सहभागिता प्राप्त हो रही है जिससे इसका स्वरूप वृहद हो रहा है। इस अवसर पर समिति के संरक्षक चतुर्भुज हनुमान मंदिर हरिदासजी की मगरी के महंत इंद्रदेव दास, उद्यमी गोविन्द अग्रवाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक आनंद प्रताप सिंह, समाजोत्सव समिति के पूर्व संयोजक विष्णु नागदा, कपिल चित्तौड़ा भी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता/ईश्वर
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