शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री के आने से पहले भीड़ हुई बेकाबू, पुलिस को करनी पड़ी मशक्कत
जयपुर, 15 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने से पहले भीड़ बेकाबू हो गई। वीआईपी एरिया में घुसने के लिए लोगों ने धक्का मुक्की की। हालांकि, पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद भीड़ को काबू किया।
राजधानी के रामनिवास बाग स्थित अल्बर्ट हॉल के सामने राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी और डॉ प्रेमचंद बैरवा का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। इस कार्यक्रम में प्रदेशभर से लोग आए और रामनिवास बाग के आस-पास के कई इलाकों में यातायात भी बंद करना पड़ा। इधर से गुजरने वाले वाहनों को दूसरे रास्ते से डायवर्ट करना पड़ा। समारोह में उमड़ी भीड़ को व्यवस्थित रखने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए। समारोह स्थल पर उमड़ी भीड़ के कारण एकबारगी धक्का मुक्की की स्थिति बन गई और पुलिस को भीड़ को रोकने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंच पर आने से पहले बड़ी संख्या में लोग वीआईपी पासधारी अतिथियों के बैठने के लिए बनाए गए पांडाल में घुसने की कोशिश करने लगे। इससे एकबारगी वहां धक्का मुक्की के हालात बन गए। लोग बैरिकेड्स कूदकर भीतर घुसने का प्रयास करने लगे। इस पर डीसीपी (पूर्व) ज्ञानचंद यादव, मानसरोवर एसीपी अभिषेक शिवहरे व अन्य अधिकारी और पुलिस के जवान दौड़ते हुए मौके पर पहुंचे और भीड़ को काबू करने का प्रयास किया। उन्होंने लोगों से समझाइश कर उन्हें शांत करवाया और हालात को काबू किया। इस दौरान इक्का-दुक्का लोगों को मामूली चोट लगने की भी जानकारी मिली है। शपथ ग्रहण समारोह खत्म होने के बाद जब लोग कार्यक्रम स्थल से निकलने लगे तो टोंक रोड और जेएलएन मार्ग पर कई जगह जाम के हालात बन गए। हालांकि, पुलिस और यातायात पुलिस के जवानों ने बड़ी मशक्कत कर जाम खुलवाया और वाहनों को आगे बढ़ाया। इससे पहले परकोटे में भी जगह-जगह जाम के हालात बने।
वसुंधरा ने शुरू किया था राजभवन के बाहर शपथ का ट्रेंड
वसुंधरा राजे से पहले सार्वजनिक रूप से शपथ ग्रहण समारोह को सभा का रूप देने का ट्रेंड नहीं था। पहले राजभवन में ही सीएम शपथ लेते रहे हैं। वसुंधरा राजे जब दिसंबर 2003 में पहली बार सीएम बनी, तब उन्होंने विधानसभा के सामने जनपथ पर बड़ी सभा करके शपथ ली थी। शपथ समारोह में देश भर के बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे। 2008 में अशोक गहलोत दूसरी बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इस ट्रेंड को नहीं अपनाया। गहलोत ने राजभवन में ही शपथ ली थी। हालांकि, 2018 में गहलोत जब तीसरी बार सीएम बने तो अल्बर्ट हॉल के बाहर खुले में शपथ समारोह रखा। वसुंधरा राजे ने 2003 और 2013 में जनपथ पर ही शपथ समारोह रखा।
अल्बर्ट हॉल से लेकर विधानसभा तक जनपथ पर अब सभा समारोह या विरोध प्रदर्शन पर हाईकोर्ट की रोक है। हाईकोर्ट की रोक के कारण ही अब अल्बर्ट हॉल पर शपथ ग्रहण समारोह रखा गया।
शेखावत तक थी परंपरा
राजस्थान में पुराने सीएम और पूर्व सीएम आपस में एक दूसरे के घर जाकर मिलते रहते थे। भैरोसिंह शेखावत चाहे सत्ता में रहे या विपक्ष में उनके विपक्ष के नेताओं के साथ बहुत अच्छे रिश्ते रहे। अशोक गहलोत जब 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बने तो वे भी शेखावत से मिलने उनके बंगले पर गए। बाद में भी मेल मुलाकात होती रहती थी। 2003 में वसुंधरा राजे के सीएम बनने के बाद सीएम-पूर्व सीएम के एक दूसरे के घर आने जाने का सिलसिला टूट गया।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर
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