स्वयं का निर्माण कर आत्म निर्माण से राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनें- शाहपुरा कलेक्टर

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शाहपुरा, 13 दिसम्बर (हि.स.)। शाहपुरा में चार दिनों से चल रहे गायत्री महायज्ञ का समापन दीप महोत्सव व दीक्षा संस्कार के साथ किया गया। महायज्ञ के दौरान विभिन्न संस्कार कराए गए। इससे पहले दीपदान महोत्सव मनाया गया। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दीप महायज्ञ में हिस्सा लिया। इस दौरान हुई प्रज्ञा पुराण कथा में शांति कुंज हरिद्वार से पधारे कथा व्यास पूरण चन्द्राकार ने लोकमंगल जिज्ञासा प्रकरण मानव में देवत्व का उदय एवं धरती पर स्वर्ग अवतरण के लिए भगवान विष्णु एवं नारद संवाद का बड़ा सुंदर चित्रण किया।

समापन मौके पर शाहपुरा जिला कलेक्टर टीकमचंद बोहरा, लूलांस रामद्वारा के संत निर्मलराम महाराज, रामविश्वास महाराज, भीलवाड़ा समन्वयक सरोजना व्यास, जिला शिक्षा अधिकारी रामेश्वरलाल बाल्दी, शाहपुरा राजपरिवार के मुखिया जयसिंह, कैलाश सोमाणी मोजूद रहे। सभी का सम्मान किया गया।

महोत्सव के समापन पर वक्ताओं ने उपस्थितजनों को जैविक कृषि की ओर अग्रसर होकर राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने का आह्वान किया। उन्होंने आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हुए कई प्रसंग भी बताते हुए धर्म के माध्यम से पुण्य अर्जित करने का मार्ग बताया।

शाहपुरा जिला कलेक्टर टीकमचंद बोहरा ने इस मौके पर कहा कि व्यक्ति स्वयं का निर्माण करें और आत्म निर्माण से राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनें। भगवान मनुष्य को जन्म देते हैं लेकिन गुरु उसे ज्ञान देकर समाज में रहने योग्य बनाते हैं। गुरु चेतना रूप में विद्यमान रहता है। विश्व परिवार की परिधि बहुत विशाल है। उसमें समस्त प्राणी आ जाते हैं। भारत में पशु पक्षियों को भी परिवार का सदस्य माना जाता है। यहां गाय के लिए पहली और कुत्ते के लिए आखिरी रोटी निकाली जाती है। चीटियों को आटा और पक्षियों को दाना डालते हैं। वास्तव में सच्चा सुख देने में है, लेने में नहीं।

लूलांस रामद्वारा के संत निर्मलराम महाराज ने ओम व राम शब्द के आपसी समन्वय का जिक्र करते हुए कहा कि नाम व माला का जप प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में करना चाहिए। मुख्य वक्ता टोली नायक शांतिकुंज प्रतिनिधि पूरण चंद्राकर ने गुरु संदेश देते हुए कहा कि परिवर्तन का चक्र बड़ी तेज गति से चल रहा है। पिछले 2000 वर्षों में मानव ने जितनी गलतियां की है उसका सुधार कर सतयुग की स्थापना का संकल्प साकार होना है। जो नहीं बदलेंगे वह अपने आप ही कुचल जाएंगे। दीपयज्ञ घर-घर में सोए हुए देवत्व को जगाने का शुभ संदेश दे रहा है। उन्होंने आगे बताया कि गुरुदेव द्वारा की गई घोषणाए सशब्द सत्य होती जा रही है 21वी सदी नारी सदी परिलक्षित हो रही है हर क्षेत्र में बहने बढ़.चढ़कर भागीदारी करते हुए आगे आ रही है।

शांतिकुंज हरिद्वार की विद्वान टोली द्वारा यज्ञ पूर्णाहुति एवं विभिन्न प्रकार के संस्कारों को संपन्न कराया गया और रात्रि बेला में हजारों दीप जलाकर एवं सम्मान समारोह आयोजित कर कार्यक्रम का समापन किया गया। प्रवचन व संगीत के माध्यम से लोगों को नशे की प्रवृत्ति से दूर रहने तथा अपने बच्चे को अच्छे संस्कार देने के बारे में विस्तार से बताया गया। इस अवसर पर प्रवचन सुनने व दीप यज्ञ करने के लिए हजारों की संख्या में पुरुष और महिलाएं भी मौजूद रहे। पूर्णाहुति से पहले 100 से अधिक स्कूली बच्चों ने संकल्प लिया। इस संकल्प में उन्होंने नशा न करने और नशे के आदी लोगों को इसे छोड़ने की अपील करेंगे। हर दिन दोनें वक्त 24 गायत्री मंत्र का उच्चारण और लेखन कर शांति, सद्भाव और युग परिवर्तन में अपना योगदान देंगे।

शांतिकुंज हरिद्वार से आईं टोली के प्रमुख पूरण चंद्राकार की अगुवाई में टोली के सान्निध्य में गायत्री परिवार के नए साधकों ने मंत्र दीक्षा ली। इस दौरान गुरु महिमा का बखान किया गया। टोली के प्रमुख पूरण चंद्राकार ने कहा कि कार्यक्रम संयोजक दुर्गालाल जोशी ने बताया कि सुबह जप, ध्यान, योग व्यायाम हुआ। सूर्य-गायत्री महायज्ञ में पूर्णाहुति दी गई।

शांतिकुंज हरिद्वार से आईं टोली के प्रमुख पूरण चंद्राकार ने पावन प्रज्ञा पुराण कथा पर प्रवचन करते हुए कहा कि प्रज्ञा पुराण कथा में 18 पुराणों का सार है। धार्मिक, नैतिक अथवा आध्यात्मिक कथाओं से मनुष्य का नैतिक उत्थान होता है। पूरण चंद्राकार ने बताया कि प्रज्ञा पुराण के चार खंड हैं। प्रथम खंड लोक कल्याण जिज्ञासा प्रकरण से शुरू होता है। यह प्राणी को आत्मबोध कराता है। द्वितीय खंड मानव जीवन को स्वार्थ से उठकर परमार्थ की प्रेरणा देता है। तृतीय खंड में परिवार निर्माण, नारी जागरण, शिशु निर्माण और वसुधैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाया जाता है। वहीं चतुर्थ खंड में भारतीय संस्कृति के जागरण का संदेश है। कथाव्यास पूरण चंद्राकार ने कहा कि प्रज्ञा पुराणा कथा का शुभारंभ देवर्षि नारद और भगवान विष्णु के संवाद से होता है।

हिन्दुस्थान समाचार/मूलचन्द पेसवानी/संदीप

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