ख्वाजा साहब की दरगाह पर हुआ बसंत पेश, शाही कव्वालों ने बसंत गाया
अजमेर, 16 फरवरी(हि.स.)। अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी बसंत पंचमी का उत्सव मनाया गया। दरगाह के शाही कव्वालों ने हिंदू परंपरा के अनुरूप ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर सरसों की पौध के साथ पीले पुष्प का गुलदस्ता बसंत के रूप में पेश किया। इस दौरान दरगाह के शाही कव्वाल पार्टी ने ख्वाजा की शान में कलाम पेश किया। कव्वालों ने बसंत गाया। कव्वालियां सुनाते हुए मजार शरीर तक पहुंचे। दरगाह में बसंत पेश करने की परम्परा अमीर खुसरो के जमाने से चली आ रही है।
दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन के पुत्र व उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती के सानिध्य में दरगाह में पेश बसंत के दौरान भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे। नसीरुद्दन ने देश में साम्प्रदायिक नफरत फैलाने वालों के लिए सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह से एक संदेश भी दिया। उन्होंने कहा नफरत फैलाने वालों को यह समझना होगा कि हम सब पहले भारतीय हैं। हिंदू और मुसलमान बाद में है। उन्होंने कहा कि भारत की सभ्यता की यही खूबसूरती है कि हम हर धर्म का त्यौहार मिल जुलकर मानते है जिस की मिसाल बसंत पंचमी है जो अजमेर सहित देश की हर बड़ी दरगाह में मनाई जाती है। मगर कुछ लोग भारत विरोधी विदेशी ताकतों को खुश करने के लिए दुष्प्रचार कर रहे है कि भारत में मुसलमान खुश नहीं और भारत में मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है जबकि वास्तविकता बिलकुल अलग है। क्योंकि सच्चाई यह है कि भारत का मुसलमान पूरी आजादी के साथ इस देश में रह रहा है। इस देश के हर मुसलमान को अपने धर्म अनुसार पूर्ण रूप से जीने की स्वतंत्रता है जो लोग भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे है, उन्हें अपनी इन नापाक हरकतों से बाज आना चाहिए और एक बार दुनिया के ग़ैर अरब देशों का पूर्ण रूप से विश्लेषण कर लेना चाहिए की वहां के मुसलमान किन हालात में है और क्या उन्हें भारत के मुसलमानों की तरह पूरी धार्मिक स्वतंत्रता है या नहीं।
उन्होंने कहा कि आज देश में जहां देखो नफरत फैलाने कि होड़ मची हुई है। यहां तक समाज के जिम्मेदार भी अपने भाषणों से एक दूसरे की धार्मिक भावनाएं और जज़्बात भड़काने में लगे हुए है, कोई कहता है कि मैं मुस्लिम हूं तो कोई कहता है मैं हिंदू हूं, कोई यह नहीं कहता की हम हिंदुस्तानी हैं, और यही मेरी पहचान है। कुछ स्वार्थी व अतिवादी सोच रखने वाले, आम लोगों के दिलों में ख़ास तौर से युवाओं के दिलों दिमाग़ में धर्म के नाम पर जहर घोल कर देश में नफरत को बढ़ावा दे रहे हैं, जो बिल कुल ग़लत है और सूफी संतों की तालीमत के खिलाफ है। देश में अमन और सद्भावना कायम रहे इसकी जिम्मेदारी सभी की है इसलिए जलसों और कार्यक्रमों में बोलते समय अपनी भाषा में संयम रखे।
हिन्दुस्थान समाचार/संतोष/ईश्वर
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