बैकुंठ चतुर्दशी: 365 दीपक जलाने से मिलेगी साल भर के पापों से मुक्ति
जयपुर, 24 नवंबर (हि.स.)। कार्तिक माह में 25 नवंबर शनिवार को शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार 25 नवंबर को मनाई जाने वाली बैकुंठ चतुर्दशी शनिवार शाम 5 बजकर 25 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 26 नवंबर रविवार दोपहर 3 बजकर 57 मिनट तक रहेगी।
बताया जाता है कि बैकुंठ चतुर्दशी वाले दिन शिव भगवान और विष्णु भगवान की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन नर-नारी पर देव कृपा का उत्तम दिन होता है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर और विष्णु जी की पूजा करने और मंदिरों में दीपदान करने से हर तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित श्री कृष्ण चंद शर्मा ने बताया कि सनातन धर्म में प्रत्येक दिन पूजा-पाठ का विधान है। चतुर्दशी की गोधूली बेला पर किसी भी शिवजी और भगवान राम के मंदिर में 365 दीपक जलाने का विशेष महत्व है। 365 दीये का मतलब हर दिन का एक दीपक। जो व्यक्ति किन्हीं कारणवश साल भर पूजा पाठ से वंचित रह जाता है, तो वह बैकुंठ चतुर्दशी के दिन गोधूलि बेला पर अगर दीये जलाता है, तो वह साल भर के पूजा न करने के दोष से मुक्त हो जाता है। वहीं उसे इसका पुण्य भी मिलता है।
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन बड़ी संख्या में निसंतान दंपतियों के अलावा अन्य श्रद्धालु भगवान शिव के मंदिर पहुंचते हैं। साथ ही केले के पत्तों पर 365 बत्तियों के साथ पूजा अर्चना भी करते हैं, जिससे कि पूजा-पाठ न करने के दोष से वे मुक्त हो सकें। बैकुंठ चतुर्दशी के शुरू होने से लेकर खत्म होने तक पूरा मंदिर परिसर भगवान शिव के जयकारों और भजनों से गुंजायमान रहता है।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप
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