कृषि विश्वविद्यालय अब प्रमाणित बीजों का करेगा उत्पादन
बीकानेर, 13 अप्रैल (हि.स.)। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय अब सत्य चिन्हित (ट्रूथफुल) बीज की जगह प्रमाणित बीजों का उत्पादन करेगा। ये बीज राज्य सरकार से प्रमाणित बीज होंगे। इससे पूर्व एसकेआरए विश्वविद्यालय के अंतर्गत केवल कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर झुंझुनूं और कृषि अनुसंधान केंद्र श्रीगंगानगर में ही प्रमाणित बीज तैयार किया जाता था। खरीफ 2024 में बीज की उपलब्धता को लेकर शनिवार को कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति सचिवालय में हुई बैठक में ये निर्णय़ लिया गया। बैठक में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के निदेशक डॉ जितेन्द्र कुमार तोमर थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ अरुण कुमार ने की।
बैठक में मुख्य अतिथि डॉ जितेन्द्र कुमार तोमर ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक किसानों को बहुत अच्छी क्वालिटी का बीज उपलब्ध करवाएं। इससे कृषि विश्वविद्यालय की साख भी बढ़ेगी। साथ ही कहा कि कृषि विश्वविद्यालय में किसानों को बीज देने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम हो ताकि किसानों को इधर उधर भटकना ना पड़े। डॉ तोमर ने कहा कि बोर्ड की बैठक में ही ये तय हो कि बीज अगर बच जाता है तो उसे नो प्रॉफिट, नो लॉस पॉलिसी तक जाकर बेचा जा सके।
कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय किसानों के सहयोग से अच्छी क्वालिटी का सीड उत्पादन कर रहा है। कृषि विश्वविद्यालय को बीज पर सब्सिडी देने का प्रपोजल राज्य सरकार के पास भिजवाया जाएगा। ताकि किसानों को कृषि विश्वविद्यालय से कम कीमत पर अच्छी क्वालिटी का बीज मिल सके। साथ ही कहा कि सीड चैन बनाने को लेकर कमेटी का गठन और सीड ब्रॉडिंग को लेकर राज्य सरकार के पास प्रपोजल भिजवाया जाएगा।
देशभर में तिल के बीज की मांग को देखते हुए जैसलमेर और पोकरण कृषि विज्ञान केन्द्र में बीज उत्पादन का भी निर्णय लिया गया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत अतिरिक्त निदेशक बीज डॉ पीसी गुप्ता ने खरीफ फसल 2023 में बीज की उपलब्धता और खरीफ 2024 हेतु बीज उपलब्धता प्लानिंग को लेकर पीपीटी के जरिए विस्तृत जानकारी दी। अनुसंधान निदेशक डॉ पीएस शेखावत ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय मूंगफली और ग्वार के बीज उत्पादन को लेकर पूरे राजस्थान में सबसे अच्छा कर सकते हैं।
प्रसार निदेशक डॉ सुभाष चंद्र ने कहा कि राज्य सरकार के साथ अच्छे कम्युनिकेशन और कृषि विश्वविद्यालय के बीज से फसल में इजाफे को लेकर जानकारी किसानों को देने से निश्चित लाभ होगा। कार्यक्रम के आखिर में उपनिदेशक बीज डॉ जितेन्द्र कुमार तिवाडी़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया। विदित है कि कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले 7 कृषि विज्ञान केन्द्रों बीकानेर, लूणकरणसर, जैसलमेर, पोकरण, चूरू में चांदगोठी, झुंझुनू में आबूसर, श्रीगंगानगर के पदमपुर के अलावा यांत्रिक कृषि फार्म रोजड़ी, यूनिवर्सिटी सीड फार्म बिछवाल, यूनिवर्सिटी सेन्ट्रल फार्म खारा, कृषि अनुसंधान केन्द्र बीकानेर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़, कृषि महाविद्यालय बीकानेर, लैंडस्कैपिंग सेल समेत कुल 15 बीज उत्पादन केन्द्रों की कुल करीब 1300 हेक्टेयर भूमि है। इन 15 केन्द्रों पर वर्ष 2023 में खरीफ की विभिन्न फसलों के 1500 क्विंटल बीजों का उत्पादन किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप
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