इक्कीस फरवरी से होगा अश्वमेध महायज्ञ

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इक्कीस फरवरी से होगा अश्वमेध महायज्ञ


जयपुर, 2 फ़रवरी (हि.स.)। अयोध्या के श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की खुशी में गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के तत्वावधान में राष्ट्र को सक्षम, समर्थ एवं समृद्ध बनाने के लिए महान आध्यात्मिक प्रयोग के रूप में 21 से 25 फरवरी तक मुंबई में अश्वमेध महायज्ञ का आयोजन होगा। इस 1008 कुंडीय अश्वमेध गायत्री महायज्ञ की चर्चा इसलिए खास है कि देश का पहला अश्वमेध महायज्ञ 1992 में जयपुर में हुआ था। यह 49 वां अश्वमेध महायज्ञ है। इस महायज्ञ की दूसरी खास बात यह है कि गायत्री परिवार राजस्थान को भोजनालय संचालन की जिम्मेदारी मिली है। महायज्ञ के दौरान लघु भारत का स्वरूप रहेगा। देश ही नहीं विदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसमें भागीदारी करेंगे। एक अनुमान के अनुसार पांच दिन में दस लाख श्रद्धालु सम्मिलित होंगे। ऐसे में श्रद्धालुओं राजस्थान के भोजनालय में दाल, बाटी, चूरमा, कैर-सांगरी की सब्जी, बेजड़ की रोटी, राबड़ी, लापसी जैसे व्यंजन खासतौर पर परासे जाएंगे। इसके लिए राजधानी में अनाज एकत्र किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मोटे अनाज के व्यंजन विशेष रूप से परोसे जाएंगे।

गायत्री परिवार राजस्थान जोन के प्रभारी जयसिंह यादव अपनी टीम के साथ कई दिनों से मुंबई में ही डेरा डाले हुए हैं। उनके निर्देशन में वहां तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। अगले सप्ताह से अन्य कार्यकर्ताओं के जाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि अश्वमेधिक अनुष्ठान से जन मानस को आध्यात्मिक आहार मिलेगा। भारतीय संस्कृति के मानदंडों के अनुरूप अश्वमेध गायत्री महायज्ञ के सारी गतिविधियां संचालित होंगी। इस यज्ञ के पीछे गायत्री परिवार का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र के विकास के साथ-साथ संपूर्ण मानव जाति के उत्थान का है। अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देशभर में जो उत्साह का माहौल है इस महायज्ञ से वह गई गुणा बढ़ जाएगा।

राजस्थानी थीम पर होगी भोजनालय की सजावट

गायत्री परिवार राजस्थान के समन्वयक ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि मुंबई अश्वमेध महायज्ञ में राजस्थान की आन-बान-शान की झलक झांकी देखने को मिलेगी। राजस्थान के भोजनालय को राजस्थानी थीम पर सजाया जाएगा। भोजनालय में राजस्थान के वीर महापुरुष, किले, महल भी देखने को मिलेंगे। श्रद्धालुओं को राजस्थानी पगड़ी पहनकर भोजन परोसा जाएगा।

राष्ट्र निर्माण का नाम है अश्वमेध

अश्वमेध महायज्ञ राष्ट्र की सुख, शांति और समृद्धि बढ़ाने वाला एक भव्य आध्यात्मिक प्रयोग है। यह संपूर्ण राष्ट्र के सूक्ष्म वातावरण को शुद्ध करने के लिए किया जा रहा है। इसका उद्देश्य जनता की सुप्त बौद्धिक प्रतिभा को जागृत करना है। जागृत मानव मेधा समाज और उसके शासन के तरीकों को सुधारने में मदद करेगी और इस धरती को स्वर्ग में बदल देगी।

अश्व को गतिशीलता, वीरता और शक्ति का प्रतीक और मेधा को सर्वोच्च ज्ञान और बुद्धि के प्रतीक के रूप में अश्वमेध का प्राकृतिक अर्थ है-वीरता और शक्ति का संयोजन और बुद्धि की प्रबुद्ध शक्ति।

अश्व बाहुबल का प्रतीक है और मेध मानसिक शक्ति का प्रतीक है। इनके संयोजन से यज्ञ जैसा महान, पवित्र कार्य होता है। यह प्रबुद्ध विचार शक्ति और समर्पित निस्वार्थ प्रयासों का संयोजन है जो एक आदर्श समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। यही कारण है कि राष्ट्र निर्माण को अश्वमेध कहा गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

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