एम्स जोधपुर की एक और उपलब्धिः एक्लेसिया के लिए सौ पीओईएम प्रक्रियाएं की पूरी
जोधपुर, 6 सितंबर (हि.स.)। एम्स जोधपुर के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग ने पेरोरल एंडोस्कोपिक मायोटॉमी (पीओईएम) के सौ ऑपरेशन पूरा कर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। जो एक्लेसिया के इलाज के लिए एक अत्याधुनिक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया वर्तमान में राजस्थान में केवल एम्स जोधपुर और देश भर में केवल कुछ चुनिंदा केंद्रों पर ही उपलब्ध है।
एक्लेसिया भोजन नली का एक दुर्लभ विकार है। जिसमें रोगियों के लिए भोजन और तरल पदार्थ निगलना मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति तब होती है जब भोजन नली के निचले हिस्से की मांसपेशियां संकुचित हो जाती है, जिससे ऐसा महसूस होता है कि भोजन नली में फंस गया है। अतीत में, रोगियों को अक्सर दवाओं या इनवेसिव सर्जरी पर निर्भर रहना पड़ता था, जिनसे रोगियों को केवल सीमित दीर्घकालिक राहत मिलती थी।
पीओईएम प्रक्रिया जो कि न्यूनतम इनवेसिव है ने एक्लेसिया के उपचार में क्रांति ला दी है। इस एंडोस्कोपिक तकनीक के माध्यम से, डॉक्टर बिना किसी बाहरी चीरे के भोजन नली तक पहुंचने में सक्षम होते हैं, और संकुचित मांसपेशियों को सावधानीपूर्वक लचीला कर दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप निगलने में तत्काल और महत्वपूर्ण सुधार होता है, जिससे रोगियों को उनके जीवन की गुणवत्ता वापस पाने में मदद मिलती है। पारंपरिक सर्जरी के विपरीत, पीओईएम प्रक्रिया कम दर्दनाक है, अस्पताल में कम समय तक रहने की आवश्यकता होती है, और मरीज जल्दी ठीक हो जाता है, जिससे मरीज तेजी से अपने सामान्य जीवन में लौट सकते हैं।
गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के संकाय सदस्य डॉ. आशीष अग्रवाल ने कहा कि एक्लेसिया एक ऐसी स्थिति है जो किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है और पीओईएम एक सुरक्षित, प्रभावी और न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है। हमें इस बात पर गर्व है कि हमने सौ मरीजों को इस चुनौतीपूर्ण स्थिति से उबरने में मदद की”।
उन्होंने संस्थान के निदेशक डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी और उपनिदेशक प्रशासन मनुमनीश गुप्ता को उनके अटूट समर्थन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश
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