ईआरपीसी योजना का लाभ अजमेर को भी मिलेगा
अजमेर, 29 जनवरी (हि.स)। राजस्थान के तेरह जिलों में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना योजना का लाभ अजमेर जिले को भी मिलेगा। यह जानकारी सांसद एवं केंद्रीय जल संसाधन समिति के सदस्य भागीरथ चौधरी ने सोमवार को प्रेस कॉफ्रेस कर मीडिया से साझा की है।
उन्होंने कहा कि ईआरसीपी पर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच पानी के बंटवारे के विवाद का डबल इंजन की सरकार ने अंत कर दिया है। इसके लिए दोनों राज्यों की सरकारों में एमओयू हुआ है। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना दोनों प्रदेशों की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि इसमें राजस्थान के 13 ज़िलों में पीने का पानी और 26 विभिन्न बड़ी एवं मध्यम परियोजनाओं के माध्यम से 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है, 13 ज़िलों में झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर शामिल हैं।
इससे राज्य के ग्रामीण इलाकों में भूजल तालिका में सुधार होगा। यह लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को सकारात्मक रूप से परिवर्तित करेगा
यह परियोजना विशेष रूप से दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे पर ज़ोर देते हुए इस बात की परिकल्पना करती है कि इससे स्थायी जल स्रोतों को बढ़ावा मिलेगा जो क्षेत्र में उद्योगों को विकसित करने में मदद करेंगे। इसके परिणामस्वरूप राज्य में निवेश और राजस्व में वृद्धि होगी और दक्षिणी पूर्वी राजस्थान के मानव संसाधन के लिए रोजगार सृजित होंगे।
चौधरी ने बताया कि पूर्वी राजस्थान की जीवन रेखा कहीं जाने वाली पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के बारे में जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक में भारत सरकार द्वारा पूर्वी राजस्थान के संपूर्ण विकास के लिए एक संशोधित मेगा परियोजना जिसको ईआरसीपी - पीकेसी (संशोधित पार्वती काली सिंह चंबल लिंक परियोजना) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किए जाने के लिए संशोधित डीपीआर को मूर्त रूप दिया गया।
इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलने का मुख्य लाभ यह होगा कि परियोजना को पूर्ण करने के लिए 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। जिसकी अनुमानित लागत लगभग 40,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है।
चौधरी ने बताया कि 2013 में भाजपा सरकार ने इसकी डीपीआर बनाई थी लेकिन बाद में कांग्रेस की सरकार आ गई। कांग्रेस सरकार में इच्छा शक्ति नहीं दिखाई दी। कांग्रेस ने जानबूझकर ईआरसीपी केे मुद्दे को 5 साल तक अटकाए रखा। केवल राजनीति के अलावा इस प्रोजेक्ट को आगे बढाने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने कुछ नहीं किया। नदी जोड़ने का अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था, जिसे अब धरातल पर उतारा जाएगा।
उन्होंने बताया कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान में बहने वाली चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों (कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध) में वर्षा ऋतु के दौरान उपलब्ध अधिशेष जल का उपयोग राज्य के उन दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में करना है जहाँ पीने के पानी और सिंचाई के लिए जल का अभाव है।
इस परियोजना को वर्ष 2051 तक पूरा किये जाने की योजना है। जिसमें दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में मानव तथा पशुधन के लिए पीने के पानी कृषि तथा औद्योगिक गतिविधियों के लिए पानी की आवश्यकताओं को पूरा किया जाना है
प्रेस वार्ता में भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रमेश सोनी, प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अरविन्द यादव, उप महापौर नीरज जैन, संभाग मीडिया प्रभारी अनीश मोयल, संभाग मीडिया सह प्रभारी रचित कच्छावा उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/संतोष/संदीप
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