कृषि यंत्र एवं मशीनरी परीक्षण: बारह वर्षों में किया 12 करोड़ से अधिक राजस्व अर्जन
बीकानेर, 20 जुलाई (हि.स.)। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कृषि यंत्र एवं मशीनरी परीक्षण एवं प्रशिक्षण केंद्र ने गत 12 वर्षों में देश के 14 राज्यों के 1800 से अधिक कृषि यंत्रों का परीक्षण किया है। इससे केंद्र को 12 करोड रुपये से अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. देवाराम सैनी ने बताया कि देशभर में ऐसे 31 केंद्र हैं। इन केंद्रों में ऐसे कृषि यंत्रों का परीक्षण होता है, जिन्हें केंद्र अथवा विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी पर किसानों को उपलब्ध करवाया जाता है। प्रदेश में बीकानेर के अलावा उदयपुर में ऐसा केंद्र है। उन्होंने बताया कि कुलपति डॉ. अरुण कुमार के नेतृत्व में गत समय में यहां अनेक नवाचार किए गए हैं, जिनका किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिला है।
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक प्रो. योगेश शर्मा ने बताया कि यह केंद्र, विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण अंग है। वित्त नियंत्रक राजेंद्र खत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय के राजस्व वृद्धि की दृष्टि से भी यह केंद्र अपनी विशेष पहचान रखता है।
केंद्र प्रभारी विपिन लढ्ढा ने बताया कि बीकानेर के केंद्र को गत 12 वर्षों में 14 राज्यों के 2 हजार 450 कृषि यंत्र परीक्षण के लिए प्राप्त हुए। अब तक इनमें से 1800 से अधिक का परीक्षण कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि यंत्र निर्माताओं द्वारा परीक्षण के आवेदन भारत सरकार द्वारा निर्धारित नॉर्म्स के अनुसार किए जाते हैं। केंद्र द्वारा तीन स्तर पर यह परीक्षण किए जाते हैं। आवेदन के पश्चात केंद्र का प्रतिनिधि यंत्र निर्माता के यहां पहुंचकर यंत्र का चिन्हीकरण कर केंद्र पर लाता है। इसका परीक्षण केंद्र की प्रयोगशाला, फील्ड और पुनः प्रयोगशाला में किया जाता है। पहले चरण के दौरान यंत्र को खोला जाता है और इसके एक-एक पुर्जे का नॉर्म्स के अनुसार आकलन किया जाता है। दूसरे चरण में खेत में लगभग पच्चीस घंटे तक इसे चलाया जाता है और वह कार्य किया जाता है, जिसके लिए यह यह यंत्र बना है। तीसरे चरण में पुनः प्रयोगशाला में यह आकलन किया जाता है कि खेत में चलने के पश्चात इसमें क्या प्रभाव पड़ा। इस पूरी प्रक्रिया के लिए केंद्र पर अत्याधुनिक मशीनरी उपलब्ध करवाई गई है। परीक्षण के पश्चात इसकी रिपोर्ट तैयार की जाती है।
उन्होंने बताया कि केंद्र में परीक्षण के लिए सबसे अधिक यंत्र पंजाब, हरियाणा और गुजरात से प्राप्त होते हैं। वहीं प्रशिक्षण में आने वाले यंत्रों में अधिक संख्या रोटावेटर, थ्रेशर, हैरो, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल इत्यादि की होती है।
लढ्ढा ने बताया कि परीक्षण के उपरांत कई बार यंत्र निर्माता अपना यंत्र वापस नहीं ले जाते। इन यंत्रों का उपयोग किसानों को हो सके, इसके मध्यनजर केंद्र द्वारा कस्टम हायरिंग सिस्टम प्रारंभ किया गया है। इसके तहत किसानों को अत्याधुनिक कृषि यंत्र 100 से लेकर 500 रुपये प्रति दिवस किराए के हिसाब से उपलब्ध करवाई जाते हैं। यह ऐसे किसानों के लिए उपयोगी साबित होते हैं, जो ऐसे यंत्र क्रय नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि अब तक जिले और आसपास के क्षेत्रों के 200 से ज्यादा किसानों ने इनका लाभ उठाया है।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ राजीव जोशी / संदीप
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