भाजपा-कांग्रेस के बाद अब बीएपी में बगावत के स्वर मुखर

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भाजपा-कांग्रेस के बाद अब बीएपी में बगावत के स्वर मुखर


भाजपा-कांग्रेस के बाद अब बीएपी में बगावत के स्वर मुखर


भाजपा-कांग्रेस के बाद अब बीएपी में बगावत के स्वर मुखर


डूंगरपुर, 28 अक्टूबर (हि.स.)। जिले में डूंगरपुर विधानसभा सीट हॉट सीट बनती हुई नजर आ रही है, जहां पर भारतीय जनता पार्टी-कांग्रेस में उम्मीदवारों की घोषणा के बाद नाराजगी के साथ ही बगावती तेवर भी नजर आए। वहीं, तीसरे मोर्चे के रूप में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी)से अलग होकर नई पार्टी बनी भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) में भी बगावती तेवर नजर आ रहे हैं। जहां पिछले एक माह से डूंगरपुर विधानसभा सीट के लिए आदिवासी परिवार की सलेक्शन प्रणाली द्वारा आमराय बनाकर उम्मीदवार चयन बाबत प्रयास किए गए लेकिन लगातार आकांशी उम्मीदवारों की तरफ से विरोध के चलते आमराय नहीं बन पाई है। ऐसे में अब भारत आदिवासी पार्टी की केंद्रीय कमेटी डूंगरपुर विधानसभा में उम्मीदवार चयन को लेकर अपना अंतिम फैसला सुनाएगी, जिसे सभी को स्वीकार करना होगा। वहीं, दूसरी तरफ अनुतोष रोत ने कार्यकर्ताओं की मंशा अनुरूप निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

जानकारी के लिए बता दे कि भारतीय ट्राइबल पार्टी से अलग होकर बनी भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) आदिवासी परिवार के समर्थन से चुनावी मैदान में उतरी है, जहां उम्मीदवार चयन को लेकर आदिवासी परिवार की सिलेक्शन प्रणाली द्वारा आमराय से वोटिंग के माध्यम से निष्पक्ष एवं टिकाऊ उमीदवार का चयन किया जाता है। इसी प्रणाली के तहत डूंगरपुर जिले के चौरासी विधानसभा क्षेत्र से निवर्तमान विधायक राजकुमार रोत एवं आसपुर विधानसभा क्षेत्र से उमेश मीणा को बीएपी उम्मीदवार घोषित किया गया। वहीं पिछले एक माह से डूंगरपुर विधानसभा के उम्मीदवार चयन को लेकर सलेक्शन प्रणाली की कई दफा बैठकें आयोजित हुईं, लेकिन हर बैठक में दावेदारों के विरोध के चलते अंतिम फैसला नही हो पाया। डूंगरपुर विधानसभा में सिलेक्शन प्रणाली के समक्ष पांच दावेदारों ने अपने नाम प्रस्ताव में दिए जिसमें से अनुतोष रोत और कांतिलाल रोत की मजबूत दावेदारी उभरकर सामने आई थी। जहां गत दिनों गेंजी घाटा पर हुई सिलेक्शन प्रणाली की बैठक में आमराय नहीं बनने के बाद कांतिलाल रोत ने स्वयं को सोशल मीडिया के माध्यम से चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा की थी, इसके बाद आदिवासी परिवार में हलचल शुरू हो गई थी। कांतिलाल रोत की इस घोषणा के बाद प्रतिद्वंद्वी दावेदार अनुतोष रोत के समर्थकों में आक्रोश व्याप्त हो गया। इसके बाद एक बार पुनः सिलेक्शन प्रणाली की बैठक आयोजित कर वोटिंग प्रक्रिया के माध्यम से उम्मीदवार चयन का प्रस्ताव रखा गया किंतु कांतिलाल रोत द्वारा स्वयं को बीएपी का फाउंडर मेंबर एवं बीएपी का जनक बताते हुए लगातार टिकट की मांग करते हुए चुनावी मैदान में रहने की बात कही। कांतिलाल का कहना रहा कि जब चौरासी एवं आसपुर विधानसभा में वोटिंग प्रक्रिया नहीं हुई तो डूंगरपुर विधानसभा में भी वोटिंग प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए और एक लाइन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर उनके नाम पर अंतिम मोहर लगाई जाए, जिसका अन्य दावेदारों ने विरोध करते हुए वोटिंग प्रक्रिया जारी रखने की मांग की, लेकिन लगातार विरोध के चलते आदिवासी परिवार की सिलेक्शन प्रणाली अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच पाई। इसके बाद बीएपी की केंद्रीय एकीकृत समिति के पास मामला पहुंचा जिसमें केंद्रीय एकीकृत समिति अब उम्मीदवार चयन को लेकर अंतिम निर्णय लेगी। वहीं, अनुतोष रोत के समर्थकों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि अगर डूंगरपुर विधानसभा में थोपे हुए उम्मीदवार का चयन किया जाएगा तो उसे आदिवासी परिवार स्वीकार नहीं करेगा। वहीं, कार्यकर्ताओं की मंशा अनुरूप निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में रहेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/संतोष व्यास/संदीप

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