राज विस चुनाव: मतदान केन्द्रों पर बैठने, पेयजल, प्रकाश व छाया की पर्याप्त व्यवस्थाएं सुनिश्चित होगी- मुख्य निर्वाचन अधिकारी
जयपुर, 23 नवंबर (हि.स.)। राजस्थान विधानसभा आम चुनाव-2023 के दौरान मतदाताओं के लिए प्रत्येक मतदान केंद्र पर न्यूनतम सुविधाएं सुनिश्चित की जाएगी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग ने मतदान केन्द्रों में आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि दिव्यांग एवं वृद्धजन मतदाताओं की परेशानी को ध्यान में रखते हुए उन्हें मतदान के लिए प्राथमिकता प्रदान की जाएगी। साथ ही प्रत्येक मतदान केन्द्र पर प्रतीक्षारत मतदाताओं के बैठने की व्यवस्था, पीने के पानी, प्रकाश और छाया की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को प्रदान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन दिशा-निर्देशों का पूर्णतः पालन कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक बूथ पर मतदाताओं की मदद के लिए मतदाता सहायता केन्द्र होंगे, जहां प्रशिक्षित वॉलन्टियर्स के साथ बीएलओ उपस्थित रहेंगे। बीएलओ के पास मतदाता सूची भी उपलब्ध रहेगी। प्रत्येक मतदान केंद्र में दिव्यांग एवं वृद्धजन मतदाताओं की सुविधा के लिए पर्याप्त संख्या में व्हील चेयर की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही दिव्यांग एवं वृद्ध मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए भूतल पर ही बूथ बनाए गए हैं। सभी मतदान केन्द्रों पर रैम्प की सुविधा उपलब्ध है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा मतदान के दिन दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं के सहयोग के लिए एनएसएस, एनसीसी, स्काउट-गाइड स्वयंसेवकों अथवा 15-17 आयु वर्ग के छात्र-छात्राओं को बतौर वॉलन्टियर नियुक्त किया गया है। मतदान दिवस पर प्रत्येक मतदान केन्द्र पर 2 वॉलन्टियर्स रहेंगे। ये वॉलन्टियर्स दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिकों को मतदान बूथ तक सुगमता पूर्वक पहुंचाने के लिए मदद करेंगे। इन्हें विशेष शिक्षकों के माध्यम से व्हील चेयर संचालन एवं सांकेतिक भाषा में प्रशिक्षित भी किया गया है। उन्होंने कहा कि मतदान केन्द्रों पर महिला मतदाताओं की सहायता हेतु आंगनवाड़ी, एएनएम, आशा सहयोगिनियों, राजीविका स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को भी लगाया गया है। उन्होंने कहा कि मतदान केंद्र के भवन पर मतदान केन्द्रों का नाम स्पष्ट रूप से अंकित किया गया है।
12 वैकल्पिक दस्तावेज दिखाकर भी कर सकेंगे मतदान
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि विधानसभा निर्वाचन-2023 के अंतर्गत भारत निर्वाचन आयोग की ओर से सभी मतदाताओं को निर्वाचक फोटो पहचान पत्र जारी किए गए हैं। आयोग सभी मतदाताओं से अपेक्षा करता है कि वे मतदान स्थल पर अपना मत देने से पहले अपनी पहचान सुनिश्चित करने के लिए आयोग की ओर से जारी निर्वाचक फोटो पहचान पत्र दिखाएंगे। यदि कोई निर्वाचक फोटो पहचान पत्र नहीं दिखा पाता है तो भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उनके लिए 12 वैकल्पिक दस्तावेज भी अनुमत किए गए हैं। ऐसे निर्वाचक जो अपना निर्वाचक फोटो पहचान पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं, वे अपनी पहचान स्थापित करने के लिए आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, केंद्र/राज्य सरकार/लोक उपक्रम/पब्लिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी किए गए फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, बैंकों/डाकघरों द्वारा जारी फोटोयुक्त पासबुक, एनपीआर के अंतर्गत आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजना के अंतर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, सांसदों/विधायकों/विधान परिषद सदस्यों को जारी किए गए सरकारी पहचान पत्र और भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दिव्यांगजनों को जारी यूनिक डिसएबिलिटी आईडी (यूडीआईडी) कार्ड का उपयोग कर सकते हैं। मतदाता इनमें से कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत कर मतदान कर सकेंगे। सभी मतदान केन्द्रों पर 12 वैकल्पिक दस्तावेजों के पोस्टर लगाए गए हैं। साथ ही मतदान केन्द्रों पर ईवीएम-वीवीपैट से मतदान किए जाने की प्रक्रिया को दर्शाते हुए पोस्टर भी लगाए गए हैं।
राजनीतिक विज्ञापनों का कराना होगा पूर्व प्रमाणीकरण
मुख्य निर्वाचन अधिकारी गुप्ता ने बताया कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के एक दिन पहले तथा मतदान दिवस यानी 24 नवम्बर और 25 नवम्बर को प्रिंट मीडिया में राजनीतिक विज्ञापनों के प्रकाशन के पूर्व जिला अथवा राज्य स्तरीय मीडिया प्रमाणन समिति से विज्ञापनों का पूर्व प्रमाणन अनिवार्य किया गया है। इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य स्तरीय तथा जिला स्तरीय मीडिया प्रमाणन समिति को प्रमाणन के लिए प्राप्त आवेदन पर त्वरित निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मतदान दिवस के पूर्व एवं मतदान दिवस पर प्रिंट मीडिया में भ्रामक प्रकृति के विज्ञापनों के प्रकाशन के बाद वे दल अथवा प्रत्याशी जो इससे प्रभावित होते हैं, उनके पास किसी भी प्रकार की सफाई अथवा खंडन का अवसर नहीं होता। ऐसे में स्वतंत्र, पारदर्शी और निष्पक्ष निर्वाचन के लिए विज्ञापनों का पूर्व प्रमाणन जरूरी है।
हिन्दुस्थान समाचार/संदीप
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