मथुरादास माथुर अस्पताल : महिला के  पेट से निकाला बालों का गुच्छा

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मथुरादास माथुर अस्पताल : महिला के  पेट से निकाला बालों का गुच्छा


जोधपुर, 17 अक्टूबर (हि.स.)। शहर के मथुरादास माथुर अस्पताल में एक महिला के पेट से बालों को गुच्छा निकाल कर डॉक्टरों ने उसे नया जीवनदान दिया। 28 वर्षीय महिला जो काफ़ी समय से पेट दर्द, उल्टी, भूख नहीं लगना एवं पेट में भारीपन की पिछले 3 साल से शिकायत से परेशानी कें साथ माथुरादास माथुर अस्पताल में डॉ. दिनेश दत्त शर्मा , आचार्य एवं यूनिट प्रभारी , वरिष्ठसर्जन को दिखाने आयी।

मरीज़ के रिश्तेदारों ने बताया कि मरीज़ को काफ़ी जगह दिखाया पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। मरीज़ को सभी जगह बताया गया कि मरीज़ की तिल्ली बढ़ी हुई है पर कोई बीमारी पता नहीं लग रही है। बाद में डॉ. सुनील दाधीच, वरिष्ठ आचार्य एवं विभागाध्यक्ष गैस्ट्रोंलॉजी विभाग ने एंडोस्कोपी में पाया कि मरीज़ के आमाशय में बालों का गुच्छा है जिसे सर्जरी द्वारा ही निकाला जा सकता है।

डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने जाँचे करवाई एवं हिस्ट्री लेने पर पता चला कि महिला में बाल खाने की आदत है तथा उसके सिर के बाल भी कम पाये गये। इस बालों के गुच्छे ने पूरे आमाशय को बालों से भर दिया था जिसकी वजह से मरीज़ को भूख नहीं लगती थी एवं जो भी खाता, आमाशय में जगह नहीं होने की वजह से वापस उल्टी द्वारा बाहर आ जाता। इससे मरीज़ का वजन भी कम हो गया था। इस मरीज़ में ख़ास बात यह थी कि मरीज़ मानसिक रूप से स्वस्थ है पर इसकी बाल खाने की आदत थी।

डॉ. दिनेश दत्त शर्मा एवं उनकी टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को सफलता पूर्वक संपन्न किया। इस ऑपरेशन में जटिलता यह होती है कि बालों का गुच्छा इतना ज़्यादा बड़ा था कि आमाशय में छोटे से चीरे द्वारा इसे बाहर निकालना काफ़ी चैलेंजिंग होता है ,इस बाल के गुच्छे ने आमाशय एवं छोटी आँत के शुरुआती भाग डुओडेनम को पूरा ब्लॉक कर दिया था , जिसकी साइज लगभग 15-10- 8 इंच से भी ज़्यादा थी इस बालों के गुच्छे का वजन लगभग 3 किलो था।

ट्राइकोफ़ैजिया से बाल खाने की आदत पड़ती है :

डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि मरीजो में एक बीमारी होती है जिसे ट्राइकोफ़ैजिया कहा जाता है जिसमें मरीज़ की बाल खाने की आदत पड़ जाती है , ये बाल मरीज़ की आहरनाल में इकट्टा होने शुरू हो जाते है जिससे आमाशय में बालों का गुच्छा बन जाता है जिसे ट्राइकोबेज़ोर कहा जाता है। मनुष्य की आहारनाल में बालों को पचाने की क्षमता नहीं होती है जिसकी वजह से ये बाल ईकठ्ठा होकर बड़े गुच्छे का रूप ले लेते है। यह बीमारी सामान्यत मानसिक रूप से कमजोर, विक्षिप्त एवं असामान्य व्यवहार करने वाली महिलाओं में ज़्यादा होती है, जिनकी उम्र 15 से 25 साल होती है !

ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. दिनेश दत्त शर्मा के साथ डॉ. पारंग आसेरी , डॉ, विशाल यादव , डॉ. कुणाल चितारा, डॉ. अक्षय, डॉ. श्वेता, बेहोशी की टीम में डॉ. गीता सिंगारिया के साथ , डॉ. गायत्री तँवर, डॉ. ऋषभ, डॉ. प्रेक्षा, नर्सिंग टीम में रेखा पंवार, सुमित्रा चौधरी, रोहिणी आदि ने सहयोग किया। मथुरा दास माथुर अस्पताल अधीक्षक डॉ. नवीन किशोरियाँ एवं डॉ. एस. एन. मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. बी. एस. जोधा ने ऑपरेशन करने वाली टीम को बधाई दी एवं बताया कि मरीज़ का यह ऑपरेशन मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में नि:शुल्क हुआ है ।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश

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