ऑपरेशन खुशी: पहले तीन सप्ताह में पुलिस ने ढूंढे निकाले 161 गुमशुदा बच्चे

ऑपरेशन खुशी: पहले तीन सप्ताह में पुलिस ने ढूंढे निकाले 161 गुमशुदा बच्चे


जयपुर, 24 नवंबर (हि.स.)। राजस्थान पुलिस द्वारा राज्य स्तर पर सोलह वर्ष से कम उम्र के गुमशुदा नाबालिग बच्चों की तलाश के लिए प्रारम्भ किये गए अभियान ऑपरेशन खुशी-पांच के तहत पहले तीन सप्ताह में पुलिस ने गुमशुदा 161 बच्चों को तलाश कर लिया है। अन्य लापता बच्चों की तलाश में पुलिस की टीम अनवरत कार्रवाई कर रही है।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सिविल राइट्स एवं एएचटी स्मिता श्रीवास्तव ने बताया कि इस अभियान के लिए राज्य में थानावार टीमों का गठन कर रेस्क्यू टीमों के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, महिला अधिकारिता विभाग समाज कल्याण विभाग, बाल कल्याण समिति के सदस्यों एवं एनजीओ के प्रतिनिधियों से समन्वय स्थापित कर इन बच्चों की तलाश के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं।

एडीजी श्रीवास्तव ने बताया कि 1 नवम्बर 2022 से प्रारम्भ किये गये इस अभियान के पहले सप्ताह में 58 बच्चों को तलाशा गया। जिनमें से जनवरी 2022 से पूर्व लापता हुए बच्चों में से 51 बच्चे तथा इस साल तक गुमशुदा बच्चों में से 7 बच्चों को तलाशा गया। दूसरे सप्ताह में 54 बच्चों को पुलिस ने ढूंढ निकाला। जिनमें से जनवरी 2022 से पूर्व लापता हुए बच्चों में से 49 बच्चे तथा इस वर्ष तक गुमशुदा बच्चों में से 5 बच्चे शामिल है। तीसरे सप्ताह में 49 बच्चों को तलाशा गया जिनमें से जनवरी 2022 से पूर्व लापता हुए 7 बच्चे एवं इस वर्ष तक गुमशुदा बच्चों में से 42 बच्चे तलाश किये गये।

उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन खुशी- 5 के प्रथम से तृतीय सप्ताह तक गुमशुदा बच्चों में 0-4 वर्ष तक के 2 बच्चे 5-13 वर्ष तक 50 बच्चे तथा 14-16 वर्ष से कम तक के 109 बच्चे तलाश किए गए हैं जिनमें से 32 बालक एवं 129 बालिकाएं है।

एडीजी सिविल राइट्स ने बताया कि राज्य के सभी जिलों की पुलिस 16 वर्ष से कम आयु के गुमशुदा बच्चों की सूचना वेब पोर्टल पर अंकित करती है। समस्त जिला एसपी इसकी मोनिटरिंग कर अभियान से जुड़े अन्य विभागों के साथ समन्वय बनाए रखते हैं। अभियान के दौरान भीख मांगने वाले बच्चों, जिला शेल्टर होम, चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट, अनाथालय एवं अन्य संस्थाओं में रहने वाले बच्चों के बारे में पता लगाया जाकर वेबपोर्टल पर इंद्राज गुमशुदा बच्चों से मिलान किया जाता है।अभियान में पुलिस की टेक्निकल टीम के साथ जेजे एक्ट, पोक्सो एक्ट, बाल अधिकारियों के संबंध में प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों को शामिल किया जाता है। सर्वप्रथम मानव तस्करी के दृष्टिकोण से अनुसंधान कर संगठित गिरोह के बारे में जानकारी होने से तुरंत जिला मानव तस्करी यूनिट को सूचना दी जाती है। अभियान में महिला एवं बाल विकास, एन.जी.ओ. इत्यादि की टीम को भी शामिल किया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

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