पीड़ा- पतन निवारण ही भगवान की वास्तविक पूजाः डॉ. चिन्मय पंड्या

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पीड़ा- पतन निवारण ही भगवान की वास्तविक पूजाः डॉ. चिन्मय पंड्या


पीड़ा- पतन निवारण ही भगवान की वास्तविक पूजाः डॉ. चिन्मय पंड्या


जयपुर, 18 सितंबर (हि.स.)। स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल या अन्य जनोपयोगी भवन भी एक तरह से मंदिर है। यहां लोगों की पीड़ा का निवारण होता है। जो सोने के मंदिर बनाने की सोच रहे हो उन्हें इनका निर्माण करवाना चाहिए। इनके माध्यम से होने वाली सेवा ही भगवान की वास्तविक पूजा अर्चना है। यह विचार गायत्री परिवार के वरिष्ठ संचालक एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या में व्यक्त किए। वह रविवार को किरण पथ मानसरोवर स्थित गायत्री निवेदना निवारण केंद्र में संबोधित कर रहे थे।

अखंड दीप और वंदनीय माता भगवती देवी शर्मा की जन्म शताब्दी के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वेदना निवारण केंद्र सच्चे अर्थों में लोगों की पीड़ा और पतन को दूर करने वाला सिद्ध हो। इसलिए भगवान और गुरु सत्ता से जो भी मिला है उसे संसार को देने का समय आ गया है। प्रत्येक व्यक्ति खुद को वेदना निवारण केंद्र मानकर लोगों की मदद के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि हमें यज्ञ करने के साथ यज्ञ को जीना भी आना चाहिए। आज यज्ञीय जीवन शैली को अपनाने की आवश्यकता है। उद्बोधन के प्रारंभ में गायत्री महामंत्र का सस्वर उच्चारण करते हुए उन्होंने कहा कि गायत्री महामंत्र व्यक्ति को संसार से हटाकर भगवान के पास आने का माध्यम है। डॉ चिन्मय पंड्या ने कहा कि संतोष, सद्भावना ही असली संपदा है। जिसके मन के अंदर कंगाली हो तो व्यक्ति कितना भी धनवान क्यों ना हो वह दिल की दरिद्रता के कारण दीन हीन ही माना जाएगा। इसलिए अपने आंतरिक गुणों का विकास करते हुए व्यक्ति को वास्तविक रूप से संपन्न बनना चाहिए। प्रवचन के दौरान छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से डॉ चिन्मय पंड्या ने लोगों को बांधे रखा।

प्रारंभ में डॉ चिन्मय पंड्या ने वेद माता मां गायत्री और गुरु सत्ता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन किया अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार राजस्थान जोन के समन्वयक ओम प्रकाश अग्रवाल, शांतिकुंज प्रतिनिधि आरडी गुप्ता, जयपुर उप जोन के समन्वयक सुशील कुमार शर्मा, युवा कार्यकर्ता डॉ प्रशांत भारद्वाज ने राजस्थानी परंपरा के अनुसार डॉ. चिन्मय पंड्या का साफा पहनाकर स्वागत किया।

इससे पूर्व डॉ गोपाल कृष्ण शर्मा के नेतृत्व में शांति कुंज हरिद्वार से आई संगीत की टोली के हरि प्रसाद चौधरी, नारायण रघुवंशी, रुद्रगिरी गोस्वामी के साथ जयपुर की गायत्री कचोलिया ने गीतों की भाव भरी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के समापन से पूर्व महिलाओं ने भी गीतों की प्रस्तुतियां दीं।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/ ईश्वर

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