वेटरनरी फार्माकोलॉजी का राष्ट्रीय सम्मेलन : कृत्रिम गर्भाधान तकनीक का समुचित उपयोग करके दुग्ध उत्पादन में बढोतरी

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वेटरनरी फार्माकोलॉजी का राष्ट्रीय सम्मेलन : कृत्रिम गर्भाधान तकनीक का समुचित उपयोग करके दुग्ध उत्पादन में बढोतरी


बीकानेर, 2 नवंबर (हि.स.)। इंडियन सोसाइटी ऑफ वेटरनरी फार्माकोलॉजी एवं टॉक्सिकोलॉजी की तीन दिवसीय 23वां राष्ट्रीय कॉफ्रेस, गुरुवार को वेटरनरी कॉलेज में प्रारम्भ हो गई। राष्ट्रीय कॉफ्रेस में “एकीकृत पशु स्वास्थ्य केयर प्रणाली: अवसर और चुनौतियाँ” विषय पर देशभर से लगभग 175 विषय विशेषज्ञ-वैज्ञानिकों ने शिरकत की।

कॉफ्रेस के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि वेटरनरी विश्वविद्यालय, मथुरा के कुलपति प्रो. ए.के. श्रीवास्तव ने कहा कि देश में पशुओं के स्वास्थ्य की समुचित देखभाल और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। वैज्ञानिक और शोधार्थी विचार विनिमय करेंगे। उन्होंने कहा कि लोगों को पोषण युक्त आहार की आपूर्ति में स्वस्थ पशुधन और अच्छे उत्पादन की अहम भूमिका है। यह वेटरनरी समुदाय की जिम्मेवारी है। पशुधन संपदा इसके लिए हमारे लिए एक वरदान स्वरूप है। देश में दुग्ध उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है, कृत्रिम गर्भाधान तकनीक का समुचित उपयोग करके दुग्ध उत्पादन बढोतरी की जा सकती है। इसके लिए अच्छे चारागाह और उत्तम नस्ल के सांड उपलब्ध करवाने होंगे। देश में पशुओं में होने वाली बीमारियों मुंहपका - खुरपका, ब्रुसोलिस और थनैला से बचाव के लिए कारगर उपायों की जरूरत है। उन्होंने बताया कि मनुष्यों से होने वाली 70-75 जूनोटिक बीमारियों का स्त्रोत पशुधन है अतः इस ओर भी अधिक सतर्कता से काम करने की जरूरत है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि देश में 70 प्रतिशत पशुधन लघु एवं सीमांत कृषकों के पास है अतः हमें पशु स्वास्थ्य एवं चिकित्सा की लागत को कम करने हेतु वैकल्पिक चिकित्सा पर शोध की आवश्यकता है। हमें एलोपेथी चिकित्सा के साथ-साथ आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली पर शोध को दिशा देनी होगी। प्रो. गर्ग ने कहा कि पशुचिकित्सा में रोजगार की अपार सम्भावना है हमें गुणवत्ता युक्त शोध के साथ-साथ इन्टर इंस्टिटयूट, इन्टर डीसिप्रलनेरी एवं इन्टर इण्डस्ट्री सम्बद्धता को बढ़ावा देना होगा। अतिथि वेटरनरी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. विनोद कुमार वर्मा, राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति, पूर्व कुलपति राजुवास प्रो. ए.के. गहलोत ने भी विचार रखे।

कॉफ्रेस के प्रारंभ में वेटरनरी कॉलेज के अधिष्ठाता प्रो. ए.पी.सिंह ने स्वागत भाषण किया। कांफ्रेस की आयोजन सचिव प्रतिष्ठा शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अशोक गौड ने किया। उद्घाटन सत्र के दौरान वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर के “प्लेटिनम जुबली ईयर” लोगो (प्रतीक चिन्ह) का अतिथियों ने विमोचन किया। इस अवसर पर आई.एस.वी.पी.टी. कोफ्रेस के शोध सारांश कम्पेडियम एवं आई.एस.वी.पी.टी. के ई-बुलेटिन का विमोचन भी किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप

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