153 साल बाद जन्मभूमि में अमर होंगे ‘राजस्थान केसरी’ केसरी सिंह बारहठ
भीलवाड़ा, 22 दिसंबर (हि.स.)। देश के महान क्रांतिकारी, कवि और स्वतंत्रता सेनानी ‘राजस्थान केसरी’ ठाकुर केसरी सिंह बारहठ की स्मृति में उनके जन्मस्थान भीलवाड़ा जिले की शाहपुरा तहसील के देवखेड़ा गांव में मंगलवार 23 दिसंबर को ऐतिहासिक लोकार्पण समारोह आयोजित होगा। सुबह 11 बजे देवखेड़ा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय परिसर में निर्मित छतरी में उनकी प्रतिमा का लोकार्पण केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भीलवाड़ा सांसद दामोदर अग्रवाल करेंगे, जबकि राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत, शाहपुरा विधायक डॉ. लालाराम बैरवा सहित कई विशिष्ट अतिथि मौजूद रहेंगे। इस आयोजन को लेकर देवखेड़ा सहित पूरे शाहपुरा क्षेत्र में उत्साह और राष्ट्रभक्ति का माहौल है।
क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ को राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख स्तंभ माना जाता है। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ न केवल वैचारिक संघर्ष किया, बल्कि सशस्त्र क्रांति को भी संगठित करने में अहम भूमिका निभाई। उनकी ओजस्वी कविता ‘चेतावणी रा चुंगट्या’ ने उस दौर में ब्रिटिश सत्ता को खुली चुनौती दी थी। इस कविता के माध्यम से उन्होंने मेवाड़ के महाराणा को दिल्ली दरबार में शामिल होने से रोक दिया था, जिससे अंग्रेजी शासन बुरी तरह असहज हो उठा था।
केसरी सिंह बारहठ का जन्म 21 नवंबर 1872 को शाहपुरा तहसील के छोटे से गांव देवखेड़ा में कृष्ण सिंह बारहठ के घर हुआ था। बचपन से ही उनमें देशभक्ति की ज्वाला प्रखर थी। उन्होंने अपने जीवन का हर क्षण मातृभूमि की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। अंग्रेजों के दमन और यातनाओं के बावजूद उनका हौसला कभी कमजोर नहीं पड़ा। 14 अगस्त 1941 को 69 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ, लेकिन उनके विचार और बलिदान आज भी देशवासियों को प्रेरणा देते हैं।
केसरी सिंह बारहठ ने क्रांतिकारी गतिविधियों को संगठित करने के उद्देश्य से वीर भारत सभा की स्थापना की। उन्होंने अपने पूरे परिवार को आजादी के संघर्ष में झोंक दिया। उनके पुत्र अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह बारहठ और भाई जोरावर सिंह बारहठ भी अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन में सक्रिय रहे। अंग्रेजी शासन ने इस परिवार को अनेक यातनाएं दीं, लेकिन देशभक्ति की भावना को कुचल नहीं सका। यह परिवार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में त्याग और बलिदान का प्रतीक माना जाता है।
आज शाहपुरा में केसरी सिंह बारहठ की प्रतिमा और उनके नाम से स्थापित राष्ट्रीय संग्रहालय उनके योगदान की जीवंत गवाही देते हैं। अब उनके पैतृक गांव देवखेड़ा में प्रतिमा स्थापना से क्षेत्र को नई पहचान मिलेगी। वर्तमान में देवखेड़ा गांव केंद्र सरकार की ‘मेरा गांव, मेरी धरोहर’ योजना में शामिल है और विधायक डॉ. लालाराम बैरवा की अभिशंसा पर इसे आदर्श गांव का दर्जा भी प्राप्त हुआ है। प्रतिमा लोकार्पण से देवखेड़ा का नाम देश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों में और अधिक सशक्त रूप से दर्ज होगा।
लोकार्पण समारोह से पहले सुबह 9 बजे देवखेड़ा गांव में राष्ट्रीय समृद्धि यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद विधिवत प्रतिमा का अनावरण होगा। कार्यक्रम के पश्चात वंदे मातरम् तिरंगा यात्रा देवखेड़ा से रवाना होकर त्रिमूर्ति बारहठ स्मारक, शाहपुरा तक पहुंचेगी। यह यात्रा युवाओं और आमजन में देशभक्ति की भावना को और प्रबल करने का माध्यम बनेगी। कार्यक्रम के लिए गांव में व्यापक तैयारियां की गई हैं। विद्यालय परिसर में बनी छतरी को आकर्षक रूप से सजाया गया है। तिरंगे, देशभक्ति के नारों और क्रांतिकारी प्रतीकों से पूरा क्षेत्र सजा हुआ है।
आयोजन समिति और ग्रामीण मिलकर इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने में जुटे हैं। प्रतिमा लोकार्पण समिति के अध्यक्ष बसंत वैष्णव एवं अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह बारहठ (राष्ट्रीय) सेवा संस्थान, शाहपुरा के सचिव कैलाश सिंह जाड़ावत ने बताया कि यह आयोजन केवल प्रतिमा स्थापना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जोड़ने का प्रयास है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मूलचंद

