जयरंगम: जयरंगम की महफिल में बयां हुई गुरुदत्त की दास्तान

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जयरंगम: जयरंगम की महफिल में बयां हुई गुरुदत्त की दास्तान


जयरंगम: जयरंगम की महफिल में बयां हुई गुरुदत्त की दास्तान


जयपुर, 20 दिसंबर (हि.स.)। रंगमंच, कला और संस्कृति के रंगों से सराबोर जयरंगम थिएटर फेस्टिवल पूरे शबाब पर है। शनिवार को फेस्टिवल का तीसरा दिन रहा, जहां विरासत, संगीत, नाटक और सिनेमा की यादों ने कला प्रेमियों को भावनात्मक यात्रा पर ले गया।

दिन की शुरुआत ‘जयपुर: द सीन एंड द अनसीन’ हेरिटेज वॉक से हुई। गुलाबी नगरी की स्थापत्य विरासत और आम जीवन की स्मृतियों को संजोती इस वॉक में शहर को नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर मिला। इसके बाद कृष्णायन में नाटक ‘डू यू नो दिस सॉन्ग?’, सुकृति आर्ट गैलरी में म्यूजिकल परफॉर्मेंस ‘मैरी एंड जेन’ और रंगायन में नाटक ‘क्रॉसरोड्स’ का मंचन हुआ।

शाम को मध्यवर्ती में आयोजित ‘दास्तान-ए-गुरुदत्त’ में महान अभिनेता-निर्देशक गुरुदत्त की सुनहरी यादें सुरों और नज़्मों के साथ जीवंत हो उठीं। उनकी जन्मशती वर्ष में प्रस्तुत इस खास महफिल में उनके बचपन, फिल्मी सफर और असमय विदाई के बाद छोड़ी गई रिक्तता को संवेदनशील अंदाज़ में पेश किया गया। भारत की पहली महिला दास्तानगोई कलाकार फौजिया दास्तानगो ने प्रस्तुति की अगुवाई की, जबकि लतीका जैन ने गीतों को अपनी आवाज से यादगार बनाया। शोध आशा बत्रा ने किया और प्रस्तुति का निर्माण विकास जालान ने किया। इधर, जयपुर की फिल्ममेकर सुरुचि शर्मा की एकल प्रदर्शनी ‘भीतर, बाहर’ में दर्शकों ने लोक कलाकारों के जीवन के अनछुए पहलुओं को करीब से जाना।

मल्लिका तनेजा द्वारा निर्देशित और अभिनीत एकल नाट्य प्रस्तुति ‘डू यू नो दिस सॉन्ग?’ ने दर्शकों को आत्ममंथन के लिए विवश किया। एक हारमोनियम, एक माइक्रोफोन और बचपन के खिलौनों के सहारे यह नाटक उन लड़कियों की कहानी कहता है, जो अपने सपनों और संवेदनाओं के बीच खो जाती हैं। गीतों और प्रश्नों के माध्यम से यह प्रस्तुति दर्शकों के मन में गहरी छाप छोड़ गई।

म्यूजिकल परफॉर्मेंस ‘मैरी एंड जेन’ में नॉमसिता और वैष्णव की सुरीली आवाज़ों ने जीवन की यात्रा को गीतों और कविताओं में पिरो दिया। ‘कैसी थी, जितनी भी जी ली ज़िंदगी…’ जैसे गीतों ने शाम को संवेदनशील और यादगार बना दिया।

रिजू बजाज निर्देशित नाटक ‘क्रॉसरोड्स’ ने समाज के उस कड़वे सच को मंच पर उतारा, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। देह व्यापार की त्रासदी और उससे जुड़ी पीड़ा को सशक्त अभिनय के जरिए प्रस्तुत किया गया। रिजू बजाज और मनाली चक्रवर्ती आईना ने अपने अभिनय से दर्शकों को भीतर तक झकझोर दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

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