मप्र के छिंदवाड़ा में प्रार्थना सभा के बहाने कन्‍वर्जन की कोशिश, धर्म परिवर्तन करने वाले गए जेल

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मप्र के छिंदवाड़ा में प्रार्थना सभा के बहाने कन्‍वर्जन की कोशिश, धर्म परिवर्तन करने वाले गए जेल


छिंदवाड़ा, 9 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में प्रार्थना सभा के बहाने कन्‍वर्जन (मतान्‍तरण) की कोशिश का एक बड़ा मामला सामने आया है। यह मामला उस समय उजागर हुआ जब ग्राम खापाभाट में रहने वाले कमलेश कवरेती ने धर्मटेकरी चौकी में एक लिखित आवेदन देकर बताया कि गांव में कुछ लोग नियमित प्रार्थना सभाओं के नाम पर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं और उन्हें विभिन्न तरह के लालच देकर ईसाई मत में परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। आवेदन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि गांव में बाहरी लोग आकर पैसों, नौकरी और अन्य सुविधाओं का लालच देकर ग्रामीणों को अपने धर्म से हटाने और दूसरे रिलीजन (धर्म) को अपनाने के लिए समझा-बुझा रहे हैं।

शिकायत मिलते ही पुलिस तुरंत हरकत में आई और चौकी प्रभारी अविनाश पारधी के नेतृत्व में टीम को मौके पर भेजा गया। पुलिस ने ग्राम खापाभाट पहुंचकर तथाकथित प्रार्थना सभा की जांच की और वहां मौजूद तीन लोगों सत्य नारायण ठाकुर, राजेश दाढ़े और आराधना बावने को हिरासत में लिया। जिन्हें न्यायालय में पेश करने के बाद जेल पहुंचा दिया गया।पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच में इस बात के संकेत मिले कि प्रार्थना का वातावरण तैयार कर लोगों को मीठी बातों और सुविधाओं के आश्वासन के जरिए प्रभावित किया जा रहा था। ग्रामीणों ने भी पुलिस को बताया कि कुछ दिन से गांव में अजीब तरह की गतिविधियां हो रही थीं और कई लोगों को आर्थिक सहायताओं के बदले “ईश्वर का चमत्कार” दिखाने की बातें बताई जा रही थीं।

मामले में सोमवार को तीनों संदिग्धों को पुलिस चौकी लाकर पूछताछ की गई। वहीं, जैसे ही इस कार्रवाई की खबर गांव और आसपास के इलाकों में फैली, हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता भी चौकी और गांव के आसपास पहुंच गए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह एक सुनियोजित इसाई धर्मांतरण का मामला है, जिसमें गरीब और सीधे-सादे ग्रामीणों को आर्थिक लाभ और नौकरी जैसी जरूरतों के नाम पर बरगलाने की कोशिश की जा रही थी। उन्होंने कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि यदि ऐसे मामलों पर सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह प्रवृत्ति आगे और बढ़ सकती है तथा ग्रामीण समाज की आस्था पर गहरा प्रहार हो सकता है।

पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा तीन और पांच के तहत अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी। ज्ञात हो कि इस अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति को जबरदस्ती, धोखे, दबाव या प्रलोभन देकर धर्म बदलने के लिए प्रेरित करना दंडनीय अपराध माना जाता है। एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने आरोपितों को आवश्यक प्रक्रिया के तहत जिला अस्पताल ले जाकर उनका चिकित्सीय परीक्षण भी कराया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच कई पहलुओं से की जा रही है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इनकी गतिविधियों का दायरा कितना बड़ा था और क्या इनके पीछे कोई संगठन या अन्य लोग भी शामिल हैं।

चौकी प्रभारी अविनाश पारधी ने मंगलवार काे बताया कि उन्हें कमलेश कवरेती का आवेदन प्राप्त हुआ था। आवेदन की तस्दीक करने के बाद जब टीम मौके पर पहुंची तो वहां प्रार्थना सभा जैसी गतिविधि संचालित होना पाया गया, जिसके चलते तीनों को तुरंत हिरासत में लिया गया। फिलहाल पुलिस मामले की तह तक जाने के लिए ग्रामीणों के बयान, मोबाइल फोन की गतिविधियों और संदिग्ध साहित्य आदि की जांच कर रही है। पुलिस ने लोगों को आश्वस्त किया है कि उनकी शिकायतों को गंभीरता से सुना जाएगा और किसी भी प्रकार की जबरन या प्रलोभन आधारित धार्मिक गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इस संबंध में विश्‍व हिन्‍दू परिषद के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता विनोद बंसल का कहना है कि मप्र के छिंदवाड़ा का यह मामला एक बार फिर इस बात की ओर ध्यान आकर्षित करता है कि आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों को निशाना बनाकर धर्मांतरण की कोशिशें प्रार्थना सभा, चमत्कार और सहायता के नाम पर की जा रही हैं। भले ही फिर पुलिस की तत्परता और ग्रामीणों की सजगता से मामला सामने जरूर आ गया है, लेकिन यह घटना बता रही है कि ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए समाज और प्रशासन दोनों को लगातार सतर्क रहना होगा। उन्‍होंने कहा कि हिन्‍दू समाज इस प्रकार की किसी भी गतिविधि को सहन नहीं करेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / sandeep chowhan

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