छतरपुर: गुरूपूर्णिमा का एसकेयू में सीधा प्रसारण , मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव ने दिया उद्बोधन

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छतरपुर: गुरूपूर्णिमा का एसकेयू में सीधा प्रसारण , मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव ने दिया उद्बोधन


छतरपुर: गुरूपूर्णिमा का एसकेयू में सीधा प्रसारण , मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव ने दिया उद्बोधन


छतरपुर, 21 जुलाई (हि.स.)। एसकेयू में रविवार को कुलाधिपति डॉ. बृजेन्‍द्र सिंह गौतम तथा चेयरमैन डॉ. पुष्‍पेन्‍द्र सिंह गौतम के दिशा निर्देशानुसार गुरूपूर्णिमा उत्‍सव बड़े हर्ष एवं उल्‍लास के साथ मनाया गया। उच्‍च शिक्षा विभाग के आदेशानुसार मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आतिथ्‍य में देवी अहिल्‍या विश्‍वविद्यालय इंदौर में आयोजित गुरूपूर्णिमा का सीधा प्रसारण विश्‍वविद्यालय के सभागार में किया गया। जिसमें विश्‍वविद्यालय के समस्‍त कार्मचारी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के अगले चरण में ज्ञान की देवी माँ सरस्‍वती की प्रतिमा पर माल्‍यार्पण तथा दीप प्रज्‍जवलन कर देवी की आराधना की गई। तदोपरांत डॉ. शिवेन्‍द्र सिंह परमार मानव संसाधन प्रबंधक के द्वारा विश्‍वविद्यालय का संक्षिप्‍त परिचय एवं अतिथियों का स्‍वागत भाषण प्रस्‍तुत किया गया। विश्‍वविद्यालय के उपकुलगुरू डॉ. गिरीश त्रिपाठी ने अतिथि तथा विश्‍वविद्यालय के समस्‍त गुरूजनों का तिलक एवं पुष्‍पवर्षा से सम्‍मान किया।इस उत्‍सव में उपकुलगुरू डॉ. गिरीश त्रिपाठी, कुलसचिव, सलाहकार डॉ. बी.एस. राजपूत, प्राध्‍यापक डॉ. अमित जैन आयोजन समिति के सदस्‍य विवेक प्रताप सिंह, माधव शरण पाठक, श्रीमति सुमेधा राय तथा विश्‍वविद्यालय के सभी कार्मचारी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि प्रसिद्ध वेद शास्‍त्री पं. मनोज कुमार शुक्‍ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय सनातनी संस्‍कृति गुरूशिष्‍य परम्‍परा से पोषित रही जिसके आदि गुरू शिव थे। शिव द्वारा प्रदत ज्ञान गुरूशिष्‍य परम्‍परा के माध्‍यम से आज भी जनमानस में दिखाई पड़ता है। गुरू वह है जो अपने शिष्‍य को अंधकार से बह्म स्‍वरूप प्रकाश की ओर अग्रसर करता है। एक सच्‍चा गुरू ही इस भौतिक जीवन के पार मोक्ष का कारक होता है।

उपकुलगुरू डॉ. गिरीश त्रिपाठी ने अपने वकतव्‍य में कहा कि भारतीय संस्‍कृति में गुरूशिष्‍य परम्‍परा आदि अनंतकाल से स्‍थापित है। व्‍यक्ति बिना गुरू जानकारी तो प्राप्‍त कर सकता है किंतु उस जानकारी का सार्थक उपयोग गुरूशिष्‍य परम्‍परा द्वारा ही संभव है। मनुष्‍य, देवता, दैत्‍य इत्‍यादि सभी को गुरू की अवश्‍यकता होती है। आज के युग में शिक्षक तो बहुत है किंतु एक गुरू बनना बहुत कठिन है। उन्‍होंने शिक्षकों के सर्वांगीण विकास पर जोर देते हुए वर्तमान में गुरूशिष्‍य परम्‍परा को पुर्नजीवित करने पर जोर दिया।

विश्‍वविद्यालय के सलाहकार डॉ. बी.एस. राजपूत ने गुरूपूर्णिमा के महत्‍व पर चर्चा करते हुए इसके ऐतिहासिक और संस्‍कृतिक पृष्‍ठभूमि के ज्ञान से सभी को अवगत कराया। भारतीय ज्ञान परम्‍परा को प्रोत्‍साहित करने के लिये विश्‍वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परम्‍परा प्रकोष्ठ की स्‍थापना की जायेगी। फार्मेसी विभाग के प्राध्‍यापक डॉ. अमित जैन ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा के समावेश पर जोर दिया। भविष्‍य में विश्‍वविद्यालय के मुख्‍य विषयों में तथा वैल्‍यू ऐेडेड पाठ्यक्रमों में नैतिक शिक्षा को समाहित किया जाएगा। कार्यक्रम के अंतिम चरण में विश्‍वविद्यालय के समस्‍त शिक्षकों तथा अतिथियों का शाल श्रीफल से सम्‍मानित किया गया तथा एक पेड़ माँ के नाम से अभियान के अंतर्गत विश्‍वविद्यालय प्रांगण में वृक्षारोपण किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / सौरव भटनागर / मुकेश तोमर

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