मप्रः रतलाम में दो साल के बच्चे को लेकर कुएं में कूदी महिला, दोनों की मौत
भोपाल, 17 मार्च (हि.स.)। मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में रावटी थाना क्षेत्र के ग्राम हरथल में एक महिला और अपने दो साल के बेटे को लेकर कुएं में छलांग लगा दी। दोनों की डूबकर मौत हो गई। घटना रविवार सुबह 10 बजे की बताई जा रही है। दोपहर करीब 2.30 महिला व उसके दो वर्षीय बेटे का शव कुएं में मिला। बेटा मां के शरीर पर दुपट्टे से बंधा हुआ था। वहीं महिला के पिता का आरोप है कि उनकी बेटी को ससुराल वाले प्रताड़ित करते थे। उसके सिर पर चोट का निशान है। जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करें।
जानकारी के अनुसार 22 वर्षीय सीताबाई पत्नी बबलू गरवाल निवासी ग्राम हरथल के घर रविवार दोपहर उसके पिता का मित्र बहादुर पहुंचा तो सीताबाई दिखाई नहीं दी। उसने सीताबाई के पिता वागजी चारेल निवासी ग्राम मेघलाखाली को फोन लगाकर बताया कि सीता घर पर नहीं है। वे अन्य परिजनों के साथ ग्राम हरथल पहुंचे तथा बेटी की खोजबीन शुरू की। अन्य ग्रामीण भी सीता की तलाश करने लगे। इसी बीच सीताबाई की चप्पले उसके घर से करीब आधा किलोमीटर दूर एक खेत के कुएं के पास दिखी। खबर फैलने पर वहां भीड़ जमा हो गई और पिता व अन्य परिजन भी पहुंचे।
सूचना मिलने पर रावटी थाना प्रभारी जयप्रकाश चौहान, एसआई निशा चौहान व अन्य पुलिसकर्मी भी पहुंचे और ग्रामीणों की मदद से कुएं में सर्चिंग कराई तो कुएं में सीताबाई व उसके शरीर पर दुपट्टे से बंधा दो वर्षीय पुत्र चिंटू दिखाई दिया। करीब तीस फीट गहरे कुएं में ग्रामीण गोताखोरों ने उतरकर दोनों के शव बाहर निकाले। इसके बाद शव पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कालेज भिजवाए गए। पोस्टमार्टम सोमवार को कराए जाएंगे।
बताया गया है कि सीताबाई के दो पुत्र थे। तीन माह के छोटे पुत्र को वह घर पर छोड़कर बड़े पुत्र चिंटू के साथ रविवार सुबह करीब नौ बजे घर से निकली थी। इसके बाद वे दोनों घर नहीं पहुंचे। मायके वालों ने बताया कि छोटा पुत्र उसकी दादी के पास है। मायके वालों का कहना है कि मायके वालों ने सीता व उसके पुत्र के लापता होने की सूचना भी उन्हें नहीं दी। पति व ससुराल पक्ष के अन्य लोग सीता व उसके पुत्र की तलाश करने व निकालने भी नहीं आए।
पिता वागजी ने बताया कि उनकी पुत्री सीता का विवाह तीन वर्ष पहले किया था। एक वर्ष से पति, सास व ननद उसे प्रताड़ित कर रहे थे। उसके साथ मारपीट करते थे तथा घर खर्च व इलाज के लिए रुपये भी नहीं देते थे। पति उसके साथ भोजन भी नहीं करता था। सीता स्वयं अपने व पुत्र के लिए भोजन बनाती थी। दस दिन पहले वह मायके आई थी। तब भी उसने बताया था कि ससुराल में मारपीट कर प्रताड़ित करते हैं। दो दिन पहले उसे बुखार आया था तो वह इलाज कराने रावटी गई थी। तब उसने फोन लगाकर मुझे बुलाया था। मैं व मेरी बहन पबलीबाई रावटी गए थे तथा सीता को इलाज कराने पांच सौ रुपये दिए थे। पबलीबाई ने उसे कहा था कि चल तबीयत ठीक नहीं है तो मायके में रहना, लेकिन वह मायके नहीं आई। सीता को मारकर फेंका गया है या वह कूदी है, इसकी जांच कर दोषियों को सजा दी जाए।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश
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