मध्य प्रदेश में साफ आसमान, गिरता पारा और बढ़ती ठंड का असर दिखने लगा, अगले चार दिन महत्‍वपूर्ण

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मध्य प्रदेश में साफ आसमान, गिरता पारा और बढ़ती ठंड का असर दिखने लगा, अगले चार दिन महत्‍वपूर्ण


भोपाल, 6 नवंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश में अब मौसम ने करवट लेना शुरू कर दिया है। फिलहाल किसी प्रभावी मौसम प्रणाली के सक्रिय न होने से वातावरण में नमी कम हो गई है और बादल भी छंटने लगे हैं। आसमान साफ होते ही दिन के तापमान में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है, वहीं रात का पारा धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले तीन दिनों में रात के तापमान में तीन से चार डिग्री सेल्सियस तक गिरावट हो सकती है। बुधवार को नर्मदापुरम में दिन का अधिकतम तापमान 32.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि नौगांव में रात का न्यूनतम तापमान 15 डिग्री रिकॉर्ड किया गया।

मौसम विज्ञानियों के अनुसार अब मध्य प्रदेश में आंधी, बारिश और गरज-चमक का दौर थम गया है। प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में अगले पांच दिनों तक आसमान साफ रहेगा और बारिश की कोई संभावना नहीं है। इस दौरान रात के तापमान में दो से तीन डिग्री तक की गिरावट दर्ज की जाएगी। इसका सबसे ज्यादा असर ग्वालियर-चंबल संभाग में दिखाई देगा, जहां उत्तरी हवा का असर सबसे पहले महसूस होगा। मौसम विभाग ने बताया कि उत्तर भारत के पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो चुकी है, जिसका असर अगले 48 घंटे में मध्य प्रदेश के मौसम पर भी पड़ेगा।

प्रदेश के ग्वालियर-चंबल, नीमच, मंदसौर, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, गुना, राजगढ़, आगर-मालवा और शाजापुर जिलों में ठंड का असर अधिक रहेगा। यहां रातें और ठंडी होंगी, जबकि दिन सुहावने बने रहेंगे। मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, इस समय एक पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पंजाब और उसके आसपास के क्षेत्र में हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात के रूप में सक्रिय है। इसके साथ एक द्रोणिका और प्रेरित चक्रवात भी बना हुआ है।

उल्‍लेखनीय है कि अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी आने के कारण प्रदेश में बादल छाए रहे थे। इससे दिन का तापमान ज्यादा नहीं बढ़ सका और रात का पारा भी गिर नहीं पाया। फिलहाल हरियाणा के पास बना एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन ठंडी हवाओं को रोक रहा है।

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अगले 24 घंटे में यह चक्रवात उत्तर भारत में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ में समाहित हो जाएगा, जिसके बाद प्रदेश में ठंड का असर तेजी से बढ़ेगा। ग्वालियर में 56 साल पहले नवंबर में न्यूनतम तापमान 3 डिग्री तक पहुंच चुका है जबकि उज्जैन में 52 साल पहले यह 2.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इस बार भी मौसम विभाग ने संकेत दिए हैं कि नवंबर के मध्य से तापमान सामान्य से नीचे जा सकता है। फिलहाल साफ आसमान और गिरते पारे के बीच मध्य प्रदेश में सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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