अशोकनगर: कृषि मंडी की कैंटीन में किसानों को कागज पर पूड़ी और दोने में दी जा रही सब्जी

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अशोकनगर: कृषि मंडी की कैंटीन में किसानों को कागज पर पूड़ी और दोने में दी जा रही सब्जी


अशोकनगर, 8 अप्रैल(हि.स.)। प्रदेश की टॉप मंडियों में शुमार जिला मुख्यालय की नवीन कृषि उपज मंडी में संचालित कैंटीन में किसानों के साथ मजाक किया जा रहा है। इस मंडी में प्रतिदिन हजारों किसान उपज लेकर पहुंच रहे हैं, तो सैकड़ों हम्माल और तुलावट मंडी में नियमित काम करते हैं। जिन्हें कम से कम दाम में भोजन की उपलब्धता के लिए अन्नपूर्णा योजना के तहत मंडी परिसर में शासन द्वारा कृषक भोजनालय का संचालन किया जा रहा है। इस भोजनालय का संचालन मंडी द्वारा अधिकृत ठेकेदार द्वारा किया जाता है। जिसमें किसानों को न तो भरपेट भोजन मिल रहा है और न ही सम्मान। भोजनालय में गंदगी ही गंदगी पसरी हुई है। इस अव्यस्था पर कैंटीन से सटे हुए मंडी समिति के कार्यालय में दिन भर बैठने वाले जिम्मेदारों की शायद नजर नहीं है।

सोमवार को देखने में आया कि इस कैंटीन में पूड़ी और आलू की सब्जी बनी हुई थी। जिन्हे कैंटीन के कर्मचारियों द्वारा किसानों को काफी असम्मान जनक तरीके से दिया जा रहा था। सब्जी के लिए एक दोना रखा था और पूडिय़ों को कागज के एक टुकड़े पर परोसा जा रहा था। जबकि व्यवस्था है कि किसानों को 6 पूड़ी और एक सब्जी कुल 5 रूपए में दिए जाना है। इसके लिए कैंटीन में टेबिल कुर्सी और थालियों की व्यवस्था होना चाहिए। हालांकि इस कैंटीन में टेबिल कुर्सी तो हैं लेकिन थाली नहीं है और न ही किसानों को हाथ धोने की व्यवस्था।

लागत मूल्य देती है सरकार

पांच रुपए में किसान और हमालों के लिए भोजन की व्यवस्था सरकार के द्वारा की गई है। उसके ऊपर जो भी लागत मूल्य आता है वह मंडी प्रशासन कैंटीन संचालक को देते हैं। किंतु कैंटीन संचालक द्वारा किसानों को खाना इस तरह दिया जाता है मानो 5 रुपए में खाना देकर अहसान किया जा रहा हो।

कई दिनों से बंद थी कैंटीन

बताया गया है कि नवीन कृषि उपज मंडी परिसर में लंबे समय तक कैंटीन बंद रही है। महज दो सप्ताह पहले ही कैंटीन में खाना परोसने की शुरुआत की गई है। इन दिनों रबी सीजन की उपज मुख्यतया गेंहू और धनिया लेकर किसान मंडी पहुंच रहे हैं। सोमवार दोपहर को कैंटीन में एक भी किसान नहीं मिला, लेकिन मौजूद कर्मचारियों का कहना था कि यहां प्रतिदिन चार से पांच सौ किसान और कर्मचारी खाना खाते हैं, जिनका यह दावा नजारे को देखकर गलत साबित हो रहा था।

रसोईघर से लेकर अंदर तक पसरी गंदगी

भोजनालय में सफाई के नाम पर कुछ भी नहीं था, निर्धारित रसोई घर में गंदगी और गंध के अलावा कुछ नहीं था। बाहर भट्टी लगाकर खाना बनाया गया था। फर्श पर दाग ही दाग लगे हुए थे। बॉश वेसिन बंद था। कर्मचारियों ने बताया कि रोजाना सफाई की जाती है लेकिन मौके की स्थिति कुछ और ही बयां कर रही थी।

वहीं इस संबंध में मंडी सचिव शिवकुमार शर्मा का कहना था कि में आज ही कैंटीन का निरीक्षण करने गया था, वहां गंदगी बहुत थी और कागज के टुकड़ों पर पुडिय़ां दे रहे थे। उनका कहना था कि स्वच्छता के साथ थालियों में भोजन देने को कहा गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/ देवेन्द्र ताम्रकार/मुकेश

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