वीर दुर्गादास छत्री को ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थल के रूप में किया जाएगा विकसितः मंत्री लोधी

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वीर दुर्गादास छत्री को ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थल के रूप में किया जाएगा विकसितः मंत्री लोधी


उज्जैन, 24 अगस्त (हि.स.)। संस्कृति पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने शनिवार को उज्जैन स्थित वीर दुर्गादास छत्री का निरीक्षण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जोधपुर (मारवाड़) के राजा जसवंतसिंह के वीर सेनापति दुर्गादास राठौर का मालवा के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। उनकी स्मृति में जोधपुर के शासकों ने इस छत्री का निर्माण 18वीं शताब्दी में करवाया। अष्ठ स्थंभों पर आधारित इस छत्री में मानव तथा देवी-देवताओं हाथी- घोड़े, मयूर का सुन्दर अंकन है, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देशानुसार हम इस स्थान को ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थल के रूप में विकसित कर और भव्य बनाएंगे।

उल्लेखनीय है कि राजपूत शैली में निर्मित यह छत्री लाल बलुआ पत्थर से बनी है। एक मीटर उंचे वर्गाकार (7x7 मीटर) निर्मित चबूतरे पर यह छत्री निर्मित है। छत्री का अधिष्ठान अष्ठ कोणीय है। इस छत्री पर सुन्दर बैल बुटेदार नक्काशी हैं। चबूतरे पर सम्मुख में गणपति प्रतिमा है। दोनों शाखों पर कट्‌यावलम्बित मुद्रा में चंवंरधारिनी खड़ी है। दूसरे खंड में शिव पार्वती, रामलीला, हनुमान, गजलक्ष्मी का अंकन है। तीसरे खंड में सैनिक नृत्य दृश्य, मृदंग वादक चौथे खंड में सिंहवाहिनी दुर्गा, गोवर्धन, कृष्ण का अंकन है। पांचवें खंड में समुद्र मंथन, दृश्य, कच्छप अवतार का दृश्य है। छठे खंड में भू उद्धारक नरवहार एवं नृसिंह अवतार के दृश्य अंकित है। सातवे खंड में स्त्रियाँ शिवलिंग का पूजन करते हुए एवं शैषशायी विष्णु का अंकन है। छत्री के स्थम्भ नक्काशीदार है। शिखर युक्त छत्री उत्तर मध्य कालीन राजपूत कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर / प्रभात मिश्रा

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