इंदौरः कांग्रेस नेता के बेटे का अपरहण कर हत्या करने के मामले में दो दोषियों को फांसी की सजा
इंदौर, 10 जून (हि.स.)। इंदौर जिले के पिगडंबर में चार करोड़ रुपये की फिरौती नहीं मिलने पर कांग्रेस नेता के छह वर्षीय बेटे हर्ष चौहान (6) की हत्या करने के मामले में जिला अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया है। अदालत ने दो आरोपितों को दोषी ठहराते हुए फांसी (मृत्युदंड) की सजा से दंडित किया है। साथ ही एक अन्य आरोपित को दोषमुक्त कर दिया है। पैरवीकर्ता अधिवक्ता आशीष शर्मा ने बताया मुख्य आरोपित विक्रांत और ऋतिक को फांसी की सजा सुनाई है। अन्य आरोपित हरिओम को दोषमुक्त कर दिया है।
उन्होंने बताया कि इंदौर के पिगडंबर में पांच फरवरी 2023 को चार करोड़ की फिरौती के लिए कांग्रेस नेता जितेन्द्र चौहान के छह साल के बेटे हर्ष का अपहरण कर लिया था। इस मामले में मुख्य आरोपी रिश्तेदार ऋतिक (पिगडंबर), उसका दोस्त विक्रांत (राऊ), हरिओम (शाजापुर) और ऋतिक के छोटे भाई को गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि ऋतिक और विक्रांत ने बच्चे हर्ष को कार में बैठाने के बाद उसके मुंह में कपड़ा ठूंसा और टेप लगाकर उसका मुंह बंद कर मारा था। घटना का मास्टर माइंड ऋतिक मृत बच्चे के पिता जितेंद्र के भांजे का भांजा ही है, जो पिगडंबर में ही अलग कमरे में रहता था। उसने अपने दोस्त विक्रांत के साथ मिलकर जितेंद्र के बेटे हर्ष का अपहरण किया और उसकी जान ले ली। वह चार करोड़ रुपये फिरौती में चाहता था, लेकिन जब पकड़ाने का डर हुआ तो अपहृत बच्चे हर्ष की हत्या कर दी।
इस हत्याकांड पर फैसला मार्च में ही आ सकता था, क्योंकि आरोपी ऋतिक एक कबूलनामा पेश कर चुका था। जब फैसले में देरी हुई तो हर्ष के पिता जितेंद्र चौहान ने जिला कोर्ट में आवेदन किया। इसमें कहा था कि 'यह प्रकरण क्रमांक 30/2023 अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में लंबित है। केस का जल्द निराकरण नहीं किया जा रहा है। इससे फरियादी को न्याय मिलने में देरी हो रही है। पहले भी न्याय के लिए गुहार लगाई गई। न्यायालय से न्याय हित में निवेदन है कि आवेदन पत्र स्वीकार कर केस को अन्य न्यायालय में ट्रांसफर करने का आदेश पारित करने की कृपा करें। इसके बाद केस को जिला कोर्ट ने महू से हटाकर विशेष न्यायालय इंदौर में ट्रांसफर कर दिया था। सोमवार को इस पर फैसला सुना दिया गया है। विक्रांत और ऋतिक को मृत्युदंड मिला है। साथी हरिओम को बरी कर दिया गया है। जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था।
सुनवाई के दौरान आरोपी ऋतिक ने सहानुभूति हासिल करने के लिए एक कबूलनामा भी पेश किया था। इसमें उसने कहा था कि “मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूं। हर्ष का अपहरण पुरानी रंजिश और फिरौती के लालच में किया था। दुर्घटना वश हर्ष की जान चली गई। पूरी घटना को मैंने अंजाम दिया है। घटना में विक्रांत ठाकुर और हरिओम वाघेला (साथी आरोपी)का कोई हाथ नहीं है। मैंने विक्रांत के नशे का आदी होने की कमजोरी का फायदा उठाया। ये बात मैं अपने पूरे होश और बिना किसी दबाव के कह रहा हूं।
इसी सात पन्ने के कबूलनामे पर सरकारी वकील को शक हुआ। उसने कोर्ट से कहा था कि यह कबूलनामा सहानुभूति बंटोरने की कोशिश है। इसके सिर्फ दस्तखत आरोपी से मेल खाते हैं। बाकी चिट्ठी की राइटिंग अलग ही है। चिट्ठी की जांच होनी चाहिए कि यह किसने लिखी? इसी संदेह के बाद जेलर से रिपोर्ट मांगी गई थी। जिसके जवाब में यह बात साफ हो गई है कि सरकारी वकील का शक सही था। मामले में मृतक हर्ष के परिवारजनों की तरफ से घटना के बाद आरोपी को फांसी देने की मांग की गई थी। मां रंजना ने कहा था कि आरोपियों को फांसी होने पर ही हर्ष की आत्मा को शांति मिलेगी। वो जेल में रोटी खा रहे और हम मां-बाप रोज मर रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश
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