मप्रः नरेंद्र सिंह तोमर ने विधानसभा अध्यक्ष के लिए दाखिल किया नामांकन, कांग्रेस ने भी किया समर्थन

मप्रः नरेंद्र सिंह तोमर ने विधानसभा अध्यक्ष के लिए दाखिल किया नामांकन, कांग्रेस ने भी किया समर्थन
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मप्रः नरेंद्र सिंह तोमर ने विधानसभा अध्यक्ष के लिए दाखिल किया नामांकन, कांग्रेस ने भी किया समर्थन


भोपाल, 18 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश में सोमवार से 16वीं विधानसभा का प्रथम सत्र प्रारंभ हुआ। इस चार दिवसीय सत्र के पहले दिन सामयिक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) गोपाल भार्गव ने 207 विधायकों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई, जबकि प्रोटेम स्पीकर भार्गव पहले ही शपथ ले चुके हैं। इस तरह अब तक कुल 208 विधायकों की शपथ हो चुकी है। इनमें 12 विधायकों ने संस्कृत, एक ने उर्दू और एक ने अंग्रेजी में शपथ ली। वहीं, सत्र के दौरान पूर्व केन्द्रीय मंत्री और नवनिर्वाचित भाजपा विधायक नरेन्द्र सिंह तोमर ने विधानसभा अध्यक्ष के लिए अपना नामांकन दाखिल किया।

विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद हासिल करने के लिए कांग्रेस ने पूरी रणनीति बना ली है। इस बार कांग्रेस इस जुगत में है कि भाजपा उसे उपाध्यक्ष का पद दे दे। दरअसल, नरेन्द्र सिंह तोमर ने भाजपा विधायक दल की ओर से विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए प्रमुख सचिव एपी सिंह के पास अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर कांग्रेस विधायक भी भाजपा विधायकों के साथ तोमर के समर्थन में खड़े नजर आए। कांग्रेस की ओर से नेता-प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और पूर्व नेता-प्रतिपक्ष अजय सिंह इस प्रक्रिया में शामिल हुए। वहीं भाजपा से मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव व पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहित अन्य विधायक मौजूद रहे।

कांग्रेस विधायक दल से मिले समर्थन पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज विपक्ष ने सकारात्मक संदेश दिया है। नवीन अध्यक्ष का नामांकन जमा किया है। विपक्ष के इस सहयोग का स्वागत करता हूं। इससे पहले कांग्रेस ने 2018 में सत्ता में वापसी करने पर अध्यक्ष के साथ ही उपाध्यक्ष का पद भी अपने पास ही रख लिया था। इसके बाद से सत्ता परिवर्तन होने पर भाजपा ने भी कांग्रेस को उपाध्यक्ष का पद नहीं दिया। हालांकि, भाजपा ने किसी और को भी पूरे सत्र के दौरान उपाध्यक्ष नहीं बनाया था।

गौरतलब है कि 15वीं विधानसभा के गठन के बाद अध्यक्ष के निर्वाचन के समय भाजपा ने परंपरा को तोड़ते हुए अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया था। इसके बाद से ही उपाध्यक्ष को लेकर भी दोनों पार्टियों के बीच विवाद की स्थिति बन गई थी। इसके पहले अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव आपसी सहमति से निर्विरोध कर लिया जाता था। जहां अध्यक्ष का पद सत्ता पक्ष के पास रहता था तो वहीं उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दे दिया जाता था। लेकिन 2018 में कांग्रेस ने जब अध्यक्ष पद के लिए एनपी प्रजापति का नाम सामने किया था तो भाजपा ने जगदीश देवड़ा को मैदान में उतार दिया। हालांकि देवड़ा चुनाव हार गए थे। इसके बाद कांग्रेस ने उपाध्यक्ष का पद भी विपक्ष को नहीं दिया।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/नेहा

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