अनूपपुर: देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले शहीद विनोद को भूला शासन-प्रशासन
18 वर्ष वाद भी गृह ग्राम में नहीं बन सका लांस नायक का स्मृति द्वार
अनूपपुर, 3 जून (हि.स.)। देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शूरवीरों के परिजनों को शासन प्रशासन की उदासीनता झेलनी पड़ रही है। आलम यह है कि स्मृतिद्वार का भूमि पूजन कई वर्ष पूर्व होने के बावजूद आज तक सिर्फ अश्वाशन का झुनझुना ही मिला। किये गए वादों को पूरा न होता देख शहीद के परिजन काफी दुखी है। अनूपपुर जिले के फुनगा गांव का जहां भारतीय सेना का जवान शहीद विनोद सिंह परिहार 2006 में ऑपरेशन मेघदूत के तहत बर्फ के ग्लेशियर में फंसे हुए अपने दो साथियों को निकालते समय सियाचिन बॉर्डर पर शहीद हो गए थे। देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर अपने ग्राम को गौरवान्वित किया था।
शहीद सैनिक की शहादत को लोग हमेशा याद रखें, इसलिए स्मृति द्वार का निर्माण कराया जाना था जो आज तक नहीं हो सका। इससे भी ज्यादा हैरानी तो यह जान कर होगी कि इसके लिए तत्कालीन कांग्रेस विधायक और वर्तमान भाजपा विधायक बिसाहूलाल सिंह ने 2009 में बाकायदा भूमि पूजन कर फोटो खिंचवाई। बाद में 2019 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होकर प्रदेश सरकार में मंत्री बने और वर्तमान में अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं, पर आज तक वो भूमिपूजन के बाद भी वह स्मृति द्वार का निर्माण नहीं करा सका।
जिले के एक दूसरे नेता प्रदेश सरकार में दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री मध्य प्रदेश के कोल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रामलाल रौतेल ने भी तात्कालीन विधायक के साथ मंच से डेढ़ लाख रुपये स्वीकृति करने की घोषणा की थी, लेकिन किये वादे आज तक अधूरा हैं, जबकि इस बात को शहीद की भाभी और पिता दोनों ने कही है।
शहीद विनोद सिंह परिहार के पिता सूर्यभान सिंह सेना से ही सेवानिवृत्त हुए हैं। उनकी उम्र 85 वर्ष हो चुकी है। शहीद की माता फरवरी 2023 में स्वर्ग सिधार गईं तो वहीं शहीद विनोद सिंह के बड़े भाई कुछ वर्ष पहले सड़क हादसे में अपनी जान गंवा चुके हैं। अब घर में सिर्फ शहीद विनोद सिंह की भाभी, 2 बच्चे और पिता हैं।
रिटायर्ड फौजी अरुण पाल सिंह कहते हैं, हमारे अनूपपुर जिले में राजनेता या प्रशासन फौजियों को सम्मान नहीं देते शायद इसी वजह से आज तक फुनगा के शहीद विनोद सिंह परिहार के नाम पर एक स्मृति द्वार तक नहीं बनवाया जा सका। यही कारण है कि अनूपपुर जिले से कोई सेना में नहीं जाना चाहता, जबकि अन्य क्षेत्रों में ऐसा नहीं होता, यहां तक कि दिल्ली सरकार शहीदों को एक करोड़ रुपये देती है। इस तरह में कैसे इस क्षेत्र युवाओं को प्रेरणा मिल पायेगी इस जिले में फौजियों के साथ नाइंसाफी होती है।
विनोद ऐसे बने शाहिद लांस नायक
शहीद विनोद सिंह के पिता सूर्यभान सिंह बताते है कि बेटा भोपाल में पढ़ाई कर रहा था और वहां से बिना बताए अचानक गायब हो गया, ठीक 2 दिन बाद उसका फोन आता है कि मेरा भारतीय सेना में सलेक्शन हो गया है और उनका फोन काटते ही घर में कॉल लेटर आ जाता है फर्स्ट पोस्टिंग राजपूत रेजीमेंट आर्मी के तहत राजस्थान में हुई थी। खेलकूद में बहुत अच्छा होने के कारण जल्द प्रमोशान मिला और एक लांस नायक की पोस्ट पर पहुंच गए। 3 दिसंबर को आखरी बार घर पर आता हैं और 10 दिसंबर को अपने भतीजे का नामकरण करते हैं 2 दिन बाद ही इनको कॉल आता है कि 19 दिसंबर को सियाचिन ग्लेशियर में रिपोर्ट करना है। 11 दिसंबर को इनकी शादी तय हुई, लेकिन उन्होंने कहा जब वह सियाचिन से आएंगे तब शादी करेंगे। उसके बाद वह 17 दिसंबर को घर से रवाना हो जाते हैं। सियाचिन ग्लेशियर के लिए जहां 19 दिसंबर को रिपोर्ट करते हैं, सिख रेजीमेंट सियाचिन ग्लेशियर में, 26 फरवरी को इनको ऑर्डर मिलता है कि एक पैट्रोलिंग पार्टी के साथ रात में पैट्रोलिंग सर्च के लिए निकलना है जिस पेट्रोलिंग पार्टी के इंचार्ज वह खुद थे। फिर अचानक बर्फस्खलन हो जाने के कारण अपने साथियों को बचाते-बचाते 27 फरवरी को वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं। 28 फरवरी सुबह लगभग 12:00 बजे घर में फोन आता है कि विनोद सिंह शहीद हो चुके हैं। गांव के ही अजय बताते हैं कि बहुत दुख तो इस बात का है कि शहीद विनोद सिंह तो शहीद हो गए साथ ही उनके भाई भी सड़क दुघर्टना का शिकार हो गए, यह परिवार और क्षेत्र के लिए पीड़ादायक तो है इससे भी ज्यादा पीड़ा का विषय तो यह है कि उनके पिता वृद्ध हैं और जब तक चल फिर पाते थे तब भी उन्होंने काफी प्रयास किया तब से लेकर अब तक कोई भी विधायक, जनप्रतिनिधि वादा किया हुआ शहीद द्वार नहीं बनवा पाए। यह बड़े शर्म की बात है. एक शहीद व उनके परिवार के कितनी बड़ी दुखद बात होगी कि जो देश की रक्षा के लिए अपनी जान निछावर कर सकता है उसके व उसके परिवार के मान सम्मान के लिए व स्मृति द्वार के लिए भीख मांग रहे हैं।
सत्येंद्र मिश्रा सचिव ग्राम पंचायत फुनगा ने बताया कि ग्राम पंचायत से प्रस्ताव जनपद पंचायत को भेजा गया है। अभी तक वह सैंक्शन नहीं हुआ है जैसे ही स्वीकृति प्राप्त होगी शहीद विनोद सिंह परिहार के स्मृति में नगर द्वार का निर्माण कराया जाएगा।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी वीरेंद्र मणि मिश्रा का कहना है कि यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है पर 15 दिनों पहले कलेक्टर आशीष वशिष्ठ ने एस्टीमेट बनाने के निर्देश दिए हैं। आदर्श आचरण संहिता समाप्त होने के बाद मामले में स्वीकृति प्रदान की जाएगी और जल्द ही शाहिद विनोद सिंह परिहार की स्मृति में स्मृति द्वारका निर्माण कराया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला/मुकेश
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।