जबलपुर : सोशल मीडिया में छाए कंटेंट अंधी क्रांति का युग है और भारत का चिंतन इसको अपनाने नहीं कहता: कैलाश चंद

जबलपुर : सोशल मीडिया में छाए कंटेंट अंधी क्रांति का युग है और भारत का चिंतन इसको अपनाने नहीं कहता: कैलाश चंद
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जबलपुर : सोशल मीडिया में छाए कंटेंट अंधी क्रांति का युग है और भारत का चिंतन इसको अपनाने नहीं कहता: कैलाश चंद


जबलपुर, 29 अप्रैल (हि.स.)। राजनीति में चेहरों की बहुत वैल्यू है परंतु सोशल मीडिया के चलते कुछ ऐसे चेहरे भी छप जाते हैं जिनकी क्षमता उतनी नहीं होती जितनी प्रदर्शित की जाती है। जिन्होंने कभी मक्खी भी नहीं मारी वे शेखचिल्ली सोशल मीडिया के चलते महावीर बन जाते हैं। फोटो वीडियो आदि में जो महावीर दिखाई देते हैं उनके बैकग्राउंड के बारे में जानकारी सभी को होनी चाहिए। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र प्रचार प्रमुख कैलाश चंद ने कहीं।

दरअसल, वे हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी द्वारा मध्यप्रदेश की संस्कारधानी में आयोजित व्याख्यान “वर्तमान पत्रकारिता के बदलते आयाम एवं सोशल मीडिया “ विषय पर बोल रहे थे। कार्यशाला एवं का आयोजन किया गया जिसमें द्वारा उपरोक्त उन्होंने कहा कि, लोगों को यह जानकारी होनी चाहिए कि उनका वास्तविक जीवन कैसा है , क्योंकि सोशल मीडिया की चमक के चलते वह अपने को हाइलाइट करते हैं, समाचार पत्रों में छा जाते हैं, सोशल मीडिया में आ जाते हैं तथा उनके बहुत सारे फॉलोअर बन जाते है। इतना ही नहीं तो न्यू मीडिया में उनकी जय जयकार भी होने लगती है, लेकिन वे इस न्यू मीडिया की चकाचौध में यह विचार करना भी भूल जाते हैं कि क्या उनके इस कार्य से भारत का भला हो रहा है ? या सिर्फ वे अपना और लोगों का समय बर्वाद कर रहे हैं।

श्री कैलाशचंद का कहना रहा कि माना यह युग एक अंधी क्रांति का युग है, किन्तु भारत का चिंतन आंख बंद कर ऐसे लोगों को फॉलो करने की इजाजत बिल्कुल नहीं देता। सोशल मीडिया यह कार्य बखूबी करता है, परंतु हिन्दुस्थान समाचार सत्य का काम करता है। उसकी टैगलाइन ही है “सत्य संवाद सेवा”। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की चमक से बने बड़े महावीरों से बचाने का काम भी हिंदुस्थान समाचार का है, जो भी लोग न्यू मीडिया में आगे बढ़ रहे है उनको यह सीखना चाहिए कि रिपोर्ट करना, कमेंट करना, उसके फेक्ट चेक करना और फेक्ट कहां मिलते हैं, कौन कौन सी बातें हैं, किन सोर्स से जिनमें वेबसाइट, रेफरेंसेबल कोड, ऑथेटिक कोड आदि कहाँ से मिलते हैं। इन सबके बारे में उन्हें सही-सही पता हो।

उनका कहना रहा है कि यदि कोई गलत है, चाहे वह व्यक्ति हो, संस्थान हो या समाचार हो तो मीडिया की भाषा में उसकी वाट लगाने की ताकत भी सोशल मीडिया ने हाथ में दी है, वह भी बढ़ना चाहिए या बढ़ानी चाहिए और इसके लिए परस्पर कोई इकोसिस्टम डेवलप होना चाहिए। यदि इस प्रकार का इको सिस्टम नहीं तो समझदार लोगों को चाहिए कि वे मिलजुलकर इसे बनाएं।

आपने कहा कि वर्तमान समय में भारत को आगे बढ़ाने का चिंतन हर स्तर पर होना चाहिए जिसमें कि सोशल मीडिया का महत्व आज के दौर में बहुत अधिक बढ़ गया है। ऐसे में फैक्ट चेक्स का, रिपोर्ट करने वालों का, सीधी बात को आगे बढ़ने वालों का और गलत व्यक्तियों को आगे नहीं बढ़ने देने वालों का, सोशल मीडिया के जो अपनाने वाले है उनको टीमवर्क के रूप में जो इस काम मे लगे हुए लोग हैं उनके साथ एक ईको सिस्टम डेवलप कर एक बड़े लक्ष्य या बड़े नेरेटिव के लिए काम करने की आवश्यकता है ।

इसके साथ ही उन्होंने कहा जो अनुभवी है, उनका दायित्व है कि आने वाली पीढ़ी इस काम मे आगे ले जाएँ । सोशल मीडिया न्यू मीडिया पर आयोजित इस परिसंवाद को सुनने के लिए मीडिया जगत के अलावा समाज के विभिन्न वर्गों के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ विलोक पाठक

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