लूट के माल के बंटवारे के लिए झगड़ रहे कांग्रेस के जय और वीरूः शिवराज
भोपाल, 31 अक्टूबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस में जो जय और वीरू की जोड़ी है, उसे दिल्ली बुलाया गया है। ये कहते हैं कि भाजपा भ्रम फैला रही है। अगर ऐसा है, तो फिर इन्हें दिल्ली क्यों बुलाया गया है? जय और वीरू ने मध्यप्रदेश से जो लूटा है, उसे ही लेकर इनके बीच झगड़ा है, जिसके लिए इन्हें दिल्ली बुलाया गया है। हो सकता है दिल्ली भी लूट के इस माल में हिस्सेदारी चाहती हो।
मुख्यमंत्री चौहान मंगलवार को मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 2003 तक बंटाढार रही और इन दस सालों में मि. बंटाढार ने मध्यप्रदेश को जमकर लूटा तथा बर्बाद कर दिया। बाद में सवा साल के लिए प्रदेश में कमलनाथ सरकार बनी। इस दौरान कमलनाथ ने भी जमकर लूट मचाई और वल्लभ भवन को लूट का अड्डा बना दिया था। इनका झगड़ा इसी बात को लेकर है कि लूट के इस माल में किसकी कितनी हिस्सेदारी हो।
पहले देश, अब प्रदेश का अपमान कर रहे कमलनाथ
मुख्यमंत्री ने कहा कि कमलनाथ पहले ’भारत महान नहीं, बदनाम’ कहकर देश का अपमान कर चुके हैं और अब चौपट कहकर मध्यप्रदेश का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती वो धरा है, जहां धन संपदा, वन संपदा, खनिज संपदा, जन संपदा, प्राकृतिक संसाधन भरपूर उपलब्ध हैं। यहां के लोग भोले-भाले हैं। ऐसे प्रदेश को कमलनाथ चौपट कहकर प्रदेश और यहां के लोगों का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि असल में कमलनाथ मध्यप्रदेश के हैं ही नहीं और न उनको मध्यप्रदेश से लगाव है। उनकी जड़ें मध्यप्रदेश में नहीं हैं। इसीलिए वो मध्यप्रदेश का अपमान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज जो लोग प्रदेश को चौपट कह रहे हैं, उन्होंने अपनी सरकार के समय मध्यप्रदेश को चौपट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उन्होंने कहा कि कमलनाथ जी, अगर शिवराज से राजनीतिक बैर है, तो मुझे गालियां दो, मेरा अपमान करो, मध्यप्रदेश की भोली-भाली जनता का अपमान क्यों कर रहे हो? चौहान ने कहा कि जनता देश और प्रदेश का अपमान सहन नहीं करेगी और आने वाले चुनाव में इसका जवाब देगी।
सेठ को सेठ न कहें, तो क्या कहें?
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कल मैंने कमलनाथ को सेठ कहा तो वो आपत्ति व्यक्त कर रहे हैं। कह रहे हैं मैं सेठ हूँ क्या... मैं उद्योगपति हूँ क्या...? उन्होंने कहा कि कमलनाथ खुद ये कहते हैं कि मैं निजी प्लेन में घूमता हूं। उनका एक पाँव देश में रहता है एक पाँव विदेश में रहता है। अब निजी प्लेन किसान के पास, मजदूर के पास, गरीब के पास तो होता नहीं है। ऐसे में अगर उन्हें सेठ न कहूं, तो क्या मजदूर कहूं, फसल काटने वाला या गिट्टी-मिट्टी उठाने वाला कहूं? सेठ को सेठ न कहूं तो क्या कहूं?
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश
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