शिवपुरी: बांध के डूब क्षेत्र में चला गया राम मंदिर, इसके बाद बसाना भूला प्रशासन

शिवपुरी: बांध के डूब क्षेत्र में चला गया राम मंदिर, इसके बाद बसाना भूला प्रशासन
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शिवपुरी: बांध के डूब क्षेत्र में चला गया राम मंदिर, इसके बाद बसाना भूला प्रशासन


-अमोला गांव में पिछले 12 वर्षों से भगवान श्रीराम और उनके दरबार का आज भी इंतजार है

शिवपुरी, 27 जनवरी (हि.स.)। शिवपुरी जिले के अमोला गांव में 12 साल पहले भगवान श्री राम का मंदिर हुआ करता था। इस गांव के पास अटल सागर बांध के निर्माण के दौरान यह मंदिर डूब क्षेत्र में आ गया लेकिन इसके बाद इस मंदिर को बसाने के लिए किसी भी प्रकार की पहल जिला प्रशासन के द्वारा नहीं की गई जिसको लेकर के स्थानीय लोगों में आक्रोश है। अमोल गांव इसके आसपास के लोग कहते हैं कि भगवान राम अयोध्या में अपने घर पर विराजमान हो गए लेकिन अमोला गांव में पिछले 12 वर्षों से भगवान श्रीराम और उनके दरबार का आज भी इंतजार है। बांध के निर्माण के दौरान उसके डूब क्षेत्र में आए मंदिर के भगवान श्री राम और उनके दरबार की मूर्तियां एक दुकान में बंद हैं। यहां पर शूटर में ताला लगाकर भगवान राम को रखा गया है। इससे ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि जिला प्रशासन को इस मंदिर को पुन: बसाने की पहल करना चाहिए।

ताले में बंद हैं भगवान-

ग्रामीणों ने बताया कि सालों से हाट बाजार की दुकानों में भगवान राम मंदिर दरबार ताले में बंद है। विस्थापन के समय एक कमरा मंदिर निर्माण का शुरू हुआ था बाद में यह काम अधूरा छोड़ दिया गया। मंदिर का निर्माण आज तक पूरा नहीं हो पाया है। मंदिर के नाम पर एक कमरा छोड़ दिया और गुंबद भी अधूरा है। यहां के ग्रामीणों की इस मांग के समर्थन में शिवपुरी के भाजपा विधायक देवेंद्र जैन भी हैं। विधायक देवेंद्र जैन ने कलेक्टर को पत्र लिखा है। पत्र के जरिए मंदिर के नाम जमा राशि का उपयोग कर जल्द से जल्द मंदिर निर्माण कर राम दरबार को मंदिर में विराजमान करने की बात कही है।

कई बार आंदोलन कर चुके हैं ग्रामीण-

्रअमोला के ग्रामीणों का कहना है कि कई साल बीतने के बाद भी जलमग्न हो चुके राम मंदिर से निकाली गईं प्रतिमाओं को व्यवस्थित स्थान नहीं मिल पाया। ग्रामीणों ने बताया कि भगवान श्रीराम के घर के लिए आवेदन से लेकर धरना-प्रदर्शन तक हो चुके हैं, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2008 में अटल सागर बांध (पुराना नाम-मड़ीखेड़ा बांध) बना। इस बांध के कैचमेंट एरिया में आने से अमोला गांव को विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान गांव से कुछ दूर सिरसोद गांव के पास अमोला-1, अमोला-2, अमोला-3 नाम की तीन कॉलोनियों बनाई गईं। इन कॉलोनियों में विस्थापित लोगों को बसा दिया गया। लेकिन डूब क्षेत्र में जो प्राचीन भगवान राम का मंदिर आया उसे बसाने की पहल नहीं की गई। मंदिर से मूर्तियां निकालकर के पंचायत के हाट बाजार में स्थित एक दुकान में रख दी गईं। घरों के साथ ही पानी में डूबे मंदिरों के लिए भी प्लानिंग बनाई गई। मंदिर का निर्माण इतने सालों बाद भी पूरा नहीं हो पाया है।

विस्थापन में 8 लाख रुपया मिला जो शासकीय खाते में जमा-

यहां के ग्रामीणों ने बताया है कि शिवपुरी में सिंध नदी किनारे के यह मंदिर था। यहां पर जो जागीरदार हुआ करते थे उनके द्वारा यह मंदिर बनवाया गया था। करीब 100 साल पुराना मंदिर था। इनमें श्री राम दरबार का राज मंदिर, मुख्य मंदिर हुआ करता था। जब अटल सागर में पानी भरने लगा तो अमोला गांव खाली हुआ तो कुछ परिवार डैम के कैचमेंट एरिया से थोड़ी दूर अमोला क्रेसर नामक स्थान पर जाकर बस गए। प्रशासन ने हाट बाजार के लिए कुछ दुकानों का निर्माण कराया था। 2012 में राम दरबार की मूर्तियों को मंदिर से निकालकर इसी हाट बाजार की एक दुकान में रखवा दी गईं। आज भी यहां पर एक दुकान में यह मूर्तियां रखी हुई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से मंदिर के विस्थापन के समय करीब 8 लाख रुपया मिला था जो शासकीय खाते में जमा है। इससे मंदिर का निर्माण कराया जाए। इस मामले में करैरा तहसीलदार कल्पना शर्मा का कहना है कि प्रशासन की ओर से एक टीम में नायब तहसीलदार द्वारा मौके की वस्तुस्थिति की रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। इस मामले में प्रकिया चल रही है। एक बैठक भी एसडीएम ऑफिस में बुलाई जाएगी, जिसमें मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर निर्णय लिया जाएगा।

हिंदुस्थान समाचार/ रंजीत गुप्ता

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