आदर्श दांपत्य के प्रतीक हैं शिव-पार्वतीः पंडित राघव मिश्रा
- कुबेरेश्वरधाम पर शिव महापुराण के दूसरे दिन हजारों श्रद्धालु बने भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के साक्षी
सीहोर, 1 मई (हि.स.)। भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह आदर्श दांपत्य का प्रतीक है। भगवान शिव और माता पार्वती ने संदेश दिया है कि हमें अकेले में अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। अकेलेपन में ही व्यक्ति की भावनाएं गलत दिशा में भटकती हैं। बुरे विचार जागते हैं। इसलिए एकांत में भावनाओं पर नियंत्रण रखें। जो लोग पूजा-पाठ, तप और ध्यान करते हैं, उन्हें पूरी तरह एकाग्रता के साथ डूबकर ये काम करना चाहिए, तभी मन गलत दिशा में नहीं भटकेगा। इसलिए अपने दांपत्य जीवन को मधुर बनाए और सुखी जीवन का आनंद ले।
उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी पांच दिवसीय शिव महापुराण के दूसरे दिन बुधवार को प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के पुत्र कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कथा ने व्यक्त किए। उन्होंने अपने अलग ही अंदाज में अपने पिता की तर्ज पर कथा और भजन से यहां पर आए हजारों श्रद्धालुओं को कथा से जोड़ा और भगवान शिव की भक्ति के बारे में विस्तार से चर्चा की।
पुरुष और प्रकृति दोनों का समान एक-दूसरे के बिना दोनों अधूरे
कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि शिव का सती से विवाह, हवनकुंड की अग्नि से सती का जीवन समाप्त करना, वियोग में शिव का वैराग्य धारण करना, पार्वती के रूप में सती का पुनर्जन्म और शिवरात्रि पर पार्वती का शिव से विवाह केवल यही दर्शाता है कि पुरुष और प्रकृति दोनों का समान एक-दूसरे के बिना दोनों अधूरे हैं। सृष्टि एक वृहद उदाहरण है वास्तव में शिव और पार्वती के मिलन यही संदेश देता है कि जीवन, परिवार या सुख-दुख की गाड़ी को हांकना किसी एक के बस की बात नहीं। सती रूप में पत्नी के न होने पर शिव रूपी पति वैराग्य की ओर बढ़ जाते है। आज के युग में वैराग्य के मायने बदल गए हैं। सामाजिक दायित्वों से खुद को मन से नहीं जोड़ पाना, अपने मन की पीड़ा को मन में ही दबाना और जरूरत पडऩे पर दिखावे की हंसी के रूप में खुशी व्यक्त करना भी तो वैराग्य ही है। वहीं दूसरे पक्ष में नारी को देखें तो पुरुष की यह स्थिति पार्वती रूपी नारी को भी दुखी करती है। बात सहज है दोनों में से यदि एक पक्ष विचलित, अकेला या परेशान है तो दूसरे पक्ष पर भी खुश नहीं रह सकता।
भजन के साथ दी भगवान शिव की बारात की प्रस्तुति
बुधवार को कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने अपनी मधुर आवाज में भगवान शिव और पार्वती के भजनों के साथ विवाह का वर्णन किया। भगवान शिव की बारात कैलाश पर्वत से निकली जिसमें भूत-प्रेत, साधु, नंदी शामिल हुए। दूल्हे बन कर नंदी पर सवार होकर निकले हैं भोलेनाथ, डम डम डमरू बजाते हैं भोलेनाथ, मस्त है पूरा कैलाश पर्वत, जैसे भजन प्रस्तुत किए तो हाल में मौजूद महिलाएं भाव विभोर होकर नाचने लगीं।
गुरुवार को मनाया जाएगा भगवान का जन्मोत्सव
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि गुरुवार को शिव महापुराण के तीसरे दिन भगवान गणेश का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। विश्व में धर्म और आस्था का जनसैलाब जन-जन तक पहुंचाने वाले पंडित प्रदीप मिश्रा के पुत्र द्वारा की जा रही पहली कथा का श्रवण करने के साथ-साथ उनके स्वागत करने के लिए आस्थावान श्रद्धालु, सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधिओं के द्वारा स्वागत किया जा रहा है। गुरुवार को भी करीब 50 संगठनों ने स्वागत करने के लिए अपना नाम दर्ज कराया है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश
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