शिव महापुराण कथा मनोरंजन के लिए नहीं मनोमंथन के लिएः पंडित राघव मिश्रा
- कुबेरेश्वर धाम में स्वच्छता का संदेश देकर शिव महापुराण कथा का किया समापन
सीहोर, 4 मई (हि.स.)। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी संगीतमय पांच दिवसीय शिव महापुराण कथा का शनिवार को स्वच्छता के संदेश के साथ समापन हुआ। इस अवसर पर 14 वर्षीय कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने शिव महापुराण कथा को समय पास करने वाला या मनोरंजन के लिए न बनाकर मनोमंथन कर शंका निवारण करने वाली बताया। उन्होंने कहा कि भगवान शिव कथा सुनने से आमजन का कल्याण होता है, साथ ही चित्त प्रसन्न होकर आत्मा शु्द्ध होती है। कथा हमें सन्मार्ग भी दिखाती है।
शनिवार को कथा के समापन अवसर पर पंडित मिश्रा ने यहां पर मौजूद सभी श्रद्धालुओं को सामूहिक रूप से स्वच्छता की शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि जहां स्वच्छता होती है, वहीं भगवान विराजते हैं।
अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के सुपुत्र 14 वर्षीय कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने अपनी पहली ही कथा में अपनी मासूम शैली में कथा कर आस्थावान श्रद्धालुओं को भगवान का संदेश दिया। पांच दिन में करीब 100 से अधिक महिला और पुरुष संगठनों के अलावा दिग्गज नेताओं ने पंडित मिश्रा का स्वागत किया। इस मौके पर विठलेश सेवा समिति के प्रबंधक समीर शुक्ला और उनकी टीम ने शनिवार को करीब बीस हजार से अधिक श्रद्धालुओं को भोजन प्रसादी के अलावा ठंडाई का वितरण किया। इस दौरान पंडित विनय मिश्रा, आशीष वर्मा, यश अग्रवाल, मनोज दीक्षित मामा, आकाश शर्मा, रविन्द्र नायक, सौभाग्य मिश्रा, बंटी परिहार आदि शामिल थे।
कथा को मनोरंजन के रूप में नहीं लेना चाहिए
पंडित मिश्रा ने कहा कि कई जन्मों के पुण्य संचित होते हैं तब जाकर भक्ति ज्ञान वैराग्य की त्रिवेणी में गोता लगाने का अवसर प्राप्त होता है। कथा को मनोरंजन के रूप में नहीं लेना चाहिए, कथा मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि मनोमंथन के लिए होता है। कथा सुनकर जाते समय इस बात का मंथन अवश्य करना चाहिए कि कथा की कौन सी बातें हमारे जीवन के लिए अनुकरणीय है, बीच-बीच में भगवान भोलेनाथ के भजनों को सुनाकर स्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। उन्होंने कहा कि कथा सत्संग भाग्य से ही मिलता है। मंदिर में भगवान के दर्शन करने से बड़ी बात भक्ति में रम जाने की है। शब्द ब्रह्म शक्ति है। तन की जल से, मन की धन से और आत्मा की शुद्धि सत्संग से होती है।
शिव महापुराण में पशुपति प्रसंग का किया वर्णन
पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि बहुत से भक्त यह सोंचते है कि यदि सम्पूर्ण पूजा सामग्री एकत्रित नही हो पाती है तो पशुपतिनाथ का व्रत अधूरा रह जायेगा और भगवान शिव हम से प्रसन्न नहीं होंगे, लेकिन भोलेनाथ के भक्तों को यह चिंता अपने मन से निकाल देनी है। जिस प्रकार से एक पिता अपने पुत्र की चिंता करता है उसी प्रकार से भगवान शिव अपने भक्तों की चिंता रखते हैं, उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्तों को बहुत कठिन परिश्रम नहीं करना है अगर एक लोटा जल भी हमने भोलेनाथ को प्रेम से अर्पित किया है तो वह ही बहुत है। इसलिए जितनी भी पूजा सामग्री आप एकत्रित कर सकते है उसी पूजा सामग्री से पशुपतिनाथ जी की पूजा कर सकते है।
कथा के अंत में बताया 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व
पंडित मिश्रा ने शनिवार को कथा के पांचवें दिवस कहा कि सौभाग्यशाली होते हैं, वैसे लोग जो अपने जीवनकाल में इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर पाते हैं। पुराणों के अनुसार शिवजी जहां-जहां स्वयं प्रकट हुए थे, उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन प्रात:काल और संध्याकाल के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेते हैं, उनके पिछले सात जन्मों के पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से धुल जाते हैं। मानव का जीवन भगवान की भक्ति के लिए हुआ है और इस कलियुग में भक्ति से बड़ा कुछ नहीं है। कर्म के साथ भगवान की भक्ति करें।
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि शिव महापुराण के अंत में पंडित प्रदीप मिश्रा सहित अन्य ने व्यास पीठ की पूजा अर्चना की। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए कथा में पिछले पांच दिनों में सीहोर विधायक सुदेश राय, नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर सहित अन्य प्रतिनिधियों ने धाम पर पहुंचकर कथा का श्रवण किया।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश / उमेद
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।